वाराणसीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं। पीएम आज वाराणसी पहुंचे, जहां पर उन्होंने सबसे पहले काशी के कोतवाल काल भैरव की आरती की और उनसे अनुमति लेकर वह खिरकियां घाट पहुंचे। यहां से क्रूज में बैठकर ललिता घाट गए, जहां गेरुआ वस्त्र धारण किये हुए पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाई। आपको बता दें कि मोदी आज काशी विश्वनाथ धाम (कॉरिडोर) का लोकार्पण करेंगे।
इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने के लिए देश के प्रमुख शंकराचार्य, महामंडलेश्वर, श्रीमहंत सहित सनातन धर्म के सभी संप्रदायों के प्रमुख और गणमान्य लोग काशी पहुंच गए हैं। वहीं, विश्वनाथ धाम के साथ सजकर तैयार पूरी काशी मंत्रोच्चार और शंखनाद से गूंजेगी। विश्वनाथ धाम लोकार्पण उत्सव का देश में 51 हजार स्थानों पर लाइव प्रसारण किया जाएगा
मोदी ने गंगा में लगाई डुबकी, सूर्यदेव को किया प्रणाम
#WATCH | PM Narendra Modi offers prayers, takes a holy dip in Ganga river in Varanasi
The PM is scheduled to visit Kashi Vishwanath Temple and inaugurate the Kashi Vishwanath Corridor project later today
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— ANI UP (@ANINewsUP) December 13, 2021
योगी संग मोदी ने की क्रूज की सवारी
#WATCH | PM Narendra Modi wave to the people lining up the ghats of Ganga river as he travels to Khirkiya Ghat to Laita Ghat in a double-decker boat
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— ANI UP (@ANINewsUP) December 13, 2021
प्रधानमंत्री मोदी अलकनंदा क्रूज पर सवार होकर ललिता घाट गए। इस दौरान उनके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री ने क्रूज से हाथ हिलाकर घाट पर मौजूद गंगा भक्तों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया। लोगों में भी उत्सुकता देखी गई और घाटों पर भीड़ बढ़ गई। काशि में आज हर तरफ बम बम भोले, हर हर महादेव के नारों की गूंज सुनाई दे रही है।
पीएम मोदी काल भैरव मंदिर में आरती करते हुए
#WATCH Prime Minister Narendra Modi offers prayers at Kaal Bhairav temple in Varanasi
Later, he will offer prayers at Kashi Vishwanath temple inaugurate phase 1 of Kashi Vishwanath Corridor
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मोदी का काशी में जबर्दस्त स्वागत
#WATCH | People greet Prime Minister Narendra Modi in his parliamentary constituency Varanasi, Uttar Pradesh
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— ANI UP (@ANINewsUP) December 13, 2021
बाबा विश्वनाथ की नगरी पहुंचे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय दौरे के पहले चरण में वाराणसी पहुंचे।, जहां यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और ने उनका स्वागत किया।
मोदी वाराणसी में करीब 30 घंटे रहेंगे। वह आज यहां काशी विश्वनाथ धाम (कॉरिडोर) का लोकार्पण करने के साथ शिव दीपावली देखेंगे। वहीं अगले दिन यानी मंगलवार को बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करेंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा तथा केशव प्रसाद मौर्य मेजबान के रूप में पूरे कार्यक्रम में रहेंगे।
