दिल्ली:
गरीब सवर्णों को आरक्षण के मानकों की समीक्षा के लिए बनी तीन सदस्यीय समिति जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दायर करेगी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक समिति ने इस संबंध में 90 पेज की अपनी रिपोर्ट तैयार की है और जल्द ही इस उच्चतम न्यायालय में दायर करेगी।
आपको बता दें कि सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों (EWS) को शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है। नीट (NEET) राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा के जरिए एडमिशन में 10 फीसदी ईडब्लूएस कोटा दिए जाने के सरकार के फैसले को चुनौती दी गई तो याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कई सवाल किए। ऐसे में सरकार ने समीक्षा के लिए 30 नवंबर को एक समिति गठित कर दी थी।
सरकार की र से गठित इस समिति में पूर्व वित्त सचिव अजय भूषण पांडे, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव प्रोफेसर वीके मल्होत्रा और भारत सरकार के प्रमुख आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल शामिल हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस समिति ने 10 प्रतिशत ईडब्लूएस आरक्षण के तहत सामान्य श्रेणी के लिए सरकार द्वारा तय की गई 8 लाख रुपये सालाना आय की लिमिट में कोई बदलाव की सिफारिश नहीं की है। समीक्षा के दौरान समिति ने पाया कि NEET 2020 में ईडब्लूएस कोटा के तहत लाभ लेने वाले 91 फीसदी छात्रों के परिवार की सालाना आय 5 लाख रुपये से भी कम थी। समिति ने UPSC और JEE को लेकर भी कुछ ऐसे ही डेटा उपलब्ध कराए हैं।
सूत्रों का कहना है कि कमेटी ने EWS कोटा के मसले और 8 लाख सालाना आय की सीमा को लेकर विस्तार से समीक्षा की है। कमेटी ने सरकार के इस फैसले की वजह समझाने के लिए डेटा भी उपलब्ध कराया है।’ समिति ने मेजर जनरल एसआर सिन्हो कमीशन की रिपोर्ट का भी अध्ययन किया है जिसके आधार पर मोदी सरकार ने EWS कोटा लाने के लिए संवैधानिक संशोधन किया।
आपको बता दें कि ओबीसी (OBC) यानी अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए भी आय की सीमा 8 लाख रुपये है और सामान्य वर्ग के लिए भी आठ ही लाख रुपये है। इस पर कोर्ट ने मंत्रालय से सवाल किया था कि यह आय की सीमा कैसे तय की गई और क्या सरकार असमान को समान बना रही है। सरकार ने मामले की फिर से समीक्षा करने का प्रस्ताव रखा क्योंकि उसे यह आशंका थी कि कोर्ट ईडब्लूएस कोटा खत्म न कर दे।