दिल्लीः आज मंगलवार यानी धनतेरस है। आज से पांच दिनों का दीपोत्सव पर्व शुरू हो गया है। धनतेर के मौके पर हर तरह की खरीदारी, निवेश और नई शुरुआत के लिए पूरे दिन शुभ मुहूर्त रहेंगे। आज त्रिपुष्कर योग बन रहा है। इस वजह से तीन गुना फायदा मिलने की भी संभावना है।
आपको बता दें कि धनतेरस पर सोना-चांदी और बर्तन खरीदने की परंपरा भी है। इस दिन शाम को प्रदोष काल में भगवान धन्वंतरि के साथ कुबेर और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। वहीं, अकाल मृत्यु से बचने और अच्छी सेहत की कामना से घर के बाहर यमराज के लिए दक्षिण दिशा में एक बत्ती का दीपक जलाया जाता है। तो चलिए आपको बताते हैं धनतेरस के मौके पर भगवान धन्वंतरि, कुबेर और लक्ष्मी की कब और कैसे पूजा करें तथा किस समय किस सामान की खरीदारी करें।
आज धनतेरस पर्व पर त्रिपुष्कर योग बन रहा है। इस वजह से आज निवेश, खरीदारी और शुरुआत में तीन गुना फायदा मिलेगा। ये सुबह 6.35 से दोपहर तकरीबन 12 बजे तक रहेगा, लेकिन खरीदारी का अबूझ मुहूर्त होने के कारण खरीदी के लिए पूरा दिन शुभ है। आज चंद्रमा अपने ही नक्षत्र में है और उस पर बृहस्पति की दृष्टि पड़ रही है। ये स्थिति भी सुख-समृद्धि और शुभ फल देने वाली हैं।
वैदिक ग्रंथों के मुताबिक समुद्र मंथन करने पर भगवान धन्वंतरि आज के ही दिन अपने हाथ में सोने का कलश लेकर प्रकट हुए। जिसमें अमृत भरा हुआ था। उनके दूसरे हाथ में औषधियां थी और उन्होंने आयुर्वेद का ज्ञान दिया। यही वजह है कि इस दिन आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि की पूजा की जाती है।
भगवान धन्वंतरि आज के दिन अपने के हाथ में सोने का कलश लिए हुए थे, इसलिए आज के बर्तन और सोना खरीदने की परंपरा शुरू हुई। बाद में आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए चांदी और अन्य धातुओं की खरीदी होने लगी। तब से परिवार में समृद्धि बनाए रखने की कामना से इस दिन चांदी के सिक्के, गणेश तथा लक्ष्मी जी की मूर्तियां और ज्वेलरी की खरीदारी की जाती है। साथ ही पीतल, कांसे, स्टील तथा तांबे के बर्तन भी खरीदने की परंपरा है।
वैदिक ग्रंथों के मुताबिक देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन किया था, जिससे लक्ष्मी, चंद्रमा और अप्सराओं के बाद त्रयोदशी तिथि पर धन्वंतरि हाथ में अमृत कलश लेकर निकले थे, यानी समुद्र मंथन का फल इसी दिन मिला था। इसलिए दीपावली का उत्सव यहीं से शुरू हुआ। वाल्मीकि ने रामायण में लिखा है कि अमावस्या को भगवान विष्णु-लक्ष्मी जी का विवाह हुआ था। इसलिए दीपावली पर लक्ष्मी पूजा होती है।
धर्म के जानकारों के मुताबिक, धनतेरस पर प्रदोष काल में भगवान धन्वंतरि के साथ लक्ष्मी जी और कुबेर की भी पूजा करनी चाहिए। आज प्रदोष काल शाम 5.35 से रात 8.10 तक रहेगा। इसी समय यम के लिए दीपदान करने की भी परंपरा है। तो चलिए आपको बतातें हैं कि आज के दिन भगवान धन्वंतरि को क्या चढ़ाना चाहिएः
यम के लिए दीपदानः
स्कंद पुराण में बताया गया है कि धनतेरस पर यम देव के लिए दीपदान करने से परिवार में बीमारी नहीं आती और अकाल मृत्यु का डर भी नहीं रहता।
धनतेरस के मौके पर सूर्यास्त के बाद यमराज के लिए दीपदान के लिए आटे का दीपक बनाएं। उसमें सरसों या तिल का तेल डालकर घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखना चाहिए। ऐसा करते हुए यमराज से परिवार की लंबी उम्र की कामना करनी चाहिए।
शुभ मुहूर्तः किस समय खरीदें कौन सा सामानः
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