तय कार्यक्रम के मुताबिक प्रधानमंत्री कालभैरव मंदिर में दर्शन-पूजन करेंगे। वहां से खिड़किया घाट पहुंचेंगे। यहां से क्रूज पर सवार होकर पीएम विश्वनाथ धाम के लिए रवाना होंगे। ललिता घाट स्थित गेटवे ऑफ कॉरिडोर से काशी विश्वनाथ मंदिर में माथा टेक धाम का लोकार्पण करेंगे। वहां से वापस खिड़किया घाट आकर बनारस रेल इंजन कारखाने (बरेका) के गेस्ट हाउस जाएंगे।
पीएम मोदी सोमवार की शाम क्रूज से दीपों से सजे घाटों की निराली छटा देखने निकलने से पहले शहर के कुछ विशिष्टजन से मुलाकात कर सकते हैं। बरेका गेस्ट हाउस में रात्रि विश्राम के बाद 14 दिसंबर को बरेका सभागार में मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में शामिल होंगे। यहां अलग-अलग सत्रों में मुख्यमंत्री केंद्र सरकार की योजनाओं के अमल और राज्यों की प्रगति पर प्रस्तुतीकरण देंगे। करीब चार घंटे की इस बैठक के बाद सभी मुख्यमंत्री दोपहर के भोजन के समय प्रधानमंत्री के साथ होंगे।
क्या है काशी विश्वनाथ धाम में खासः
- चुनार के गुलाबी पत्थरों से सजा विश्वनाथ धाम पिंक सिंटी की तरह
- गंगा व्यू गैलरी से भक्तों को दिखेगा विश्वनाथ दरबार और गंगा की अविरल धारा
- पाइप लाइन से विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह तक आएगी गंगधार
- पहला ऐसा आध्यात्मिक केंद्र जहां भारत माता की भी प्रतिमा
- आदि शंकराचार्य और महारानी अहिल्याबाई की भी प्रतिमा लगी
- मुख्य मंदिर परिसर का विस्तार कर 80 फीट लंबे और 40 फीट चौड़ा परिक्रमा पथ
- 157 जोड़ी खंभों पर बना है परिक्रमा मंडप
- 352 साल बाद ज्ञानवापी मंडप-कूप और आदि विश्वेश्वर के नंदी मुख्य मंदिर का हिस्सा
- चारों दिशाओं में 32 फीट ऊंचे और 40 फीट चौड़े किले जैसे फाटक
- विशाल मंदिर चौक में एक समय में रह सकेंगे 50 हजार श्रद्धालु
- शिव वन में दिखेंगे रुद्राक्ष, हरसिंगार, मदार आदि के वृक्ष
- वाराणसी गैलरी में दिखेगी इतिहास से लेकर पहचान से जुड़ी हर चीज
- कॉरिडोर एरिया के मकानों में कैद रहे 27 प्राचीन मंदिरों की मणिमाला
- मंदिर परिसर में संगमरमर पर उकेरा गया है काशी के महात्म्य का चित्रात्मक वर्णन
#WATCH The Kashi Vishwanath Corridor provides an accessible pathway connecting Shri Kashi Vishwanath Temple to the banks of the River Ganga in Varanasi
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निर्माण से जुड़ी विशेष बातें-
- चुनार के बलुआ पत्थर के अलावा सात प्रकार के लगे हैं पत्थर
- मकराना के दूधिया मार्बल से फ्लोरिंग
- जैसलमेर का मंडाना स्टोन घाट किनारे सीढि़यों पर
- वैदिक केंद्र, संग्रहालय व खास भवनों में ग्रेनाइट और कोटा
- भूकंप और भूस्खलन से बचाने को पत्थरों को जोड़ा गया है पीतल की प्लेटों से
- 18 इंच लंबी तथा 600 ग्राम वजन की पीतल प्लेटों को कसने के लिए 12 इंच की गुल्ली
- पीतल और पत्थरों के बीच की जगह भरने को केमिकल लेपाक्स अल्ट्रा फिक्स का इस्तेमाल
श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं-
- तीन विश्रामालय, वैदिक केंद्र स्प्रीचुअल बुक स्टोर
- कल्चरल सेंटर, टूरिस्ट फैसिलटेशन सेंटर, सिटी म्यूजियम
- मोक्ष भवन में 18 दंपतियों के रहने की सुविधा
- भोगशाला व दशनार्थी सुविधा केंद्र, पुजारी विश्राम कक्ष
- गंगा तट से विश्वनाथ मंदिर जाने के लिए लगा है एस्केलेटर
एक नजर इन पर भी-
- मार्च 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था शिलान्यास
- अक्टूबर 2019 में जारी हुआ ग्लोबल टेंडर
- जनवरी 2020 मकर संक्रांति से शुरू हुआ निर्माण
