दिल्लीः कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक दिन पहले ही यानी शनिवार को पार्टी नेताओं को नसीहद दी थी और कहा था कि वह फुल टाइम पार्टी अध्यक्ष हैं और पूरी तरह से सक्रिय हैं। सीडब्ल्यूसी (CWC) यानी कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में दी सोनिया द्वारा दी गई इस नसीहत की अगले ही दिन यानी रविवार को अनदेखी हो गई। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने रविवार को सोनिया को 13 मांगों को लेकर सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी और इस इस चिट्ठी को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट भी किया।
दरअसल पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी को पत्र लिखने के बहाने सिद्धू ने राज्य के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि पार्टी आलाकमान ने अनुसूचित जाति का मुख्यमंत्री बनाकर प्रगतिशील फैसला लिया। इसके बावजूद अनुसूचित जाति को सरकार में बराबर प्रतिनिधित्व नहीं मिला।
सिद्धू ने सोनिया को लिखे पत्र में 13 मुद्दे उठाए हैं, जिनमें सोनिया से अपील की गई है कि वह पंजाब सरकार को इस बारे में निर्देश दें कि इन मुद्दों को हल किया जाए। सिद्धू पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटवाने के बाद सरकार पर दबाव बनाकर सुपर सीएम बनने की कोशिश में लगे हुए हैं। इसी वजह से अब उन्होंने हाईकमान के जरिए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी पर दबाव बनाने की कोशिश की है।
आपको बता दें कि अभी तक सिद्धू अपनी ही सरकार से सीधे टक्कर ले रहे थे, लेकिन पार्टी आलाकमान की नाराजगी के बाद सिद्धू ने अपना रुख बदल लिया है। सिद्धू ने इशारों में कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को यह भी स्पष्ट किया है कि अगर उनके उठाए मुद्दों पर कार्रवाई नहीं हुई तो अगले चुनाव में कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। इसके अलावा सिद्धू ने पिछले विधानसभा चुनाव में अपने प्रचार की बदौलत कई सीटों पर जीत का भी दावा किया है। सिद्धू ने कहा कि उन्होंने 2017 में 55 विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार किया था, जिनमें से 53 पर कांग्रेस की जीत हुई।
सोनियो को लिखे पत्र में सिद्धू ने सबसे पहले श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और उनसे जुड़े गोली कांड में इंसाफ की मांग उठाई है। इसके अलावा नशे का मुद्दा उठाते हुए स्पेशल टास्क फोर्स की रिपोर्ट में नाम आने वाले तस्करों के नाम हैं, उन्हें तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की है।
सिद्धू ने अपने पत्र में विवादित कृषि सुधार कानून लागू न करने को लेकर राज्य सरकार से SYL जैसा स्टैंड लेने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि पंजाब सरकार को तुरंत विवादित कृषि सुधार कानूनों को पंजाब में लागू न करने की घोषणा करनी चाहिए और इन्हें पूरी तरह से रद्द करना चाहिए। इसके लिए सतलुज यमुना लिंक (SYL) नहर जैसे फैसले की जरूरत है। आपको बता दें कि यह फैसला मुख्यमंत्री रहते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लिया था जिसमें उन्होंने कानून बनाकर SYL समझौते को सिरे से रद्द कर दिया था।
पंजाब कांग्रेस के प्रमुख ने अपने पत्र में बिजली का भी मुद्दा उठाया है और कहा कि घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घंटे सस्ती बिजली मिलनी चाहिए। सरकार सिर्फ औद्योगिक और व्यापारिक इस्तेमाल के लिए बिजली की दरें घटाती है और खेती के लिए मुफ्त बिजली देती है। इसलिए घरेलू उपभोक्ताओं के लिए भी बिजली सब्सिडी निर्धारित होनी चाहिए। चाहे हमें बिजली ₹3 प्रति यूनिट तक घटानी हो या सभी को 300 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाए। उन्होंने बिजली खरीद समझौतों पर व्हाइट पेपर जारी करने की भी मांग की।
