दिल्लीः दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ने दुनियाभर में हड़कंप मचा दी है। कहा जा रहा है कि यह वैरिएंट इसके डेल्टा वैरिएंट से भी ज्यादा खतरनाक है। यह कितना तेज से फैलता है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि इसके कारण पिछले एक हफ्ते में ही दक्षिण अफ्रीका में संक्रमण के मामलों में 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। इस वैरिएंट के खतरे को देखते हुए कई देशों ने दक्षिण अफ्रीका से आवागमन पर पाबंदी लगा दी है। वहीं डब्ल्यूएचओ (WHO) यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वैरिएंट को ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ की कैटेगरी में रखा है। अब चलिए आपको समझाते हैं कि वैरिए ऑफ कंसर्न क्या होता हैः-
वैरिएंट ऑफ कंसर्नः
दुनिया में जब भी किसी वायरस के किसी वैरिएंट की पहचान होती है तो उस वैरिएंट को और अधिक जानने-समझने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन उसकी निगरानी करता है। निगरानी करने के लिए ही डब्ल्यूएचओ वायरस को वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट की कैटेगरी में डाला जाता है।
यदि वायरस की स्टडी के बाद पाया जाता है कि वैरिएंट तेजी से फैल रहा है और बहुत संक्रामक है तो उसे ये ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ की कैटेगरी में डाला जाता है।
किसी वैरिएंट को इंटरेस्ट और कंसर्न घोषित करने की क्या है प्रक्रियाः
डब्ल्यूएचओ वैरिएंट की कैटेगरी अलग-अलग पैमानों के आधार पर निर्धारित करता है। किसी वैरिएंट को वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट की कैटेगरी में डालने के लिए निम्नलिखित बातों का ख्याल रखा जाता है।
डब्ल्यूएचओ वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के वैरिएंट्स की लगातार निगरानी के बाद वैरिएंट ऑफ कंसर्न की कैटेगरी में डालता है।
आपको बता दें कि कई वैरिएंट ऐसे भी हो सकते हैं जिन्हें ना तो वैरिएंट ऑफ इंट्रेस में डाला जाता है ना ही वैरिएंट ऑफ कंसर्न की कैटेगिरी में। जैसे भारत में डेल्टा प्लस वैरिएंट के भी कई केस सामने आए थे, लेकिन, विश्व स्व स्थ संगठन ने इस वैरिएंट को किसी भी कैटेगिरी में नहीं डाला था।
वैरिएंट ऑफ कंसर्न और वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट में अंतरः
वैरिएंट ऑफ कंसर्न वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट की तुलना में ज्यादा संक्रामक होता है। आपको बता दें कि वैरिएंट ऑफ कंसर्न ब्रेकथ्रू केसेज को बढ़ा सकता है और वैक्सीन के असर को भी कम कर सकता है। डब्ल्यूएचओ ने अभी तक कोरोना वायरस के चार वैरिएंट्स- अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा को वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित किया है। ये चारों वैरिएंट अलग-अलग देशों में तबाही मचा चुके है। भारत में भी कोरोना की दूसरी लहर डेल्टा वैरिएंट की वजह से ही आई थी।
वहीं वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट की कैटेगरी में इटा, आयोटा, कप्पा, जीटा, एप्सिलोन और थीटा को भी रखा गया था, लेकिन इन वैरिएंट्स का असर कम होने के बाद इन्हें इस लिस्ट से हटा दिया गया।
डब्ल्यूएचओ समय-समय पर वायरस के वैरिएंट की समीक्षा कर वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट और वैरिएंट ऑफ कंसर्न की कैटेगरी से जोड़ता-घटाता रहता है। किसी वैरिएंट की कैटेगरी बदलने से पहले टेक्नीकल एडवाइजरी ग्रुप उसका डिटेल्ड एनालिसिस करता है। ग्रुप की सिफारिशों के बाद ही वैरिएंट की कैटेगरी बदलने का फैसला लिया जाता है।
क्या होता है म्यूटेशंस और वैरिएंट्सः
म्यूटेशंस यानी वायरस की मूल जीनोमिक संरचना में होने वाले बदलाव। यह बदलाव ही जाकर वायरस को नया स्वरूप देते हैं, जिसे वैरिएंट कहते हैं।
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