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मांझी बार-बार क्यों बोलते हैं विवादित बोल, राम, ब्राह्मण, शराब, सवर्ण और हनीमून जैसे शब्दों से मांझी का क्या है नाता

पटनाः बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी एक बार फिर चर्चा में हैं। राजनीतिक गतिविधियों से ज्यादा अपने बयानों के लिए सुर्खियों में रहने वाले मांझी ने इस बार ब्राह्मणों को लेकर विवाद बयान दिया है, जिसको लेकर बिहार में राजनीति गर्मा गई है। उनके थानों में शिकायतें दर्ज करवा जा रही है। एक बीजेपी नेता ने तो मांझी की जुबान काटने वालों को 11 लाख रुपये इनाम के तौर पर देने की घोषणा तक कर डाली है। आपको बता दें कि मांझी ने पहली बार इस तरह के विवादित बयान नहीं दिया है। जीतन राम मांझी ऐसे कार्यक्रमों में मुखर होकर बोलते हैं, इस दौरान कई बार वह सीमाएं लांघ जाते हैं। चलिए आपको मांझी के कुछ विवादित बयानों के बारे में बताते हैं।

हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता मांझी ने 2014 में मांझी ने ये तहलका मचा दिया था कि बिहार के बेरोजगार युवा जब रोजगार के लिए घर से बाहर जाते हैं तो उनकी पत्नियां घर में क्या करती हैं, ये सोचने वाली बात है। आपको बता दें कि  जीतन राम मांझी के ज्यादातर विवादित बयान उनके बिहार के मुख्यमंत्री बनने के बाद आए हैं। मांझी 20 मई 2014 से लेकर 20 फरवरी 2015 तक बिहार के सीएम रहे थे।

पूर्व सीएम जीतन राम मांझी कई बार कह चुके हैं कि शराब पीना बुरा नहीं है। उन्होंने 2014 में ही कहा था कि महादलितों को थोड़ी थोड़ी शराब पीनी चाहिए। शराब थोड़ा पीने में हर्ज नहीं है। दिन में नहीं रात में थोड़ी- थोड़ी पिया करें। उन्होंने इस बयान को दोहराया भी था। जीतन राम मांझी ने कहा कि बिहार में आईएएस-आईपीएस (IAS-IPS)  भी शराब पीते हैं, अगर आपको भी रात को शराब पीना है तो 10 बजे रात के बाद पिया करेंछ

जीतन राम मांझी ने 18 दिसंबर 2021 को पंडितों-मुसहरों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए पंडितों यानी ब्राह्मणों के लिए अपशब्द का प्रयोग किया था। उन्होंने कहा था कि अब दलित समाज पूजा पाठ ज्यादा करने लगा है। पहले ये समाज प्रकृति पूजा करता था, लेकिन अब सत्यनारायण कथा करवाने लगा है। उन्होंने कहा, “आजकल गरीब तबके के लोगों में धर्म की परायणता ज्यादा आ रही है। सत्यनारायण भगवान की पूजा का नाम हम लोग नहीं जानते थे। … अब हर टोला में हम लोगों के यहां सत्यनारायण भगवान पूजा होती है. इतना भी शर्म लाज नहीं लगता है कि पंडित … आते हैं  और कहते हैं कि कुछ नहीं खाएंगे आपके यहां…बस कुछ नगद दे दीजिए।“

ब्रह्माणों के खिलाफ राम मांझी के बयान से बिहार की राजनीति में उबाल आ गई। कई पार्टियों ने उनसे तुरंत माफी की मांग की। वहीं दबाव में झुकते हुए जीतन राम मांझी ने माफी मांग ली, लेकिन माफी मांगते हुए भी उन्होंने नया विवाद खड़ा कर दिया।

हिंदुस्तानी आवाम पार्टी के अध्यक्ष ने अपनी सफाई में कहा, “मैंने ब्राह्मणों के लिए कोई अपशब्द नहीं कहा है। ब्राह्मणों की आस्था को ठेस पहुंची है तो मैं उसके लिए माफी मांगता हूं। हमारा समाज मां शबरी और तुलसी जैसे देवी-देवताओं की पूजा नहीं कर रहे हैं। पहले करते थे, लेकिन यह …लोग अब सत्यनारायण भगवान की पूजा करते हैं। इन्हें शर्म नहीं आती है। …शब्द हमने अपने समाज के लिए कहा है।

पूर्व सीएम जीतन राम मांझी भगवान राम को लेकर भी विवादित बयान दे चुके हैं। उन्होंने कहा था कि वे भगवान राम को नहीं मानते हैं। वे काल्पनिक पुरुष हैं। उन्होंने कहा कि रामायण में अच्छी बातें हैं, लेकिन वे राम को भगवान नहीं मानते हैं। इसके अलावा जीतन राम मांझी यह भी कह है चुके हैं कि वे मूर्तियों की पूजा नहीं करते हैं,बल्कि वे प्रकृति की पूजा करते हैं। माता शबरी की पूजा करते हैं।

आपको बता दें कि 2014 में जीतन राम मांझी की एक बयान के लिए काफी आलोचना हुई थी। उस समय उन्होंने गोपालगंज कहा था, “बिहार से लोग आजीविका कमाने के लिए असम महाराष्ट्र और गुजरात जाते हैं… मेरे शब्दों को अन्यथा न लें, लेकिन यह सच है। एक युवक अपनी पत्नी को छोड़कर पैसा कमाने के लिए दूसरी जगह चला जाता है। आप एक साल बाद लौटते हैं। आपकी पत्नी घर पर क्या कर रही है, आप उसकी हरकतों से पूरी तरह अनजान हैं। यह बात नीतीश जी और मांझी को समझ आ गई और हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं। ”

जीतन राम मांझी ने इसी साल जनवरी में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान पर निशाना साधते हुए कहा था कि ये जब भी देश या बिहार में किसी प्रकार का संकट आता है तो ये तीनों नेता हनीमून मनाने के लिए चले जाते हैं। आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव और बिहार विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव कई दिनों तक पटना में नजर नहीं आए थे। इस दौरान जीतन राम मांझी ने कहा था कि बिहार में जब भी कोई गंभीर समस्या आती है चाहे वह बाढ़ हो, चमकी बुखार हो या फिर किसान आंदोलन का मुद्दा हो, तेजस्वी हमेशा ऐसे मौकों पर बिहार से गायब रहते हैं।

यहीं नहीं सवर्ण जातियों को जीतन राम मांझी विदेशी मूल का भी बता चुके हैं। उन्होंने आर्य के आगमन पर चर्चा के दौरान कहा था कि उच्च जाति के लोग विदेशी हैं और आर्य जाति के वंशज हैं…वे विदेशों से यहां आए हैं। मांझी ने कहा था कि केवल आदिवासी और दलित ही स्वदेशी लोग हैं। बिहार की सवर्ण जातियों के नेताओं ने जीतन राम मांझी की इस टिप्पणी की कड़ी आलोचना की थी।

Shobha Ojha

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