दिल्लीः देश में आज इतिहास के एक अध्याय का समापन और एक नए अध्याय का शुभारंप हुआ। एक पुरानी परंपरा अस्त हो गई और नई परंपरा शुरू हुई। गत 50 सालों से इंडिया गेट पर लगातार जल रही अमर जवान ज्योति का शुक्रवार को नेशनल वॉर मेमोरियल स्थित अमर जवान ज्योति में विलय कर दिया गया है। आपको बता दें कि अमर जवान ज्योति की स्थापना 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 भारत-पाक युद्ध के शहीदों की स्मृति में की थी। तो चलिए आपको बताते हैं अमर ज्वान ज्योति के इतिहास के बारे मेः
भारत और पाकिस्तान के बीच 3 दिसंबर 1971 को लड़ाई शुरू हुई। यह युद्ध 13 दिनों तक चला था। भारतीय सेना ने 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों को कब्जे में लिया और बांग्लादेश के 7.5 करोड़ लोगों को आजादी दिलाई। इस युद्ध में भारत के 3,843 जवान शहीद हुए थे। उन्हीं शहीदों की याद में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अमर ज्योति जलाने का फैसला किया। उन्होंने 26 जनवरी 1972 को इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति का उद्घाटन किया गया।
यहां पर काले रंग का एक स्मारक बना हुआ है, जिस पर अमर जवान लिखा हुआ है। इस पर L1A1 सेल्फ लोडिंग राइफल, एक सैन्य हेलमेट रखा है और लौ लगातार पांच दशक से जल रही है।
अमर जवान ज्योति की विशेषताएं-
आपको बता दें कि अमर जवान ज्योति की लौ पहले एलपीजी (LPG) से जलती थी, अब इसके लिए सीएनजी (CNG) का इस्तेमाल किया जाता है। अमर जवान ज्योति की लौ हमेशा जलती रहे, इसके लिए किए गए हैं विशेष इंतजामः
कौन करता है देखभाल?
आपको बता दें कि 1972 में अमर जवान ज्योति के उद्घाटन के बाद से ही हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड से पहले प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और थल, जल और वायु सेनाओं के प्रमुख अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
वहीं 2019 में नेशनल वॉर मेमोरियल बनने के बाद 2020 से ही गणतंत्र दिवस के अवसर पर अमर जवान ज्योति की जगह नेशनल वॉर मेमोरियल पर श्रद्धांजलि देने की प्रथा शुरू हो गई है।
नेशनल वॉर मेमोरियल का इतिहास
नेशनल वॉर मेमोरियल को स्वतंत्र भारत में देश के लिए अपनी जान गंवाने वाले सैनिकों की याद में 2019 में नई दिल्ली में ही इंडिया गेट के करीबी इलाके में स्थापित किया गया है। ये जनवरी 2019 में पूरा हुआ और 25 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया था।
नेशनल वॉर मेमोरियल में चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध के अलावा 1961 में हुए गोवा युद्ध और श्रीलंका में चलाए गए ऑपरेशन पावन और भारतीय सेना द्वारा जम्मू-कश्मीर में चलाए गए विभिन्न ऑपरेशन में शहीद हुए सैनिकों के नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं।
नेशनल वॉर मेमोरियल में चार चक्र हैं। अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र और सुरक्षा चक्र। इसमें 25,942 जवानों के नाम अंकित हैं, जिन्होंने आजादी के बाद देश के लिए युद्ध और संघर्षों में अपनी जान दी।
इंडिया गेट पर लगेगी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा
इंडिया गेट से अमर जवान ज्योति के नेशनल वॉर मेमोरियल में विलय के बीच शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया है कि इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘ऐसे समय में जब पूरा देश नेताजी सुभाष बोस की 125वीं जयंती मनाने जा रहा है, मैं यह बताते हुए बहुत खुश हूं कि ग्रेनाइट से बनी उनकी एक भव्य प्रतिमा इंडिया गेट पर लगाई जाएगी। यह नेताजी के प्रति देश की कृतज्ञता का प्रतीक होगा।”
पीएम मोदी नेताजी की प्रतिमा का अनावरण मोदी 23 जनवरी को उनकी 125वीं जयंती के अवसर पर करेंगे। जब तक नेताजी की मूर्ति बनकर तैयार नहीं हो जाती, तब तक वहां नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा मौजूद रहेगी। इंडिया गेट पर इससे पहले 60 के दशक में ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम की प्रतिमा लगी थी। अब इस प्रतिमा को वहां से हटाकर कोरोनेशन पार्क भेज दिया जाएगा।
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