दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के विजय चौक पर शनिवार को बीटिंग रिट्रीट समारोह का आयोजन किया गया। इसके साथ आज 73वें गणतंत्र दिवस का समापन हो गया। आजादी के 75 साल के मौके पर ये सेरेमनी ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के रूप में मनाई गई। इस साल के बीटिंग रिट्रीट में ड्रोन शो विशेष आकर्षण रहा। 1000 ड्रोन के जरिए आसमान पर आजादी के अमृत महोत्सव की तस्वीर उकेर दी गई। इस समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए।
यह पहला मौका था, जब बीटिंग द रिट्रीट समारोह के अंत में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) द्वारा वित्त पोषित और आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्रों के नेतृत्व में भारतीय स्टार्टअप बोटलैब की ओर से लाइट शो के एक हिस्से के तौर पर 1,000 ड्रोन ने अविस्मरणीय प्री-रिर्काडेड और संगीतमय प्रस्तुति दी। इसके साथ ही चीन, रूस और ब्रिटेन के बाद भारत 1,000 ड्रोन के साथ इतने बड़े पैमाने पर ड्रोन शो का आयोजन करने वाला चौथा देश बन गया।
बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में पहली बार लता मंगेशकर का गाया गीत ऐ मेरे वतन के लोगों भी बजाया गया। इसे 1963 में कवि प्रदीप ने लिखा था। यह तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का पसंदीदा गाना भी था।
बीटिंग रिट्रीट के लिए 26 धुनों की लिस्ट बनाई गई। इनमें ‘केरल’, ‘हिन्द की सेना’ और ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ की धुन को मुख्य तौर पर शामिल रहे। आर्मी मिल बैंड ने केरला, सिकी-ए-मोल और हिंद की सेना धुन बजाईं। मास्ड बैंड ने कदम कदम बढ़ाए जा धुन पर प्रस्तुति दी। बगलर्स ने इकबाल के लिखे गीत सारे जहां से अच्छा की धुन बजाई। पूरे समारोह में 44 ब्यूगलर्स (बिगुल बजाने वाले), 16 ट्रंपेट प्लेयर्स और 75 ड्रमर्स शामिल हुए।
इस बार बीटिंग रिट्रीट में एक ड्रोन शो सबसे खास रहा। इसमें एक हजार ड्रोन को शामिल किया गया। इन सभी ड्रोन को बोटलैब डायनेमिक्स ने आईआईटी दिल्ली और डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की मदद से तैयार किया है। इस पूरे समारोह को मेक इन इंडिया के तहत डिजाइन और डेवलप किया गया है।
महात्मा गांधी के पसंदीदा भजन की धुन ‘अबाइड विद मी’ इस बार बीटिंग रिट्रीट में सुनाई नहीं दी। बीटिंग रिट्रीट के लिए 26 धुनों की लिस्ट बनाई गई थी, जिसमें ‘अबाइड विद मी’ शामिल नहीं है। इसे महात्मा गांधी की पुण्यतिथि से एक दिन पहले 29 जनवरी को होने वाले बीटिंग रिट्रीट समारोह के आखिर में बजाया जाता था।
1950 से लगातार इस धुन को बीटिंग रिट्रीट में बजाया जाता रहा है, लेकिन 2020 में पहली बार इसे समारोह से हटा दिया गया। इस पर काफी विवाद होने के बाद साल 2021 में इसे फिर से समारोह में शामिल कर लिया गया था लेकिन यह दूसरी बार है जब इसे बीटिंग रिट्रीट से हटाया गया है। भारतीय सेना की ओर से शनिवार को पूरे प्रोग्राम का ब्रोशर जारी किया गया था। इसमें इस धुन का जिक्र नहीं था।
क्या है बीटिंग रिट्रीट?
बीटिंग रिट्रीट सप्ताह भर चलने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के समापन का प्रतीक है। इस दौरान राष्ट्रपति सेनाओं को अपनी बैरकों में लौटने की इजाजत देते हैं। इसी के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन हो जाता है। पहले ये 24 जनवरी से शुरू होता था, लेकिन 2022 से यह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती यानी 23 जनवरी से मनाया जा रहा है। इस बार सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाई जा रही है।
बीटिंग रिट्रीट का इतिहास
बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत भारत में 1950 के दशक में हुई थी। भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट ने सेनाओं के बैंड्स के डिस्प्लेस के साथ इस सेरेमनी को पूरा किया था। 1952 में भारत में इस समारोह का दो कार्यक्रम आयोजन किया गया था। पहला कार्यक्रम दिल्ली में रीगल मैदान के सामने मैदान में हुआ था और दूसरा लालकिले में।
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