मुंबईः महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे शुक्रवार को बीजेपी और आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत पर तीखा हमला। यहां शनमुखानंद हॉल में आयोजित शिवसेना की वार्षिक दशहरा रैली में उद्धव ने कहा क‍ि मोहन जी ने आज कहा कि जो लड़ाई है वह विचार से होना चाहिए, युद्ध नहीं.. यह बात आपको उनको यानी बीजेपी को  भी बतानी चाहिए, जो सत्ता में रहने के लिए कुछ भी कर रहे हैं..।

सीएम ठाकरे ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा क‍ि नशा की बात की गई, नशा पर कार्रवाई की जानी चाहिए.. लेकिन जो सत्ता का नशा कर रहे हैं, उनका क्या.. कुछ भी कर सत्ता में रहना है। उन्‍होंने कहा क‍ि जब हम देश को धर्म बनाकर आगे निकलते हैं और कोई दूसरा धर्म के नाम पर कुछ भी करता है तो उसके खिलाफ बोलना भी हमारा कर्तव्य है।

उन्होंने कहा कि आज आरएसएस की भी सभा हुई। हिंदुत्व पर बात हुई…मैं मोहन जी को कहता हूं कि माफ कीजिए, आज मैं आप पर टीका नहीं कर रहा.. क्‍योंक‍ि हिंदुत्व का मतलब राष्ट्र प्रेम है। बालसाहेब ने कहा था कि पहले हम देशवासी हैं, उसके बाद धर्म आता है। धर्म घर पर रख हम जब बाहर निकलते हैं, तब देश हमारा धर्म होता है। उन्‍होंने कहा क‍ि आज मोहन भागवत ने कहा, जो पिछले बार भी कहा था वह सही है कि पहले सभी के पूर्वज एक थे, बिल्कुल पहले नहीं जा रहा, नहीं तो बंदर तक पहुँच जाएंगे, लेकिन अगर सबके पूर्वज एक हैं तो फिर विपक्ष वाले के पूर्वज इसमें नहीं हैं क्या, किसानों के पूर्वज नहीं है क्या, जिनपर गाड़ी चढ़ाया गया, यह नहीं हैं क्या? उन्होंने सवाल किया कि मैं मोहन जी को पूछता हूँ कि क्या आप इससे सहमत हैं जो उनके साथ हो रहा है।

महाराष्ट्र के सीएम ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा क‍ि बाकी लोग केवल कहते हैं कि गरबा नहीं खेलने दिया, यह कैसा हिंदुत्व है..। मैं बताना चाहता हूं कि समाज सेवा हिंदुत्व है। रक्तदान करते समय हम धर्म, जात नहीं सोचते। मोहन जी जो आप कहते हैं, सभी के पूर्वज एक हैं.. हम रक्तदान करते हुए यह बता रहे हैं कि हम सब साथ हैं। कोई दूसरी पार्टी यह करके दिखाए।

उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की टिप्पणी को लेकर भी बीजेपी की जमकर आलोचना की और कहा कि बीजेपी ने वीर सावरकर और महात्मा गांधी दोनों ही को नहीं समझा है।

आपको बता दें कि राजनाथ सिंह ने हाल ही में यह दावा किया था कि अंडमान के सेलुलर जेल में बंद रहने के दौरान महात्मा गांधी ने वीर सावरकर को ब्रिटिश सरकार को दया याचिका भेजने की सलाह दी थी।

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