दिल्लीः भुखमरी के मामले में भारत का बुरा हाल है। भारत अपने पड़ोसी मुल्कों में सिर्फ अफगानिस्तान को छोड़कर सबसे पीछे हैं। यानी अफगानिस्तान को छोड़ कर सभी पड़ोसी मुल्कों में भुखमरी के मामले में भारत से बेहतर स्थिति है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के फाओ (FAO) यानी फूड एंड एग्रीकल्चरल ऑर्गनाइजेशन ने वैश्विक भुखमरी सूचकांक यानी ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2021 जारी किया गया है। इस सूची में शामिल 116 देशों में भारत 101 नंबर पर है। इससे पहले यानी 2020 में 107 देशों की सूची में भारत 94वें नंबर पर था।

इस बार फाओ की सूची में केवल 15 ऐसे देश हैं, जो भारत से पीछे है। फाओ द्वारा भुखमरी के आंकड़े जारी करते ही भारत में विवाद भी छिड़ गया है। विपक्षी पार्टियां इस मामले पर सरकार को घेर रही हैं, वहीं सरकार ने हंगर इंडेक्स की मैथडोलॉजी और आंकड़ों पर ही सवाल उठा दिए हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि हंगर इडेक्स क्या होता है।

हंगर इंडेक्सः इसे आसान भाषा में समझें तो जीएसआई (GHI) यानी ग्लोबल हंगर इंडेक्स यह दर्शाता है कि किसी भी देश में भुखमरी की स्थिति क्या है। इसे हर साल कंसर्न वर्ल्डवाइड और वर्ल्ड हंगर हेल्प (जर्मनी में Welthungerhilfe) नामक यूरोपीयन NGO तैयार करते हैं। इसे दुनियाभर के अलग-अलग देशों में 4 पैमानों का आंकलन कर तैयार किया जाता है।

इसका उद्देश्य दुनियाभर से भुखमरी को मिटाने के लिए हो रहे प्रयासों की समीक्षा करना है। इंडेक्स में हर देश की रैंकिंग अलग-अलग पैमानों पर तय करके ये विश्लेषण किया जाता है कि देश में भुखमरी की वजह क्या है और इसको दूर करने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं।

हंगर इंडेक्स में भारत की स्थितिः दुनियाभर के 116 देशों में से भारत का स्थान 101वां है। इसके साथ ही भारत उन 31 देशों में भी शामिल है जहां पर भुखमरी की समस्या काफी गंभीर मानी गई है। इस सूची में भारत अपने पड़ोसी मुल्कों नेपाल से 24 और पाकिस्तान से 9 पायदान नीचे है। हंगर इंडेक्स में भारत का जीएसआई स्कोर 27.5 है, जो कि गंभीर कैटेगरी में आता है।

पड़ोसी मुल्को की तुलना में  भारत की स्थिति

नेपाल 76
पाकिस्तान 92
श्रीलंका 65
बांग्लादेश 76
चीन 05
अफगानिस्तान 103
म्यांमार 71
भारत 101

कैसे तैयार होता है हंगर इंडेक्सः हर देश का ग्लोबल हंगर इंडेक्स 3 डायमेंशन के 4 पैमानों पर कैलकुलेट किया जाता है। ये तीन डायमेंशन हैं – अंडरनरिशमेंट, चाइल्ड मोर्टालिटी, चाइल्ड वेस्टिंग तथा चाइल्ड स्टंटिंग

अंडरनरिशमेंट: अंडरनरिशमेंट यानी एक स्वस्थ व्यक्ति को दिनभर के लिए जरूरी कैलोरी नहीं मिलना। आबादी के कुल हिस्से में से उस हिस्से को कैलकुलेट किया जाता है, जिन्हें दिनभर की जरूरत के मुताबिक पर्याप्त कैलोरी नहीं मिल रही है।

चाइल्ड मोर्टालिटी: चाइल्ड मोर्टालिटी का मतलब हर 1 हजार जन्म पर ऐसे बच्चों की संख्या जिनकी मौत जन्म के 5 साल की उम्र के भीतर ही हो गई।

