दिल्लीः केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है कि नागालैंड में सेना की फायरिंग एक गलती थी। आपको बता दें कि सेना की फायरिंग में 14 नागरिकों की मौत के बाद विपक्ष ने संसद में सरकार से जवाब मांगा था। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में इस घटना पर सरकार का पक्ष रखा और नागालैंड में घटित घटना पर खेद जताया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में मारे गये लोगों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती है।
शाह ने कहा कि सरकार माहौल को शांत करने का प्रयास कर रही है और इसके लिए वह खुद बराबर राज्य सरकार के संपर्क में हैं। केंद्र सरकार के पूर्वोत्तर मामलों के वरिष्ठ अधिकारी को घटना स्थल पर भेजा गया है। इसके साथ ही इस घटना की जांच के आदेश दिये गये हैं और एक माह में रिपोर्ट देने को कहा गया है।
उन्होंने घटना के बारे में विस्तृत विवरण देते हुए कहा कि सेना को एक वाहन से उग्रवादियों की गतिविधि की सूचना मिली थी, इसलिए उसके कमांडो संदिग्ध जगह पर पहुंचे और वाहनों की चेकिंग करने लगे। वहां से गुजर रहे एक वाहन को जब रुकने का इशारा किया गया तो वाहन को रोकने की बजाय चालक उसे भगाने की कोशिश करने लगा।
उन्होंने कहा कि इस वाहन में उग्रवादियों के होने के संदेह के कारण सुरक्षा बल के जवानों ने वाहन पर गोलीबारी शुरू कर दी। इस वाहन में आठ लोग सवार थे। गोलाबारी की घटना में आठ में से दो लोग घायह हो गये। बाद में वाहन में उग्रवादियों के होने की आशंका गलत पाई गई तो सेना के जवानों ने घायल लोगों को अस्पताल में पहुंचाया और उनका इलाज कराना शुरू किया।
गृहमंत्री ने कहा कि घटना की सूचना मिलते ही कुछ स्थानीय लोग वहां एकत्र हो गये और सुरक्षा बल के वाहनों को क्षति पहुंचाने लगे। उन्होंने वहां आगजनी भी की और जवानों पर हमले किये जिसमें कई जवानों घायल हो गये। सुरक्षा बल के जवानों ने अपने बचाव में तथा भीड़ को तितर-बितर करने के लिए गोली चलाई जिसमें सात और नागरिकों की मृत्यु हो गई तथा कुछ अन्य घायल हो गये।
उन्होंने बताया कि राज्य के पुलिस महानिदेशक तथा आयुक्त ने घटना स्थल का दौरा किया। घटना को लेकर प्राथमिकी भी दर्ज कर दी गई। इसकी जांच के लिए एक विशेष जांच दल-एसआईटी का गठन किया गया है और उसे एक माह में रिपोर्ट देने को कहा गया है।
शाह ने कहा कि उपरोक्त घटना के बाद रविवार को मोन शहर में असम राइफल के कार्यालय में एक भीड़ ने तोड़फोड की और आग लगाई जिसके जवाब में जवानों को गोली चलानी पडी जिसमें एक और व्यक्ति की मृत्यु हो गई तथा एक अन्य घायल हो गया।
गृहमंत्री ने कहा कि सेना ने एक वक्तव्य में इस घटना में निर्दोष नागरिकों की मृत्यु पर गहरा दुख व्यक्त किया है और कहा है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिये हैं।
उन्होंने कहा कि वह खुद घटना को लेकर प्रदेश सरकार के संपर्क में है और उन्होंने राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री से बात की है। गृहमंत्रालय ने भी राज्य के मुख्य सचिव तथा पुलिस महानिदेशक से बात की है। गृहमंत्रालय ने राज्य के पूर्वोत्तर मामलों के अपर सचिव को कोहिमा भेजा है जहां उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और सामान्य स्थिति बहाल करने पर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि नागालैंड की स्थिति पर नजर रखी जा रही है और शांति तथा सौहार्द बनाए रखने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा “केंद्र सरकार ने इस घटना पर खेद व्यक्त करती है और मृतकों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती है।”
इससे पहले सुबह प्रश्नकाल के दौरान लोकसभा में विपक्ष के सदस्यों ने यह मामला उठाया और गृहमंत्री से इस संबंध में वक्तव्य देने की मांग की थी।
इस मामले में सेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी बैठा दी है। इसकी अगुवाई मेजर जनरल रैंक के एक अधिकारी को सौंपी गई है। सेना के सूत्रों के मुताबिक, यह अधिकारी नॉर्थईस्ट सेक्टर में तैनात हैं। वहीं, नगालैंड CM नीफियू रियो और मेघालय CM कोनराड के सांग्मा ने गृह मंत्री अमित शाह से मांग की है कि राज्यों से AFSPA कानून हटाया जाए। खास बात यह है कि नगालैंड CM नीफियू रियो डेमोक्रेटिक अलायंस ऑफ नगालैंड पार्टी से हैं, जो भाजपा से गठबंधन करके बनी है।
राज्य के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा कि गृह मंत्री इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। हमने घटना में प्रभावित लोगों को सहायता राशि दी है। हम केंद्र सरकार से कह रहे हैं कि नागालैंड से AFSPA को हटाया जाए, क्योंकि इस कानून ने हमारे देश की छवि धूमिल कर दी है। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के सांग्मा ने भी ट्वीट करके AFSPA को हटाने की बात कही है।
नगालैंड के आदिवासी संगठन ने दावा किया था कि मोन जिले में सेना की फायरिंग में 17 लोगों की मौत हुई है, इसके कुछ देर बाद ही वह इस दावे से पीछे हट गया। जबकि, पुलिस का कहना है कि 14 लोगों की ही जान गई है। नागा स्टूडेंट्स फेडरेशन (NSF) ने प्रदेश में पांच दिनों के शोक का ऐलान किया है। उन्होंने आदिवासियों से अपील की है कि इस दौरान किसी तरह के सेलिब्रेशन में शामिल न हों।
अधिकारियों का कहना है कि हादसे में घायल हुए 28 लोगों में से 6 की हालत गंभीर बताई जा रही है और उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। नगालैंड के चीफ मिनिस्टर नीफियू रियो और डिप्टी चीफ मिनिस्टर वाई पैट्टन आज घटनास्थल का दौरा करेंगे। वहीं, गृह मंत्री अमित शाह इस मामले में दोनों सदनों में जवाब देंगे।
नगालैंड में घटित हुई हिंसा के मामले में सेना की टुकड़ी पर FIR दर्ज कर ली गई है। इसमें इरादतन हत्या की धाराएं लगाई गई हैं। राज्य सरकार ने केस क्राइम ब्रांच को सौंप दिया है और इसकी जांच के लिए 5 सदस्यीय टीम गठित की है। दरअसल, यहां मोन जिले में रविवार को आर्मी की फायरिंग में 13 नागरिकों और एक जवान की मौत हो गई थी।
हादसे के बाद गुस्साए लोगों ने असम राइफल्स पर हमला किया, जिसमें एक और नागरिक मारा गया। कानून-व्यस्था को बनाए रखने के लिए सोमवार तक के लिए इंटरनेट बंद कर दिया गया है। जरूरी सामान की सप्लाई छोड़कर सभी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है।
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