दिल्ली: कल के मुंबई पुलिस आयुक्त आज के भगोड़ा हैं। मुंबई की एक अदालत ने उगाही मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को ‘भगोड़ा’ घोषित कर दिया। अब क्राइम ब्रांच 30 दिन तक इंतजार करेगी और इसके बाद भी पेश नहीं होने पर परमबीर सिंह की संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई शुरू करेगी।

आपको बता दें कि क्राइम ब्रांच ने यह कहते हुए परमबीर सिंह को ‘भगोड़ा’ घोषित करने की अपील की थी कि गैर-जमानती वॉरंट जारी होने के बाद भी उनका पता नहीं लगाया जा सका है। मैं समझता हूं आम लोगों की तरह आपनी जेहन में भी यह सवाल उठ रहा होगा कि भगोड़ा घोषित होना क्या होता है? किस कानून के तहत ऐसा किया जाता है और इससे आरोपी पर क्या फर्क पड़ता है?

तो चलिए आज हम आपको इन सारे सवालों के जवाब देने की कोशिश करते हैं। कानून का जानकारों के मुताबिक जब किसी अपराधी के खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी हो चुका हो और तमाम नोटिसों और मुनादियों के बाद भी वह हाजिर न हो, तब उसे भगोड़ा घोषित करना ही एक विकल्प बचता है। भगोड़ा घोषित किए जाने के बाद उसकी चल-अचल संपत्तियों को कुर्क करने का अधिकार संबंधित विभाग को मिल जाता है। यह कुर्की की कार्रवाई भी इस उम्मीद से की जाती है कि आरोपी संपत्ति कुर्क होने के डर से ही अदालत में आत्मसर्पण करेगा।

किस कानून के तहत किया जाता है भगोड़ा घोषित?
कानून के जानकारों का कहना है कि सीआरपीसी (CrPC) यानी अपराध प्रक्रिया की धारा 82 के तहत किसी फरार व्यक्ति को भगोड़ा घोषित किया जाता है। भगोड़ा तो हिंदी मीडिया का दिया शब्द है, कानून की भाषा में इसके लिए ‘फरार व्यक्ति की उद्घोषणा’ जैसे वाक्य का इस्तेमाल किया गया है। आम बोलचाल में इसे भगोड़ा घोषित होना भी कह दिया जाता है।

भगोड़ा घोषित होने के बाद क्या होता है?
कानून के जानकारों के मुताबिक सीआरपीसी धारा 82 के तहत किसी फरार व्यक्ति की उद्घोषणा (भगोड़ा घोषित होने) के बाद आरोपी की संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई शुरू की जाती है। संपत्ति की कुर्की का प्रावधान सीआरपीसी की धारा 83 में है। धारा 83 के तहत किसी आरोपी के भगोड़ा घोषित होने के बाद अदालत किसी भी समय उसकी संपत्ति कुर्की का आदेश जारी कर सकती है।

आपको बता दें कि मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह के मामले में कोर्ट ने क्राइम ब्रांच को 30 दिन का वक्त दिया है। यदि परमबीर सिंह इस दौरान भी हाजिर नहीं होते हैं तो उनकी सीआरपीसी की धारा 83 के तहत उनकी संपत्ति कुर्की की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।

आपको बता दें कि रियल एस्टेट डेवलपर एवं होटल व्यवसायी बिमल अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि आरोपियों परमबीर सिंह, रियाज भाटी और विनय सिंह ने दो बार और रेस्तरां पर छापेमारी नहीं करने के लिए उनसे नौ लाख रुपये की वसूली की थी। उन्होंने दावा किया था कि ये घटनाएं जनवरी 2020 और मार्च 2021 के बीच हुई थीं। अग्रवाल की शिकायत के बाद छह आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 384, 385 और 34 के तहत केस दर्ज किया था। परमबीर सिंह के खिलाफ ठाणे में भी वसूली का मामला दर्ज है। इस मामले में निलंबित पुलिस अधिकार सचिन वझे की गिरफ्तारी के बाद परमबीर सिंह को मार्च 2021 में मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से हटा दिया गया था।

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