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चुनावी राज्यों में वैक्सीनेश और टेस्टिंग को बढ़ाने का केंद्र ने दिया निर्देश, चुनाव टालने के मूड में नहीं है चुनाव आयोग

दिल्लीः केंद्र सरकार और चुनाव आयोग अगले साल यूपी सहित पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को लाटने के मूड में नहीं है। कोरोना वायरस की तीसरी लहर की आशंका के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने उत्तर प्रदेश,  गोवा, मणिपुर, और पंजाब के अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की। इस दौरान उन्होंने इन राज्यों में वैक्सीनेशन और टेस्टिंग बढ़ाने के निर्देश दिए गए।

इससे पहले चुनाव आयोग ने सोमवार को दिल्ली में चुनावी राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों के साथ बैठक की। सूत्रों ने बताया कि चुनाव आयोग अपने शेड्यूल पर टिका रहना चाहता है। आयोग ने चुनावी राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर के स्वास्थ्य सचिवों के साथ ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों पर चर्चा की है। इन राज्यों में वैक्सीन कवरेज और ओमिक्रॉन केसेज का आंकड़ा भी मांगा है।

वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने चुनाव आयोग को कोरोना के हालातों के बारे में बताया। अब राज्यों को यह भी बताना है कि वे केंद्र के साथ मिलकर क्या काम कर रहे हैं। इसी रिपोर्ट के आधार पर जनवरी के पहले हफ्ते में बैठक होगी।

आपको बता दें कि विशेषज्ञों चेतावनी दी है कि कुछ ही दिनों में ओमिक्रॉन के रूप में कोरोना की तीसरी लहर भी आ सकती है। लिहाजा चुनाव आयोग कुछ सख्त कदम उठा सकता है। चुनाव के पहले राज्यों के हालात को समझ कर इसका फैसला किया जाएगा। चुनाव को लेकर अधिसूचना जनवरी में जारी हो सकती है।

सूत्रों के मुताबिक ओमिक्रॉन को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की रिपोर्ट के बाद संभव है कि चुनाव आयोग बड़ी रैलियों और जनसभाओं पर रोक लगा दे। वर्चुअल और डोर-टु-डोर कैंपेन की इजाजत मिले। चुनाव प्रचार के तरीकों में बदलाव के साथ मास्क और दो गज की दूरी को पूरी तरह से लागू किया जा सकता है।

अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर चुनाव को टाला नहीं जा सकता है। इसका जवाब यह है कि चुनाव आयोग के अभी तक रुख को देखने से  चुनावों के टलने की संभावना बहुत कम है। अधिकारियों के मुताबिक चुनाव टालने से कई तरह के बड़े निर्णय लेने होंगे। जैसे, जिन राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो चुका है वहां राष्ट्रपति शासन लगाना होगा। सारी तैयारियां भी नए सिरे से करनी होंगी। हालांकि चुनाव आयोग इस बार प्रचार और भीड़ प्रबंधन पर एहतियातन कड़े कदम उठा सकता है।

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