ग्लासगोः जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अभियान में अनुकूलता या सामंजस्य बैठाने को उतना महत्व नहीं दिया गया, जितना इसमें कमी लाने पर दिया गया है। इसी वजह से अधिक प्रभावित विकासशील देशों के साथ अन्याय हो रहा है। यह बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्लासगो में आयोजित सीओपी26 शिखर सम्मेलन के दौरान कही। उन्होंने जोर देकर कहा कि अनुकूलता और पारंपरिक तरीकों को वैश्विक समर्थन दिये जाने की जरूरत है।
पीएम ने अपने संबोधन के दौरान, कहा, “हमारी संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्। रहें।” उन्होंने कहा कि मैं पहली बार जब पेरिस क्लाइमेट समिट में आया था तो मानवता के लिए कुछ बात करने आया था। मेरे लिए पेरिस समिट नहीं सेंटीमेंट और कमिटमेंट था। हमारे यहां ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ कहा जाता है। यानी सभी सुखी रहें।
पीएम मोदी ने कॉप 26 में एक्शन एंड सॉलिडेरिटी : द क्रिटिकल डिकेड सेगमेंट में भाषण के दौरान कहा, “भारत में जल से नल परियोजना में लोगों को लाभ मिला। भारत में स्वच्छता अभियान से लोगों के जीवन में सुधार आया। ग्लोबल वॉर्मिंग पर छोटे देशों को मदद की जरूरत है।“
उन्होंने कहा कि भारत सहित अधिकतर विकासशील देशों में किसानों के लिए जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती है। बारिश, बाढ़ और लगातार आ रहे तूफानों से फसल नष्ट हो रही है। पेयजल के स्रोत से लेकर किफायती आवास तक सभी को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ नियमों को लचीला बनाने की जरूरत है।
मोदी ने कहा, “पिछड़े देशों को वैश्विक मदद की जरूरत है। इसके लिए विकसित देशों को आगे आना होगा। दुनिया को अब एडॉप्टेशन पर ध्यान देना होगा। ग्लोबल वॉर्मिंग के मुद्दे पर सभी देश एक साथ आएं और इसे जनभागीदारी अभियान बनाएं।“
उन्होंने का कि पिछड़े देशों को इसके लिए दुनिया का सहयोग मिलना चाहिए। लोकल एडॉप्टेशन को ग्लोबल सहयोग के लिए भारत ने कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिस्टेंस इंफ्रास्ट्रक्चर पहल की शुरूआत की थी। मैं सभी देशों को इस पहल से जुड़ने का अनुरोध करता हूं।
मोदी ने कहा कि भारत में हमने कई मुद्दों और विकास कार्यक्रमों में भी प्राकृतिक जरूरतों को ध्यान में रखकर नीतियां बनाई हैं। नल से जल, क्लीन इंडिया मिशन और उज्जवला के जरिए हमने लोगों के जीवन स्तर में सुधार किए हैं।
हमारे यहां जनजातियां प्रकृति के साथ रहने का हुनर जानती है। हम चाहते हैं कि उनका यह हुनर आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचे। इसके लिए जरूरी है कि हम इस जीवन से जुड़े मुद्दे को स्कूल के सिलेबस में शामिल करें।
वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा, “हम में निवेश करने और एक स्वच्छ ऊर्जा वाले भविष्य का निर्माण करने की क्षमता है। इस प्रक्रिया में दुनिया भर में लाखों रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इससे हमारे बच्चों के लिए स्वच्छ हवा, हमारे ग्रह के लिए स्वस्थ वन और पारिस्थितिकी तंत्र तैयार होगा।“
उन्होंने कहा कि अमेरिका दुनिया के सामने उदाहरण पेश करेगा और शक्ति से नेतृत्व करेगा। हमारा प्रशासन जलवायु प्रतिबद्धताओं को शब्दों में नहीं बल्कि कार्यों के जरिए पूरा करने के लिए लगातार काम कर रहा है।
Delivering the National Statement at the @COP26 Summit in Glasgow. https://t.co/SdKi5LBQNM
— Narendra Modi (@narendramodi) November 1, 2021
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने COP26 वर्ल्ड लीडर्स समिट के इतर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने सीओपी26 समिट के सफल आयोजन के लिए जॉनसन को बधाई दी। विदेश मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन और अनुकूलन के लिए जॉनसन के वैश्विक पहल की सराहना की।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक पीएम ने ISA और CDRI के तहत संयुक्त पहलों सहित क्लाइमेट फाइनांस, टेक्नोलॉजी, नवाचार और ग्रीन हाइड्रोजन, नवीकरणीय और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों पर ब्रिटेन के साथ मिलकर काम करने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।
प्रधानमंत्री ने अपराह्न में करीब दो बजे 2030 के रोडमैप का जायजा लिया। उन्होंने व्यापार और अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य, रक्षा और सुरक्षा क्षेत्रों में प्राथमिकताओं के कार्यान्वयन की समीक्षा की गई। उन्होंने एफटीए वार्ता शुरू करने की दिशा में उठाए गए कदमों की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने समिट में दुनियाभर में हरित औद्योगिक क्रांति की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि विकसित देश अपनी विशेष जिम्मेदारी को पहचानें। इसके लिए सभी को मदद करना होगा।
ग्लासगो में 250 साल पहले हुआ था, जब जेम्स वाट एक ऐसी मशीन के साथ आए थे जो भाप से संचालित होती थी। यह कोयले को जलाने से पैदा होती थी। हम आपको उसी जगह ले आए, जहां से कयामत की मशीन शुरू हुई थी। सभी देशों को एक बार फिर से इस पर गंभीरता से विचार करना होगा। साथ ही एक-दूसरे की मदद करनी होगी।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने COP26 समिट में कहा कि पेरिस जलवायु समझौते के बाद से पिछले 6 सालों में रिकॉर्तोड़ गर्मी पड़ी है। उन्होंने कहा कि जीवाश्म ईंधन का तेजी से उपयोग करके हम मानवता को खात्म की कगार पर धकेल रहे हैं। हमें एक कड़ा निर्णय लेना होगा। या तो हम इसे रोक दें या जलवायु परिवर्तन से हम रुक जाएंगे।
उन्होंने कहा, “जैव विविधता के साथ क्रूर बर्ताव बहुत हुआ, कार्बन के साथ खुद को मारना बहुत हुआ, प्रकृति के साथ शौचालय जैसा बर्ताव बहुत हुआ। हम अपनी कब्र खुद खोद रहे हैं। हमारी आंखों के सामने हमारा ग्रह बदल रहा है”
आपको बता दें सीओपी26 (COP26) यानी कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज का 26वां सेशन 12 नवंबर तक चलने वाला है। इसकी अध्यक्षता ब्रिटेन और इटली कर रहे हैं। इसमें हाई लेवल सेगमेंट यानी वर्ल्ड लीडर्स समिट होनी है। इसमें 120 देशों के प्रमुख शामिल हो रहे हैं।