चाइल्ड वेस्टिंग: चाइल्ड वेस्टिंग यानी बच्चे का अपनी उम्र के हिसाब से बहुत दुबला या कमजोर होना। 5 साल से कम उम्र के ऐसे बच्चे, जिनका वजन उनके कद के हिसाब से कम होता है। ये दर्शाता है कि उन बच्चों को पर्याप्त पोषण नहीं मिला इस वजह से वे कमजोर हो गए।

चाइल्ड स्टंटिंग: चाइल्ड स्टंटिंग का मतलब ऐसे बच्चे जिनका कद उनकी उम्र के लिहाज से कम हो। यानी उम्र के हिसाब से बच्चे की हाइट न बढ़ी हो। हाइट का सीधा-सीधा संबंध पोषण से है। जिस समाज में लंबे समय तक बच्चों में पोषण कम होता है वहां बच्चों में स्टंटिंग की परेशानी होती है।

इन तीनों आयामों को 100 पाइंट का स्टैंडर्ड स्कोर दिया जाता है। इस स्कोर में अंडरनरिशमेंट, चाइल्ड मोर्टलिटी और चाइल्ड अंडरन्यूट्रिशन तीनों का एक-एक तिहाई हिस्सा होता है। स्कोर स्केल पर 0 सबसे अच्छा स्कोर होता है, वहीं 100 सबसे बुरा।

हंगर इंडेक्स सरकार किस आधार पर कर रही है खारिजः

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने फाओ द्वारा जारी हंगर इंडेक्स पर सवाल उठाया है। मंत्रालय ने कहा है कि रिपोर्ट जमीनी वास्तविकता और तथ्यों से परे है। मंत्रालय के मुताबिक इंडेक्स को बनाने के लिए जिस मैथड को अपनाया गया है वो अनसाइंटिफिक है।

किसके हैं ये आंकड़ेः इंडेक्स को बनाने के लिए फाओ (FAO)  यानी अंडरनरिशमेंट का डेटा फूड एंड एग्रीकल्चरल ऑर्गनाइजेशन से लिया गया है। ये संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है, जो दुनियाभर से भुखमरी को खत्म करने और पोषण और खाद्य सुरक्षा में सुधार के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को बढ़ावा देती है।

ये एंजेसी हर साल ‘द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड’ नाम से एक रिपोर्ट जारी करती है। 2018- 20 के आंकड़े बताते हैं कि भारत की 15.3 प्रतिशत आबादी अंडरनरिश्ड है। इसी आंकड़े को हंगर इंडेक्स की कैलकुलेशन करते वक्त भी इस्तेमाल किया गया है।

फाओ द्वारा जारी हंगर इंडेक्स में भी भारत में अंडर नरिश्ड पॉपुलेशन की संख्या 15.3 प्रतिशत बताई गई है। साथ ही चाइल्ड वेस्टिंग की रेट 17.3 फीसदी  है। ये दोनों ही पैमाने हैं जिनकी वजह से भारत का प्रदर्शन खराब हुआ है। बाकी दो पैमाने – चाइल्ड स्टंटिंग और मोर्टलिटी रेट में भारत का प्रदर्शन अच्छा रहा है। पैमानों के लिए सभी आंकड़े डब्ल्यूएचओ (WHO) विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों, वर्ल्ड बैंक और अलग-अलग सर्वे से लिए गए हैं।

क्या आंकड़ों पर सवाल उठाना सही हैः
विशेषज्ञों के मुताबिक कोई भी मैथडोलॉडी पूरी तरह परफेक्ट नहीं होती है, लेकिन जिस आधार पर हंगर इंडेक्स को तैयार किया गया है, ये बहुत स्टैंडर्ड और वैलिड मैथडोलॉजी है। साथ ही सभी देशों के लिए एक ही मैथडोलॉजी के आधार पर रैंकिंग तैयार की गई है, इसलिए अगर मैथडोलॉजी में कहीं कोई समस्या है, तो वो सभी देशों पर लागू होती है।

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