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देश में करीब 10 लाख बच्चों को दी गई कोरोना वैक्सीन की पहली डोज, जानें क्यों आवश्यक है टीकाकरण और क्या है प्रक्रिया - Prakhar Prahari
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देश में करीब 10 लाख बच्चों को दी गई कोरोना वैक्सीन की पहली डोज, जानें क्यों आवश्यक है टीकाकरण और क्या है प्रक्रिया

दिल्लीः देश में सोमवार यानी 3 जनवरी से 15 से 18 साल के बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाए जाने की शुरुआत हो गई। देशभर के विभिन्न केंद्रों पर अब तक करीब 10 लाख  लाख बच्चों को वैक्सीन की पहली डोज लग गई है। वहीं, टीके के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वालों की संख्या 13 लाख के पार पहुंच गई है।

एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में 15-18 साल के बीच के बच्चों के लिए वैक्सीनेशन कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज राज्य में कोविड के 281 मामले आए हैं। कोरोना की तीसरी लहर आ रही है, हमें इसका सामना करना है। सभी बच्चों से अपील है कि वैक्सीन जरूर लगाएं।

आपको बता दें कि बच्चों की वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन प्रोग्राम शनिवार को शुरू हुआ था। सरकार की तरफ जारी निर्देश के मुताबिक, कोविन एप पर पहले से बने अकाउंट या फिर नया अकाउंट बनाकर रजिस्ट्रेशन किया जा सकता था। इसके अलावा वैक्सीनेशन सेंटर पर जाकर भी रजिस्ट्रेशन किया जा सकता था। रविवार रात तक 15 से 18 साल के 7.90 लाख बच्चों ने वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 दिसंबर को राष्ट्र के नाम अपने संदेश में 15-18 साल की उम्र के बच्चों और किशोरों के लिए 3 जनवरी से कोरोना वैक्सीनेशन शुरू किए जाने का ऐलान किया था। देश में वर्तमान में 15-18 की उम्र के बच्चों की संख्या करीब 10 करोड़ है। आपको बता दें कि दुनिया के 30 से ज्यादा देशों में पहले से ही बच्चों का वैक्सीनेशन चल रहा है।

क्यों जरूरी है बच्चों का टीकाकरणः

  • अमेरिका के सीडीसी (CDC) यानी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, कोरोना वैक्सीन से बच्चों को कोविड-19 से संक्रमित होने से रोकने में मदद मिलती है।
  • कोरोना वैक्सीन से बच्चों में गंभीर बीमारियों, हॉस्पिटलाइजेशन, लंबे समय तक रहने वाले हेल्थ इश्यूज और मौत का खतरा कम होता है।
  • हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, उन बच्चों के लिए वैक्सीनेशन बेहद जरूरी है, जो कोविड-19 के हाई रिस्क ग्रुप का हिस्सा हैं। यानी मोटापा, डायबिटीज या अस्थमा से जूझ रहे ऐसे बच्चे, जिन्हें कोविड-19 से गंभीर बीमार होने का सबसे ज्यादा खतरा है, उनके लिए भी वैक्सीनेशन जरूरी है।
  • कोविड-19 से ज्यादा संक्रमित इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए भी वैक्सीनेशन जरूरी है।
  • साउथ अफ्रीका में ओमिक्रॉन की वजह से 5 साल से कम उम्र के बच्चों में हॉस्पिटलाइजेशन रेट बढ़ा है। ऐसे में भारत में ओमिक्रॉन को देखते हुए बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू किया जाना एक जरूरी कदम है।
  • बच्चों के वैक्सीनेशन से उनके स्कूल जाने और खेल और अन्य भीड़-भाड़ से जुड़ी गतिविधियों में भाग लेना सुरक्षित होता है।
  • भले ही कोरोना से बच्चों में कम गंभीर लक्षण दिखते हैं, लेकिन बच्चे इस वायरस के कैरियर बन जाते हैं। इसलिए भी बच्चों का वैक्सीनेशन जरूरी है।
  • भारत में अब तक 61 फीसदी वयस्क आबादी को ही कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगी है। यानी, देश की एक बड़ी आबादी फुली वैक्सीनेटेड नहीं है, ऐसे लोगों के आसपास रहने वाले बच्चों को संक्रमण का ज्यादा खतरा है, इसलिए वैक्सीनेशन शुरू किए जाने की जरूरत है।
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