दिल्ली: आमतौर पर आपने लोकसभा में लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा में सभापति को आपने ये कहते हुए सुना होगा कि बैठ जाइए, प्लीज सिट डाउन, माननीय सदस्य शोर न करें, माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वो शांति बनाए रखें… कुछ ऐसे ही वाक्य जरूर सुने होंगे।
भारतीय लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाले संसद के दो सदनों लोकसभा और राज्यसभा में देश के कानून बनते हैं, नीतियां बनती हैं। इसमे बहस होती है, विचार विमर्थ किया जाता है, सवाल जवाब होते हैं और इसके बाद सहमति से कोई कानून बनाया जाता है। अध्यक्ष और सभापति की जिम्मेदारी रहती है कि वे सदन का बखूबी संचालन करे। संसद में सार्थक चर्चा हो। हर विषय पर विचार विमर्श कर देश की जनता से जुड़े मुद्दों को उठाया जाए। इस वजह से वे अक्सर ये कहते रहते हैं कि बैठ जाइए, प्लीज सिट डाउन, माननीय सदस्य शोर न करें, माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वो शांति बनाए रखें… लेकिन शुक्रवार को लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला व्यथित दिखे। उन्होंने कहा कि स्पीकर पर लोकसभा के अंदर और बाहर टिप्पणियां करना अच्छी बात नहीं है।
माना जा रहा है किलोकसभा अध्यक्ष का इशारा तृणमूल कांग्रेस सदस्य महुआ मोइत्रा की ओर था। मोइत्रा ने गुरुवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लिया था। ऐसा करते हुए उन्होंने आसन की ओर से किसी अन्य सदस्य का नाम पुकारे जाने के बाद भी अपनी बात जारी रखी। पीठासीन सभापति रमा देवी के बार-बार बैठने के आग्रह के बाद भी मोइत्रा ने अपनी बात जारी रखी। इसके कारण आईयूएमएल के ईटी मोहम्मद बशीर को कहना पड़ा था कि ‘जब वह इस तरह से बोलना जारी रखेंगी, तब मैं कैसे बोल सकता हूं, इनकी बात पूरी होने पर ही मेरा नाम पुकारें। उन्होंने कहा था कि सदन में व्यवस्था बननी चाहिए ताकि वह अपनी बात रख सकें।
वहीं, मोइत्रा ने बाद में ट्वीट कर कहा था, “लोकसभा अध्यक्ष ने मुझे 13 मिनट का समय दिया था लेकिन जब उनके कक्ष में उनके सामने यह बात रखी तो वह उस समय आसन पर नहीं थे, इसलिए उन पर आरोप नहीं लगाए जा सकते।“ उन्होंने कहा, “इस बारे में आगे पूछने पर उन्होंने (बिरला ने) कहा कि यह तो उनका बड़प्पन है कि 13 मिनट की अनुमत दी। यह अविश्वसनीय है।“
तृणमूल कांग्रेस सांसद ने अपने ट्वीट में पीठासीन रमा देवी के संदर्भ में भी कहा था, “मैं गुस्से या प्यार से बोलूं, इस बारे में बीच में टोककर उपदेश देने वाला आसन कौन होता है? यह आपका काम नहीं है, मैडम आप मुझे नियमों के बारे में ही टोक सकती हैं। आप लोकसभा के लिए नैतिक शिक्षा की शिक्षक नहीं हैं।“
मोइत्रा ने इस घटना के बारे में पत्रकारों से बातचीत का वीडियो भी ट्वीट किया। इससे नाराज ओम बिरला ने बिना किसी का नाम लिए कहा, “सदन के अंदर और बाहर अध्यक्ष पीठ पर टिप्पणी करना सदन की गरिमा और मर्यादा का उल्लंघन है। सदन की एक उच्च कोटि की मर्यादा है जिसका सम्मान सभी माननीय सदस्य करते हैं।“ उन्होंने कहा कि आसन का प्रयास होता है कि सदन निष्पक्ष रूप से नियम और प्रक्रियाओं से संचालित हो। उन्होंने कहा, “हमारा व्यवहार और आचरण सदन की मर्यादा के अनुकूल हो। मेरी अपेक्षा है कि सदस्य सदन और आसन की गरिमा बढ़ाने में सहयोग करेंगे।“
बिरला ने कहा कि सदन की मर्यादा उच्च कोटि की है, सभी सदस्य इसका सम्मान भी करते हैं। सभी का ये भरोसा होता है कि जो भी सभापति की कुर्सी पर बैठे वो निष्पक्ष हो, निष्पक्षता से काम करे। उन्होंने कहा कि स्पीकर भी नियम और संविधान के दायरे में रहकर सदन को संचालित करता है। इस सीट पर बैठने वाले सदस्य को संविधान के अधिकार प्राप्त हैं।
उन्होंने कहा कि आसन के बारे में किसी भी तरह की टिप्पणी न सदन के अंदर करनी चाहिए न ही सदन के बाहर। न ही किसी सदस्य को या किसी अन्य को सदस्य पर टिप्पणी नहीं करना चाहिए। यही हमारे संसदीय लोकतंत्र की मर्यादा है। मुझे आशय है कि आप सब इस पर सहमत होंगे। उन्होंने कहा कि खासतौर पर सदन के बाहर मीडिया और सोशल मीडिया पर सदन पर टिप्पणी करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा, “आप सदस्य हैं, आपका आसन से टकराव हो सकता है। आप अपनी बात कहिए। आप चेंबर में आकर भी हमसे अपनी बात कह सकते है वह भी आसन का हिस्सा है।“