ग्लासगोः एक सूर्य, एक विश्व और एक ग्रिड की कल्पना को अगर हम साकार कर पाते हैं तो इससे सोलर प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बाते स्कॉटलैंड के ग्लासगो में आयोजित COP26 लीडर्स इवेंट के दूसरे दिन कही। उन्होंने ग्रीन एनर्जी पर अपनी बात रखते हुए कहा कि औद्योगिक क्रांति ने प्रकृति के संतुलन को बिगाड़कर पर्यावरण का बड़ा नुकसान पहुंचाया है। हम सूर्य के माध्यम से प्रकृति से फिर से जुड़कर मानवता के भविष्य को बचा सकते हैं।

पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन पर सीओपी26 के दूसरे दिन मंगलवार को ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ संयुक्त रूप से एक हरित ग्रिड , ‘एक सूर्य , एक विश्व और एक ग्रिड’ की पहल को लांच किया। उन्होंने कहा कि इस पहल की परिकल्पना कई वर्ष पहले की थी और आज वह मूर्त रूप ले रही है।

इस मौके पर उन्होंने एक और महत्वपूर्ण घोषणा भी कि भारत की अंतरिक्ष एजेन्सी इसरो जल्द ही एक ऐसा सौर कैलकुलेटर बनाने जा रही है, जो किसी भी जगह की सौर ऊर्जा संभावनाओं का नाप सकेगा।

मोदी ने कहा, “आज ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ के लांच पर मेरी कई साल पुरानी इस परिकल्पना को आज अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और ब्रिटेन के ग्रीन ग्रिड पहल से एक ठोस रूप मिला है।”

‘एक्सेलरेटिंग क्लीन टेक्नोलॉजी इनोवेशन एंड डेवलपमेंट’ प्रोग्राम में भाषण के दौरान पीएम ने कहा कि जरा सोचिए, इससे कार्बन एमिशन कितना कम होगा और हम क्लीन तथा ग्रीन एनर्जी की तरफ बढ़ सकेंगे। इससे देशों के बीच सहयोग बढ़ेगा। जीवाश्म के ईंधन से कुछ देशों को फायदा जरूर हो सकता है, लेकिन इससे दुनिया को बहुत नुकसान होगा। इससे भौगोलिक तौर पर भी दिक्कतें बढ़ेंगी।

उन्होंने कहा कि ग्रीन ग्रिड की मेरी कई सालों पुरानी परिकल्पना को आज अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और ब्रिटेन के ग्रीन ग्रिड इनिशिएटिव से एक ठोस रूप मिला है। औद्योगिक क्रांति को जीवाश्म ईंधन ने ऊर्जा दी थी। जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल से कई देश तो समृद्ध हुए, लेकिन हमारी धरती, हमारा पर्यावरण निर्धन हो गए। जीवाश्म ईंधन की होड़ ने भू-राजनीतिक तनाव भी पैदा किए, लेकिन आज तकनीक ने हमें एक बेहतरीन विकल्प दिया है।

पृथ्वी पर जब से जीवन उत्पन्न हुआ, तभी से सभी प्राणियों का जीवन चक्र, उनकी दिनचर्या सूर्य के उदय और अस्त से जुड़ी रही है। जब तक यह प्राकृतिक कनेक्शन बना रहा, तब तक हमारा ग्रह भी स्वस्थ रहा।

पीएम मोदी ने कहा कि आधुनिक काल में मनुष्य ने सूर्य द्वारा स्थापित चक्र से आगे निकलने की होड़ में प्राकृतिक संतुलन से छेड़छाड़ की और अपने पर्यावरण का बड़ा नुकसान भी कर लिया। अगर हमें फिर से प्रकृति के साथ संतुलित जीवन का संबंध स्थापित करना है तो इसका रास्ता हमारे सूर्य से ही प्रकाशित होगा।

 

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