इस्लामाबादः पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में जिस हिंदू मंदिर को लेकर पाकिस्तान सरकार की तारीफ हो रही थी, अब वह मंदिर नहीं बनेगा। सीडीए (CDA) यानी कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने मंदिर के लिए जमीन का आवंटन या अलॉकेशन रद्द कर दिया है। आपको बता दें कि इस मंदिर को लेकर पाकिस्तान सरकार के मंत्री दावा कर रहे थे कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता है और इस बात का सबूत यह मंदिर होगा।
सीडीए ने इस बात की जानकारी इस्लामाबाद हाईकोर्ट को दे दी है। सीडीए के वकील जावेद इकबाल ने बताया कि उन्होंने विभाग के फैसले की जानकारी हाईकोर्ट को दे दी है।
इकबाल ने पाकिस्तानी अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ से कहा, “फेडरल कैबिनेट यानी केंद्र सरकार ने ही इस मंदिर के निर्माण की मंजूरी दी थी। अब उसने ग्रीन एरिया में नए कंस्ट्रक्शन और बिल्डिंग्स बनाने पर रोक लगा दी है। लिहाजा, यह मंदिर अब नहीं बन पाएगा।“
आपको बता दें कि इमरान सरकार ने सीडीए से विचार विमर्श के बाद राजधानी इस्लामाबाद के सेक्टर एच-9/2 में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए मंदिर निर्माण की मंजूरी दी थी। इसमें मंदिर के अलावा कम्युनिटी सेंटर और श्मशान घाट भी बनाया जाना था।
हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई जुलाई में हुई थी। उसे सीडीए ने हाईकोर्ट को बताया था कि जमीन आवंटन की प्रक्रिया तो 2016 से चल रही थी। यहां मंदिर के साथ ही श्मशान घाट भी बनाया जाना था। लैंड अलॉकेशन धार्मिक मामलों के विभाग से सलाह के बाद किया गया था। तमाम प्रक्रिया के बाद 2017 में मंदिर के लिए 3.89 कनाल जमीन आवंटित कर दी गई थी। साथ ही अगले साल यह जमीन हिंदू पंचायत को सौंप दी गई थी। हिंदू समाज ने पाकिस्तान सरकार के इस फैसले पर निराशा जाहिर की है। ह्यूमन राइट्स कमीशन के मेंबर कृष्ण शर्मा के मुताबिक, इस्लामाबाद में करीब तीन हजार हिंदू परिवार रहते हैं। इनको अपने तीज-त्योहार सेलिब्रेट करने के लिए एक तय जगह मिलने वाली थी। वे होली और दिवाली पर यहां जुट सकते थे। शादी या अंतिम संस्कार की जगह मिल जाती। अब ये नहीं हो सकेगा।