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अंतरराष्ट्रीय

क्यों हवाई यात्रियों के लिए खतरा बन सकती है 5G इंटरनेट, जानें इससे जुड़ी हर जानकारियां

दिल्लीः दुनियाभर में काफी समय से 5G इंटरनेट का इंतजार हो रहा था। अब अमेरिका में इसकी शुरुआत हो रही है। यानी अब उपभोक्ता 5G कनेक्टिविटी से सुपरफास्ट इंटरनेट का मजा तो मिलेगा, लेकिन इससे जुड़े एक खतरे ने हवाई सफर करने वाले यात्रियों और एयरलाइन कंपनियों की चिंता बढ़ा दी है।

अमेरिकी एयरपोर्ट्स के पास शुरू हो रहे 5G नेटवर्क से जुड़े खतरे के मद्देनजर Emirates, ANA और Japan Airlines सहिद कई विमान कंपनियों ने पहले ही अमेरिका के लिए अपनी कुछ उड़ानों को रद्द कर चुकी हैं। अमेरिका में भी एविएशन इंडस्ट्री इसका काफी विरोध कर रही है। एविएशन इंडस्ट्रीज के विरोध के कारण वेरिजोन और एटीएंडटी ने एयरपोर्ट के आसपास 5G सेवाओं की लॉन्चिंग को फिलहाल टाल दिया है। तो चलिए आपको बताते हैं कि 5G नेटवर्क एयरक्राफ्ट्स के लिए क्यों खतरा साबित हो सकता है।

विमान निर्माता कंपनी Boeing ने अपनी जांच में पाया कि 5G नेटवर्क बोइंग 777 एयरक्राफ्ट के फ्लाइट टेलिमेट्री में दिक्कत पैदा कर सकता है और इसके कारण विमान का ऑटोमैटिक सिस्टम ऊंचाई का सही अंदाजा नहीं लगा पाता। ऊंचाई की सही जानकारी न होने पर किसी भी पायलट के लिए विमान को लैंड कराना काफी जोखिम भरा हो सकता है।

इसी खतरे के मद्देनजर एयर इंडिया समेत दुनियाभर की कई एयरलाइन्स ने बोइंग 777 एयरक्राफ्ट की अमेरिका के लिए उड़ान फिलहाल रद्द कर दी है। आपको बता दें कि विमान कंपनियों ने सिर्फ उन्हीं रूट्स पर उड़ान भरने वाले बोइंग 777 एयरक्राफ्ट्स को ही ग्राउंडेड रखा है, जिन रूट्स पर अमेरिका में 5G नेटवर्क्स को शुरू किया जा रहा है।

अमेरिका ने 5G के लिए मिड-रेंज बैंडविड्थ (3.7-3.9 GHz) की फ्रीक्वेंसी की नीलामी की थी, विमान के अल्टीमीटर रेडियो सिग्नल भी लगभग इसी रेंज वाली फ्रीक्वेंसी (4.2-4.4 GHz) का इस्तेमाल करते हैं। इससे अल्टीमीटर ठीक से काम नहीं कर पाता। फा (FAA) यानी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन ने भी कहा कि C-बैंड 5G कुछ एयरक्राफ्ट्स में लगे रेडियो वेव रेडार ऑल्टिमीटर में गड़बड़ी पैदा कर सकता है और इससे एयरक्राफ्ट और यात्रियों की सेफ्टी को लेकर चिंता काफी बढ़ जाती है। फा ने कहा कि किसी भी एयरक्राफ्ट के सही ऑपरेशन के लिए रेडार ऑल्टिमीटर का सही ढंग से काम करना बेहद जरूरी है।

हवाई सफर करने वाले यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर फिलहाल विमानों को उन इलाकों में रेडियो ऑल्टिमीटर इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होगी जहां पर 5G के कारण रेडियो वेव्स में ज्यादा बाधा आ रही हो। हालांकि, इससे कुछ विमानों को कम विजिबिलिटी में लैंडिंग की समस्या जरूर आ सकती है। अमेरिकी एयरलाइन कंपनियों का कहना है कि इस परेशानी के कारण खराब मौसम में एक हजार से ज्यादा उड़ानों को कैंसल या डीले करना पड़ सकता है। साथ ही कंपनियों ने यह भी कहा कि 5G के कारण आने वाली इस दिक्कत से बहुत सारे एयरक्राफ्ट काफी हद तक किसी काम के नहीं रहेंगे।

फा ने 5G को देखते हुए विमानों के सुरक्षित संचालन के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए हैं। इसके लिए FAA ने 50 एयरपोर्ट्स के पास बफर जोन बनाया है। इन बफर जोन में 5G नेटवर्क की सर्विसेज को काफी सीमित रखा जाएगा। इसके अलावा अब ऐसे ऑल्टिमीटर्स की भी तलाश की जा रही है, जो 5G के बीच बिना किसी परेशानी के काम कर सकें। साथ ही FAA ने उन एयरपोर्ट्स की भी पहचान की है, जहां विमानों को सुरक्षित लैंड कराने के लिए रेडियो ऑल्टिमीटर्स की बजाय जीपीएस का इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, FAA के इन उपायों से एयरलाइन कंपनियां पूरी तरह सहमत नहीं हैं और उनकी मांग है कि प्रभावित एयरपोर्ट्स के दो मील के दायरे में 5G नेटवर्क पर रोक लगाई जाए।

आपको बता दें कि 5G C-बैंड से सभी एयरक्राफ्ट्स को खतरा नहीं है। रिपोर्ट्स के अनुसार 5G नेटवर्क के कारण एयरबस A350, Airbus A380 के अलावा कुछ और एयरक्राफ्ट्स ऐसे भी हैं, जो अमेरिकी एयरपोर्ट्स के पास 5G नेटवर्क्स के चालू होने पर भी आराम से लैंड और टेक-ऑफ कर सकते हैं।

एयर इंडिया ने 5G शुरू होने के कारण बुधवार से अमेरिका जाने वाली अपनी 14 उड़ानों को रद्द कर दिया था।अब अमेरिकी एजेंसियों से हरी झंडी मिलने के बाद एयर इंडिया ने अमेरिका के लिए बोइंग 777 की सेवाओं को फिर से शुरू कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार आज सुबह एयर इंडिया का एक B777 विमान JFK एयरपोर्ट के लिए उड़ान भी भर चुका है।

चलिए अब आपको बताते हैं कि 5G नेटवर्क का इंसानों पर क्या असर होता है। डब्ल्यूएचओ (WHO) ने साल 2017 में अपनी एक रिसर्च के आधार पर कहा था कि 1.8 से 2.2GHz की फ्रीक्वेंसी से इंसानों में टिशू हीटिंग (tissue heating) की समस्या आ सकती है। इसके अलावा 5G नेटवर्क के संपर्क में रहने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने का भी खतरा बढ़ सकता है। हालांकि, 5G से होने वाले नुकसान के बारे में अभी कोई साइंटिफिक स्टडी सामने नहीं आई है।

Shobha Ojha

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