- 345 करोड़ की लागत से हुआ धाम का निर्माण
- 339 करोड़ की लागत से धाम के लिए खरीदे गए 300 भवन
- 5.3 लाख वर्ग फुट में बना है विश्वनाथ धाम
- विश्वनाथ मंदिर से गंगा तट का 400 मीटर में बना है धाम
- 30 फीसदी क्षेत्र में बने हैं 24 भवन, शेष खुला या हरियाली को समर्पित
- 5.43 करोड़ रुपये से हाईटेक सुरक्षा व्यवस्था
- इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर से नियंत्रण
- मंदिर व आसपास चार स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था
- एयर सर्विलांस सिस्टम से आकाश में निगरानी
विश्वनाथ मंदिर का इतिहासः
1669 में मुगल शासक औरंगजेब के फरमान से आदि विश्वेश्वर के मंदिर को ध्वस्त किए जाने के बाद 1777 में मराठा साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई ने विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। इसके बाद वर्ष 1835 में राजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखर को स्वर्ण मंडित कराया तो राजा औसानगंज त्रिविक्रम सिंह ने मंदिर के गर्भगृह के लिए चांदी के दरवाजे चढ़ाए थे।
काशी विश्वनाथ से संबंधित महत्वपूर्ण कालखंड पर नजर डालें तो औरंगजेब से पहले 1194 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने काशी विश्वनाथ मंदिर पर हमला किया था। 13वीं सदी में एक गुजराती व्यापारी ने मंदिर का नवीनीकरण कराया तो 14वीं सदी में शर्की वंश के शासकों ने मंदिर को नुकसान पहुंचाया। 1585 में एक बार फिर टोडरमल द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया था। अब 436 साल में तीसरी बार मंदिर का जीर्णोद्धार विश्वनाथ धाम के रूप में हुआ है।
रुद्राक्ष के पेड़ों से होकर बाबा तक पहुंचेंगे श्रद्धालु
करीब ढाई सौ साल पहले महारानी अहिल्याबाई के बाद अब विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार विश्वनाथ धाम के रूप में सामने आया है। वास्तविक रूप से धर्म नगरी में आने और आनंद कानन का अहसास कराने वाला चुनार के गुलाबी पत्थरों की आभा से दमकता विश्वनाथ धाम रिकॉर्ड समय यानी 21 महीने में बनकर तैयार हुआ है। 50 हजार वर्गमीटर एरिया वाले विश्वनाथ धाम का प्रधानमंत्री ने 8 मार्च 2019 को शिलान्यास किया था। निर्माण जनवरी 2020 में शुरू हुआ। निर्माण पर करीब 700 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। सात तरह के पत्थरों से विश्वनाथ धाम को सजाया गया है। यहां आने वाले श्रद्धालु रुद्र वन यानी रुद्राक्ष के पेड़ों के बीच से होकर बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने पहुंचेंगे।
अध्यात्म, राष्ट्रवाद का केंद्र
चुनार के गुलाबी पत्थरों की आभा से दमकता विश्वनाथ धाम रेकॉर्ड 21 महीने में बनकर तैयार हुआ है। 50 हजार वर्गमीटर एरिया वाले विश्वनाथधाम के निर्माण पर करीब 700 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। गुलाबी पत्थरों के अलावा दूधिया मार्बल और बालेश्वर समेत 7 तरह के पत्थरों से चमकता विश्वनाथ धाम अध्यात्म के साथ राष्ट्रवाद के केंद्र के रूप में सामने होगा। यहां आने वाले श्रद्धालु रुद्र वन यानी रुद्राक्ष के पेड़ों के बीच से होकर बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने पहुंचेंगे। इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने के लिए देश के प्रमुख शंकराचार्य, महामंडलेश्वर, श्रीमहंत समेत सनातन धर्म के सभी संप्रदायों के प्रमुख काशी पहुंच चुके हैं।