Delhi High Court
दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो)

दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को ट्विटर को हिंदू देवी से संबंधित कुछ आपत्तिजनक सामग्री को अपने प्लेट फार्म से हटाने का निर्देश दिया और उम्मीद जताई कि सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी आम जनता की भावनाओं का सम्मान करेगी।

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पेठ ने आज सुनवाई के दौरान कहा कि ट्विटर अच्छा काम कर रहा है और लोग इससे खुश हैं। कोर्ट ने ट्विटर के वकील से पूछा चीजें हटने वाली हैं या नहीं? आपको इसे हटा देना चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि आपको जनता की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि आप बड़े पैमाने पर जनता के लिए व्यापार कर रहे हैं। उनकी भावनाओं को उचित महत्व दिया जाए।

कोर्ट ने कहा कि आप ऐसी सारी सामग्री हटा दें जिससे लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं। आपने राहुल गांधी के मामले में भी ऐसा किया है। वहीं ट्विटर की ओर से कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि अदालत आदेश में ऐसा उल्लेख कर सकती है और वे निर्देश का पालन करेंगे। अब इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 30 नवंबर को होगी।

आपको बता दें कि याचिकाकर्ता आदित्य सिंह देशवाल ने कहा कि मां काली के बारे में कुछ अत्यधिक अप्रिय पोस्ट सामने आई है। देवताओं के इस प्रकार के पोस्ट शर्मनाक और अपमानजनक है। वरिष्ठ वकील संजय पोद्दार के माध्यम से दायर याचिका में कहा कि उन्होंने ट्विटर के शिकायत अधिकारी को सूचित किया कि इस्तेमाल की गई सामग्री सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता संहिता) नियमों, 2021 का गंभीर उल्लंघन है।

याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि ट्विटर ने इस बात को नकार दिया कि अकाउंट में कंटेंट किसी उस श्रेणी का नहीं है जिसके लिए वह कार्रवाई करता है। इसलिए इसे हटाया नहीं जा सकता। याचिका में ट्विटर को निर्देश देने की मांग की गई है कि आपत्तिजनक सामग्री को उसके प्लेट फार्म से हटाया जाए और संबंधित इस्तेमाल किए गए अकाउंट को भी स्थायी रूप से सस्पेंड किया जाए।

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