दिल्लीः सौरभ कृपाल के तौर पर देश को जल्द पहला गे (समलैंगिक) जज मिल सकता है। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने वरिष्ठ वकील सौरभ कृपाल (49) को दिल्ली उच्च न्यायालय का जज बनाने की सिफारिश की है। आपको बता दें कि चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम की 11 नवंबर की बैठक में यह सिफारिश की गई। विशेष बात यह है कि केंद्र सरकार की ओर से चार बार कृपाल के नाम पर आपत्ति जताने के बावजूद कॉलेजियिम ने अपनी सिफारिश दी है। हालांकि,अभी तक यह नहीं पता चल पाया है कि यदि कृपाल दिल्ली हाईकोर्ट के जज नियुक्त होते हैं, तो उनकी नियुक्त कब तक हो पाएगी।
आपको बता दें कि पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने खुले तौर पर खुद को समलैंगिक स्वीकार करने वाले न्यायिक क्षेत्र के व्यक्ति को जज बनाने की सिफारिश की है। इससे पहले अक्टूबर 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से जज के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी। इसके बाद से सुप्रीम कोर्ट चार बार उनकी सिफारिश का फैसला टाल चुका था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जब केंद्र से कृपाल के बैकग्राउंड के बारे में जानकारी मांगी थी, तो सरकार ने आईबी (IB) इंटेलीजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट का हवाला देकर आपत्ति जताई थी।
आपको बता दें कि इसी साल मार्च में तत्कालीन चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कृपाल को हाईकोर्ट का जज बनाने के बारे में केंद्र सरकार से पूछा था, लेकिन सरकार ने एक बार फिर इस पर आपत्ति जाहिर की थी। केंद्र सरकार ने कृपाल के विदेशी पुरुष साथी को लेकर चिंता जताई थी। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था कि ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट निकोलस जर्मेन बाकमैन 20 साल से कृपाल के पार्टनर हैं और स्विट्जरलैंड के रहने वाले हैं। इसलिए केंद्र को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं हैं। वह कृपाल ने पिछले साल एक इंटरव्यू में कहा था कि शायद उनके सेक्सुअल ओरिएंटेशन की वजह से ही उन्हें जज बनाने की सिफारिश का फैसला टाला गया है।
चलिए आपको बताते हैं कि सौरभ कृपाल कौन हैं?
सौरभ कृपाल सीनियर वकील एवं पूर्व चीफ जस्टिस बीएन कृपाल के बेटे हैं। सौरभ पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के साथ बतौर जूनियर काम कर चुके हैं तथा कमर्शियल लॉ के एक्सपर्ट भी हैं। दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद लॉ की डिग्री ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पूरी की है। साथ ही कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से लॉ में मास्टर्स डिग्री की पढ़ाई की है। सौरभ सुप्रीम कोर्ट में करीब 20 साल प्रैक्टिस कर चुके हैं। साथ ही यूनाइटेड नेशंस के साथ जेनेवा में भी काम कर चुके हैं। वे समलैंगिक हैं और LGBTQ के अधिकारों के लिए मुखर रहे हैं। उन्होंने ‘सेक्स एंड द सुप्रीम कोर्ट’ किताब को एडिट भी किया है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2018 में समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 पर अहम फैसला दिया था। कोर्ट ने कहा था कि समलैंगिक संबंध अपराध नहीं हैं। इसके साथ ही अदालत ने सहमति से समलैंगिक यौन संबंध बनाने को अपराध के दायरे से बाहर कर धारा 377 को रद्द कर दिया था। इस मामले में सौरभ कृपाल ने पिटीशनर की तरफ से पैरवी की थी।
अब आपको बताते हैं कि समलैंगिकता क्या है?
समलैंगिकता का मतलब होता है किसी भी व्यक्ति का समान लिंग के व्यक्ति के प्रति यौन आकर्षण। सीधे शब्दों में कहें, तो किसी पुरुष का पुरुष के प्रति या महिला का महिला के प्रति आकर्षण। ऐसे लोगों को अंग्रेजी में ‘गे’ या ‘लेस्बियन’ कहा जाता है।