दिल्लीः सर्दियों का मौसम जहां एक तरफ आपको आकर्षित करता है और आप कोहरा, धुंध, बर्फ और ठंड का आनंद लेने के लिए किसी हिल स्टेशन की तरफ निकल पड़ते है। मगर यही सर्दियों का मौसम गठिया के मरीजों के लिए बेहद कष्टकारी साबित होता है। ठंड के इस मौसम में अगर गठिया के मरीज थोड़ी सी सावधानियों का बरतें, तो उन्हें बहुक कम परेशानी होगी। आहार एवं पोषण विशेषज्ञ मनीषा अग्रवाल कहती हैं कि गठिया के मरीज हरी पत्तेदार सब्जियों एवं बहुत ज्यादा खट्टी चीजों को अपने आहार में शामिल न करें।

मनीषा अग्रवाल बताती हैं कि गठिया से ग्रसित लोगों को नारियल पानी तथा  फलों के जूस का सेवन दिन के वक्त ही करना चाहिए। रात के खाने में गोभी, मटर, मूली और दाल का सेवन न करें। बल्कि अपने आहार में अदरक तथा  कच्ची हल्दी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। अदरक तथा कच्ची हल्दी का सेवन सर्दियों के मौसम में बेहत गुणकारी होता है। खासतौर पर ऐसे लोगों के लिए जो गठिया ग्रसित हैं या जिन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है।

मनीषा अग्रवाल के मुताबिक सर्दियों के मौसम में मिलने वाला बथुआ का साग गठिया के मरीजों के लिए रामबाण औषधि माना जाता है। इसलिए रात के खाने में बथुआ का प्रयोग किसी भी रुप में करना चाहिए। आहार एवं पोषण विशेषज्ञ मनीषा अग्रवाल अग्रवाल बताती है कि गठिया के मरीज सर्दियों के मौसम में एक सेब खाएं और दिन में एक बार अलसी के बीजों को चबा-चबाकर खाएं। गठिया के रोगियों को दिन में ढेर सारा पानी पीने की सलाह दी जाती है। मगर इसका अर्थ यह नहीं है कि मरीज तरल पदार्थ की आड़ में सॉफ्ट ड्रिंक और अल्कोहल का सेवन करने लगते है। यह बहुत हानिकारक होता है। ठंड के मौसम में गठिया के मरीज सॉफ्ट ड्रिंक, सोडा और मीठे पेय पदार्थों के सेवन से बचकर रहें। इसके स्थान पर गाजर, चकुंदर और अदरक के सूप का सेवन करें और ब्रोकली को रात के खाने में प्राथमिकता दें।

 

मनीषा अग्रवाल कहती हैं कि सर्दियों का मौसम गठिया के मरीजों को किसी पहाड़ की तरह लगता है। ठंड से उनकी समस्या और ज्यादा बढ़ जाती है। लिहाजा अपनी दिनचर्या में थोडा-बहुत बदलाव करके गठिया के मरीज बहुत हद तक ठंड के मौसम में बेहतर तरीके से रह सकते हैं। गठिया के मरीजों को ठंड के कारण सूजन की शिकायत होने लगती है, ऐसे में उन्हें लहसुन का इस्तेमाल करना चाहिए। लहसुन में डायलाइट, डाइसल्फाइड, एलिसिन, सेलेनियम और एजोएन जैसे तत्व होते है, जो एंटी इन्फ्लामेट्री (सूजन) को कम करने में बहुत फायदेमंद होते है।

मनीषा अग्रवाल कहती है कि सर्दियों के मौसम में गठिया के मरीजों को ज्यादा तेल-घी और अधिक नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। चाय के स्थान पर ग्रीन टी और चीनी के स्थान पर शहद का इस्तेमाल करना चाहिए। अंकुरित चना एवं दाल और बीन्स की सब्जी को मरीज अपने खाने में शामिल करेंगे तो उन्हें ठंड के प्रकोप से निजात मिलेगी।

गठिया के मरीजों को प्रोटीन युक्त आहार की जरूरत होती है। ठंड के इस मौसम में मशरूम, ओट्स, अंकुरित चने को प्रोटोन का बढिया सौत्र माना जाता है। मनीषा अग्रवाल कहती हैं कि गठिया के मरीज इन वस्तुओं को अपने खानपान में शामिल करें और दिन में कभी भी केला स्ट्रॉबेरी अंगूर और पपीता जैसे फलों का सेवन करें।

आहार एवं पोषण विशेषज्ञ मनीषा अग्रवाल कहती है कि देश में 15 फीसदी आबादी में गठिया की बीमारी बढ़ रही है बुजुर्गों के साथ ही युवा भी इसकी चपेट में आ रहे है। हमारी बदलती दिनचर्या के कारण गठिया जैसा रोग पनप रहा है। मगर अगर हम अपनी दिनचर्चा और खानपान के व्यवहार में थोडा सा परिवतर्तन करें और सावधानी बरते तो गठिया जैसे रोग से निजात पा सकते हैं।

मनीषा अग्रवाल, आहार एवं पोषण विशेषज्ञ

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