दिल्लीः सर्दी के मौसम में हरी मटर की आवग बढ़ जाती है। यह लेग्युमिनोसी परिवार से संबंध रखती है। आपको बता दें कि इस परिवार से दाल, बीन्स, मूंगफली और चिकपीस भी आती हैं। हरी मटर भारत में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली और काई जाने वाली सब्जियों में शुमार है। इसमें फाइबर, प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन ए, ई, डी, सी, के और कोलीन, पैंटोथैनिक एसिड, राइबोफ्लेविन जैसे यौगिक भी पाए जाते हैं, जो इसे सब्जियों में एक खास जगह देते हैं। इसके साथ ही इसमें कार्ब्स भी अधिक मात्रा में होता है, लेकिन इसके कुछ अवगुण भी हैं, जो इसके अधिक सेवक करने से देखने को मिल सकते हैं। तो चलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं इसके भयंकर साइड इफेक्ट के बारे में-
हरी मटर के छिलके को उतारने के कुछ समय बाद इसका स्वाद और पोषक तत्वों में भी बदलाव होने लगता है। इसलिए मटर ताजी ही खाने की सलाह दी जाती है। हरी मटर इन सभी गुणों के अलावा इसके अधिक सेवन से कुछ भयंकर साइड इफेक्ट भी देखने को मिल सकते हैं। तो चलिए अब आपको बताते हैं इसके साइड इफेक्ट के बारे में।
विटामिन K अधिक होने का खतराः
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि विटामिन K के जरिए हड्डियां तो स्वस्थ रहती ही है। साथ ही यह कैंसर से भी बचाए रखने में सहायता करती है, लेकिन यदि शहीर में विटामिन K शरीर में मौजूद होने पर यह न केवल खून को पतला करता है। बल्कि प्लेटलेट्स को भी कम कर देता है। इसके अलावा घाव भरने और टिशू के जल्दी रिपेयर होने में भी बाधा उत्पन्न कर सकता है। साथ ही ऐसे लोग जिनका पेट संवेदनशील है, पेट में अल्सर है, रक्त के थक्के बनते हैं, थ्रोम्बोफ्लिबिटिस जैसी दिक्कतें हैं उन लोगों के लिए भी मटर का सेवन नुकसानदायक हो सकता है।
डायरिया का खतराः
हरी मटर के सेवन से इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम और डायरिया की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है। ऐसे में अगर हरी मटर का सेवन ब्राउन राइस और सोया जैसे उत्पादों के साथ करना चाहिए। इससे पेट की शक्ति बेहतर हो जाती है और इसके दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है। यदि आप मटर के इस तरह के दुष्प्रभावों से बचना चाहते हैं तो डिब्बाबंद या फ्रीज मटर का सेवन कम करें या ना करें। क्योंकि कई बार स्वाद बेहतर करने के लिए इनमें मिलावट की जाती है जो इन समस्याओं को जन्म दे सकती है।
गैस की समस्याः
हरी मटर को एक हाई कार्ब्स डाइट में भी गिना जाता है। इसके साथ ही इसके अंदर शुगर की मात्रा भी बहुत ज्यादा होती है, जो आसानी से पचाई नहीं जा सकती। ऐसे में जब भी आप मटर का अधिक सेवन करते हैं तो यह आसानी से नहीं पचती, जिसकी वजह से पेट फूलना, सूजन और गैस जैसी समस्याएं होने लगती हैं। यही नहीं इसे अच्छी तरह पकाने के बाद भी मटर में यह खामियां रह ही जाती हैं। इसलिए मटर का सेवन सीमित मात्रा में ही करें।
वजन में वृद्धिः
हरी मटर कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए जानी जाती हैं। फाइबर आपके मल त्यागने की क्रिया को आसान बनाता है और आपको असमय खाने से बचाता है। लेकिन हरी मटर में मौजूद प्रोटीन और कार्ब्स आपके वजन और मोटापे में भी इजाफा कर सकता है। ऐसे में मोटापे और बढ़ते वजन की समस्या से बचे रहने के लिए जरूरी है कि हरी मटर को ना केवल अच्छी तरह पकाया जाए। बल्कि पकाने से पहले इसे कुछ देर के लिए भिगोकर भी रखा जाए।
गठिया की समस्याः
हरी मटर की अधिक सेवन से गठिया की समस्या पैदा हो सकती है। इसकी वजह है इसमें मौजूद प्रोटीन, अमीनो एसिड, फाइबर और विटामिन डी, जो हड्डियों के लिए लाभदायक होता है, लेकिन जब हरी मटर का सेवन अधिक मात्रा में किया जाता है तो इसकी वजह से गाउट की समस्या पैदा हो जाती है जिसमें जोड़ों में भयंकर दर्द होने लगता है।
आगे चलकर अर्थराइटिस की शक्ल ले लेती है। हरी मटर के अधिक सेवन से शरीर में यूरिक एसिड का अधिक प्रवाह होने लगता है, जिसे किडनी मूत्राशय के जरिए बाहर निकालने में असमर्थ हो जाती है। यही स्थिति दाल और बीन्स के अधिक सेवन से भी होने लगती है। ऐसे में जब भी मटर का सेवन करें तो डॉक्टर की सलाह जरूर ले।
एंटी न्यूट्रीएंटः
हरी मटर का एक अवगुण एंटी न्यूट्रीएंट है। इसमें फाइटिक एसिड और लेक्टिन्स जैसे एंटी न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं। यह शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषित होने में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं, जिसकी वजह से शरीर में जिंक, आयरन, और मैग्नीशियम की कमी हो सकती है। इसकी वजह से व्यक्ति कुपोषित भी हो सकता है। साथ ही यह आंत के अच्छे बैक्टीरिया के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है।
इन एंटी न्यूट्रिएंट्स से बचने के लिए जरूरी है कि आप इसे अच्छी तरह पकाएं या फिर हरी मटर को खाने से पहले कुछ देर पानी में भिगोकर रखे। हालांकि यह एंटी न्यूट्रीएंट मटर के अंदर थोड़े कम होते हैं। बजाय दूसरे लेग्युमिनोसी के उत्पादों में यह ज्यादा मात्रा में होते हैं। लेकिन मटर का सेवन भी सही तरह और सही मात्रा में ही करना चाहिए।
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