दिल्लीः कोरोना वायरस का दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट यानी ओमिक्रॉन से पूरी दुनिया डरी हुई है। यह काफी तेजी से दुनियाभर में पैर पसार रहा है। इसकी रफ्तार का आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि दक्षिण अफ्रीका में इसका पहला मामला 24 नवंबर को सामने आया था। इसके बाद तीन दिसंबर तक यानी सिर्फ 10 दिनों में ही नया स्ट्रेन 35 देशों तक फैल चुका है तथा करीब 400 लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है।
आपको बता दें कि भारत में दूसरी लहर के लिए कोरोना के डेल्टा वैरिएंट को कारण बताया गया था। अब नए वैरिएंट की रफ्तार को लेकर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि ओमिक्रॉन डेल्टा स्ट्रेन से भी 10 गुना ज्यादा रफ्तार से फैल सकता है। इसके कारण दुनियाभर में खौफ का आलम यह है कि इसकी रोकथाम के लिए एक बार फिर से पाबंदियों का दौर भी शुरू हो चुका है। चो चलिए कोरोना के इस वैरिएंट के बारे में कुछ अहम जानकारियों पर नजर डालते हैः
पहले जानने की कोशिश करते हैं कि ओमिक्रॉन क्या है और डब्ल्यूएचओ ने इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न क्यों बताया हैः
कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (B.1.1.529) का पहला केस 24 नवंबर 2021 को साउथ अफ्रीका में मिला। इसके बाद डब्ल्यूएचओ (WHO) यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसकी जांच के बाद इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न की श्रेणी में रखा है। प्रारंभिक रिपोर्ट्स के मुताबिक यह दुनियाभर में कहर बरपा चुके कोविड-19 के डेल्टा वैरिएंट से कहीं ज्यादा तेजी से म्यूटेशन करने वाला वैरिएंट है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक अब तक ओमिक्रॉन में कुल 50 म्यूटेशन हो चुके हैं, जिनमें से 30 म्यूटेशन तो उसके स्पाइक प्रोटीन में हुए हैं। स्पाइक प्रोटीन के जरिए ही कोरोना वायरस इंसानी शरीर में प्रवेश के रास्ते खोलता है। इसकी तुलना में डेल्टा के S प्रोटीन में 18 म्यूटेशन हुए थे।
इसके साथ ही ओमिक्रॉन के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन में भी 10 म्यूटेशन हो चुके हैं, जबकि डेल्टा वैरिएंट में केवल 2 ही म्यूटेशन हुए थे। आपको बता दें कि रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन वायरस का वह हिस्सा है जो इंसान के शरीर के सेल से सबसे पहले संपर्क में आता है।
क्या है टेस्ट मैथडः
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक SARS-CoV2 के नए वैरिएंट के पहचान के लिए मौजूदा टेस्ट मैथड RT-PCR सही है। इस विधि शरीर में वायरस में विशिष्ट जीन का पता लगाती है, जैसे स्पाइक (S), ईनवेलॉप्ड (E) और न्यूक्लियोकैप्सिड (N)। ओमिक्रॉन में स्पाइक जीन बहुत अधिक म्यूटेट होता है। ऐसे में इससे पहचान आसान हो जाती है, लेकिन इसकी पूरी तरह से पुष्टि के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग जरूरी है।
कितनी जरूरी है सतर्कताः
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तमाम जांच के बाद ओमिक्रॉन को वैरिएंट ऑफ कंसर्न की श्रेणी में रखा है। यानी यह वैरिएंट काफी तेजी से फैलता है। आपको बता दें कि ओमिक्रॉन वैरिएंट का म्यूटेशन, ट्रांसमिशन की गति और इम्यून सिस्टम को प्रभावित करने की क्षमता को देखकर इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न की श्रेणी में रखा गया है।
उधर, वैक्सीन निर्माता कंपनी मोर्डना और कई अन्य विशेषज्ञ इस बात का भी दावा कर रहे हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट पर मौजूदा वैक्सीन कारगर नहीं है। इस पर कई तरह के दावे हैं लेकिन मौजूदा व्यवस्था के तहत ही इसे रोकने को लेकर काम किया जा रहा है। हालांकि कई कंपनियां इसके बूस्टर डोज को लेकर भी काम कर रही हैं।
सावधानी है जरूरीः
हमने पहले ही बता चुके हैं कि मौजूदा व्यवस्था के तहत ही इस वैरिएंट को रोकने के प्रयास जारी हैं। वैक्सीनेशन और टेस्ट की प्रक्रिया को और तेज करके इस वैरिएंट को बढ़ने से रोका जा सकता है। इसके साथ ही अच्छी तरह मास्क पहनने के साथ सोशल डिस्टेंसिंग, भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहना और घर-ऑफिस में अच्छी तरह वेंटिलेशन बनाए रखना इससे बचने का सबसे बेहतर तरीका है। कोविड एप्रोपिएट बिहेवियर का पालन करना जरूरी है।
तीसरी लहर की आशंकाः
यह वैरिएंट अब तक 35 देशों में फैल चुका है। हालांकि इस महामारी की गंभीरता का अभी तक पता नहीं चल पाया है। इसलिए यह कितना खतरनाक हो सकता है, यह कहना जल्दबाजी होगी। भारत में भी इसके दो केस कर्नाटक में मिल चुके हैं।
क्या ओमिक्रॉन के खिलाफ कारगर हैं मौजूदा वैक्सीनः
विशेषज्ञों का कहना है कि ओमिक्रॉन के खिलाफ मौजूदा वैक्सीन कारगर हैं। चूंकि ओमिक्रॉन स्पाइक प्रोटीन पर कहीं ज्यादा म्यूटेट हो रहा है। ऐसे में कुछ वैज्ञानिकों का यह भी दावा है कि मौजूदा वैक्सीन शायद नए वैरिएंट पर कारगर न हो। वैक्सीन की एफिकेसी को लेकर भी अभी रिसर्च चल रहे हैं। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि जहां कुछ नहीं वहां कम से कम वैक्सीन लोगों को बुरी स्थिति में जाने से रोकने में सक्षम है। यानी वैक्सीनेशन के बाद मौत का खतरा तो टल ही जाता है। इसलिए हर किसी को वैक्सीन लेना चाहिए।
ओमिक्रॉन से निपटने के लिए भारत में क्या है तैयारीः
भारत सरकार ओमिक्रॉन को लेकर सतर्क हो गई है। इसकी कड़ी निगरानी कर रही है। एट रिस्क वाले देशों पर कुछ पाबंदियां लगाई गई हैं। ओमिक्रॉन वैरिएंट के मद्देनजर सरकार ने 1 दिसंबर से नई गाइडलाइन भी जारी की है, जिसमें एट रिस्क देशों से आने वाले लोगों के लिए टेस्टिंग और आइसोलेशन जरूरी कर दिया गया है।
इसके साथ ही उनकी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी विभिन्न राज्य सरकारें अपने स्तर पर कर रही हैं। केंद्र सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य इकाइयां भी अपने-अपने स्तर पर निगरानी कर रहे हैं। साइंटिस्ट और मेडिकल एक्सपर्ट्स भी नए वैरिएंट को लेकर जानकारी जुटा रहे हैं।
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