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382 दिन बाद दिल्ली की सीमाओं पर से अपने घर लौटेंगे किसान, संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन स्थगित करने का किया ऐलान

दिल्लीः केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान 11 दिसंबर से अपने घर वापसी करने लगेंगे। इस तरह से करीब 382 दिन बाद किसान सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर समेत तमाम जगहों से अपने घर लौटेंगे। 13 दिसंबर को किसान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में अरदास करेंगे और अपने घरों को पहुंच जाएंगे। आपको बता दें कि सरकार की ओर से मिले नए प्रस्ताव पर किसान संगठनों में सैद्धांतिक सहमति पहले बन गई थी, लेकिन गुरुवार दोपहर को इस पर लंबी चर्चा के बाद फैसला लिया गया।

संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से आज कहा गया कि आंदोलन सस्पेंड हो रहा है, हर महीने स्थिति की समीक्षा होगी। 15 जनवरी को समीक्षा बैठक होगी। बैठक के बाद किसान नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें जोर देकर और कई बार कहा कि आंदोलन सस्पेंड हो रहा है, स्थगित हो रहा है। उन्होंने साफ किया कि अगर सरकार अपने वादों से पीछे हटेगी तो किसान फिर सड़कों पर उतरेंगे। किसान नेताओं ने तंजिया लहजे में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘काले कानून’ लाने के लिए धन्यवाद क्योंकि इससे किसानों में जागरूकता और अभूतपूर्व एकता पैदा हुई।

एमसपी पर कमिटी बनाने और आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए केस को वापस लेने को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से लिखित आश्वासन के बाद किसानों में आंदोलन खत्म करने पर सहमति बनी। आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजे के मसले पर यूपी और हरियाणा की सरकारों ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। केंद्र की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव पर गुरुवार सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक की। बैठक में इस बात पर सहमति बन गई कि आंदोलन खत्म किया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक शुरू होने से पहले ही आंदोलन स्थलों से किसानों ने अपने टेंट हटाने शुरू कर दिए थे।

किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसान 11 दिसंबर को विजय जुलूस के साथ अपने-अपने घरों को लौटना शुरू करेंगे। वहीं दर्शनपाल सिंह ने कहा कि किसान 11 दिसंबर को सड़कें खाली कर देंगे।

किसानों की मांगें माने जाने को किसान संगठनों ने आंदोलन की बड़ी जीत करार दिया है। हालांकि, आज संयुक्त किसान मोर्चा ने जीत का जश्न नहीं मनाने का फैसला किया है। उनका कहना है कि पूरा देश सीडीएस जनरल बिपिन रावत के असामयिक निधन से गमगीन है, लिहाजा किसान जश्न नहीं मनाएंगे।

किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि यह किसानों की ऐतिहासिक जीत है। हम उन लोगों से माफी मांगते हैं जिन्हें प्रदर्शन के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ा। भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने कहा कि 15 दिसंबर तक किसान आंदोलन स्थलों को पूरी तरह खाली कर देंगे।

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