दिल्लीः
भारत और रूस ने टू प्लस टू संवाद और 21वीं वार्षिक शिखर बैठक में आपसी साझेदारी नई ऊंचाइयों पर ले जाने का संकल्प लिया। इसके लिए दोनों देशों के बीच सोमवार को 28 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही आतंकवाद और अफगानिस्तान के हालात जैसी बड़ी चुनौतियों से निपटने में सहयोग और समन्वय बढ़ाने का संकल्प लिया।
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई शिखर वार्ता को ‘काफी सफल’ बताया। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच कई क्षेत्रों में संधि समेत 28 समझौते किए गए।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध का मुद्दा उठाया या नहीं? इस पर विदेश सचिव ने कहा कि भारत की सुरक्षा संबंधी सभी चिंताओं पर चर्चा हुई। श्रृंगला ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि मोदी और पुतिन ने अफगानिस्तान पर भारत और रूस के बीच करीबी सहयोग और विचार-विमर्श जारी रखने का निर्णय लिया।
उन्होंने कहा, “दोनों पक्ष इस बात को लेकर स्पष्ट रहे कि अफगानिस्तान की जमीन का उपयोग किसी भी तरह के आतंकी कृत्यों की साजिश, प्रशिक्षण और आश्रय के लिए नहीं किया जाना चाहिए।“
विदेश सचिव ने कहा कि वार्ता के दौरान ऊर्जा के क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग के बारे में भी विस्तार से चर्चा हुई। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद से निपटने पर भी जोर दिया गया और दोनों पक्षों ने इसे साझा हितों वाला क्षेत्र करार दिया। श्रृंगला ने कहा कि दोनों पक्षों ने सीमा-पार आतंकवाद से लड़ने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
आपको बता दें कि भारत ने अक्टूबर 2018 में एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयां खरीदने के लिए पांच अरब डॉलर के एक करार पर हस्ताक्षर किया था, जबकि तत्कालीन ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी थी कि इस अनुबंध पर आगे बढ़ने पर भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कना पड़ सकता है। वहीं, बाइडन प्रशासन ने इस पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। रूसी अधिकारियों ने बताया कि मिसाइलों की आपूर्ति शुरू हो गई है।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने सोमवार को कहा कि भारत और रूस के बीच एस-400 मिसाइल रक्षा सौदा भारतीय रक्षा क्षमता के लिए खासा मायने रखता है तथा सहयोग को कमजोर करने की अमेरिकी कोशिश के बावजूद इसे क्रियान्वित किया जा रहा है। लावरोव ने कहा कि भारत ने स्पष्ट रूप से और ढृढ़ता से कहा है कि वह एक संप्रभु देश है तथा रक्षा खरीद पर अपना खुद का फैसला लेता है।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो वर्षों में दूसरी बार अपने देश के बाहर यात्रा पर आए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का गर्मजोशी से स्वागत किया। प्रधानमंत्री द्विपक्षीय बैठक में प्रारंभिक वक्तव्य में भारत और रूस की मित्रता को बेमिसाल बताते हुये कहा कि दोनों देशों के विशिष्ट रणनीतिक संबंधों में निरंतर मजबूती ही आयी है। उन्होंने कहा, “कोविड के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद भारत-रूस संबंधों में विस्तार की रफ्तार में फर्क नहीं आया है। हमारी विशेष और विशिष्ट रणनीतिक भागीदारी निरंतर मजबूत हो रही है।”
मोदी ने कहा कि पिछले कुछ दशक से दुनिया में बहुत से बुनियादी बदलाव आये। दुनिया ने अनेक प्रकार के भू-राजनैतिक समीकरणों को बनते-बिगड़ते देखा, लेकिन भारत और रूस की मित्रता बराबर बनी रही। उन्होंने कहा कि भारत और रूस की मित्रता सचमुच अनूठी है और दो देशों की सरकारों के बीच संबंधों का विश्वसनीय मॉडल है।
वहीं पुतिन ने कहा, “ हम भारत को एक महान ताकत, मित्र देश और समय की कसौटी पर खरे उतरे एक साथी और एक घनिष्ठ मित्र के रूप में देखते हैं। दोनों देशों के संबंधों में विस्तार हो रहा है और मैं इसके भविष्य की ओर देख रहा हूं।” उन्होंने कहा कि इस समय दोनों देशों के बीच परस्पर निवेश करीब 38 अरब डॉलर का है। रूस की तरफ से कुछ और निवेश आने वाला है।
रूसी राष्ट्रपति ने कहा,“ हम सैन्य और तकनीक के क्षेत्र में जिस तरह का सहयोग करते हैं, वैसा कोई नहीं करता है। हम मिलकर उच्च प्रौद्योगिकी का विकास करते हैं साथ-साथ भारत में विनिर्माण भी करते हैं।” आतंकवाद की समस्या को भी उन्होंने अपने वक्तव्य में उठाया। उन्होंने कहा,“ यह स्वाभाविक है कि हम आतंकवाद से जुड़ी हर बात को लेकर चिंतित है। आतंकवाद से लड़ाई, मादक द्रव्यों की तस्करी और संगठित अपराध के खिलाफ लड़ाई भी है। इस संबंध में हम अफगानिस्तान की घटनाओं को लेकर चिंतित हैं।”
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