नवजोत सिंह सिद्धू ने अनुसूचित और पिछड़ी जातियों की भलाई के मुद्दे पर सीएम चन्नी पर ही हमला बोला है और कहा है कि मंत्रिमंडल में कम से कम एक मजबी सिख, दोआबे से अनुसूचित जाति का एक प्रतिनिधि और पिछड़ी जाति भाईचारे से कम से कम 2 प्रतिनिधि मंत्रिमंडल में होने चाहिए थे। इसके अलावा रिजर्व विधानसभा क्षेत्रों के विकास के लिए 25 करोड़ का विशेष पैकेज देना चाहिए। वहीं अनुसूचित जाति के परिवारों को 5 मरले का प्लांट, हर अनुसूचित जाति के परिवार के लिए पक्की छत की रकम और वजीफा आदि जैसे वादे भी हमें पूरे करने चाहिए।
पंजाब कांग्रेस के प्रमुख ने सरकारी पदों पर नियुक्तियों का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि पंजाब में खाली पड़ी सरकारी पदों को नियमित तौर पर भरना चाहिए। 20 से ज्यादा संगठन इस वक्त राज्य भर में विरोध कर रहे हैं। हमें हमदर्दी से उनकी मांगों को मानना चाहिए। मैं प्रदेश कांग्रेस को मिली हर अर्जी और मांग पत्र को संबंधित मंत्रालय को भेज रहा हूं। सरकार को वित्तीय साधनों को देखते हुए इस बारे में विचार-विमर्श के लिए रास्ते खुले रखने चाहिए। उद्योग और कारोबार के लिए पंजाब सरकार को सिंगल विंडो सिस्टम बनाना चाहिए।
सिद्धू ने कहा है कि 2017 में बनी कांग्रेस सरकार की पहली कैबिनेट मीटिंग से मैं इस मुद्दे के लिए लड़ रहा हूं। तमिलनाडु की तरह पंजाब में भी शराब के व्यापार को सरकार द्वारा चलाई जा रही कॉर्पोरेशन के अधीन लाकर इसके ऊपर एकाधिकार स्थापित करना चाहिए। पंजाब सरकार खुद डिस्टलरीज और शराब के ठेकों की मालिक होनी चाहिए। इससे हजारों नौकरियों के साथ-साथ पंजाब को कम से कम 20,000 करोड़ से ज्यादा सालाना कमाई होगी।
रेत को लेकर मुद्दा उठाते हुए सिद्धू ने कहा है कि पंजाब में दो हजार करोड़ सालाना कमाई हो सकती है, लेकिन पहले अकाली सरकार 40 करोड़ की कमाई करती रही है और हमारे हिस्से में उसमें से कुछ सौ करोड़ की ही बढ़ोतरी हुई है। हमें मुफ्त रेत के जाल में न फंस कर वाजिब रेट पर सीधे उपभोक्ता को रेत उपलब्ध करानी चाहिए। इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल बनाया जाना चाहिए। सरकार को रेत खुदाई निगम बनाना चाहिए। सिद्धू की यह बात इसलिए अहम है क्योंकि मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने कहा था कि पंजाब में लोगों को उनके खेत से रेत निकालने की छूट दी जाएगी।
पंजाब में आवाजाही को लेकर सिद्धू ने नए ट्रांसपोर्ट मंत्री अमरिंदर सिंह राजा वडिंग की तारीफ की। सिद्धू ने कहा कि पंजाब की सड़कों में 13,000 बसें गैरकानूनी या बिना परमिट के चल रही हैं। इन्हें हटाकर पंजाब के युवाओं को परमिट जारी करना चाहिए। इसके अलावा पीआरटीसी की लग्जरी बसों को बादलों की बसों की जगह पर चलाने वाले ट्रांसपोर्ट मंत्री के साथ खड़े होना चाहिए। सिद्धू की इन बातों से इशारा मिल रहा है कि नए ट्रांसपोर्ट मंत्री की कार्रवाई को लेकर उन्हें सरकार से पर्याप्त सहयोग या सपोर्ट नहीं मिल रहा है।
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सिद्धू ने अपने पत्र में केबल माफिया का भी मुद्दा भी उठाया है और कहा है कि राज्य की आमदनी बढ़ाने हजारों नौकरियों का रास्ता खोलने और बादलों द्वारा चलाए जा रहे केबल माफिया को खत्म करने के लिए पंजाब में मनोरंजन और मनोरंजन टैक्स बिल 2017 को लागू करना चाहिए।
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