ओस्लोः इस साल का शांति नोबेल पुरस्कार फिलीपीन्स की पत्रकार मारिया रेस्सा और रूस के दमित्री मुरातोव को है। इन दोनों को यह पुरस्कार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उनके प्रयासों को देखते हुए दिया गया है। नोबेल पुरस्कार समिति ने कहा, “अभिव्यक्ति की आजादी किसी लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण पूर्व शर्त है।“ इस साल नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की शुरुआत 4 अक्टूबर को ‘चिकित्सा के लिए नोबेल पुरस्कार’ के साथ हुई। 5 अक्टूबर को भौतिकी, 6 अक्टूबर को रसायन शास्त्र और 7 अक्टूबर को साहित्य का नोबेल दिया गया। 11 अक्टूबर को अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार की घोषणा होगी।
नोबेल पुरस्कार समिति ने कहा कि स्वतंत्र, मुक्त तथा तथ्यों पर आधारित पत्रकारिता सत्ता के दुरुपयोग, झूठ और युद्ध के दुष्प्रचार से रक्षा करता है। नार्वे की संस्था ने माना कि अभिव्यक्ति की आजादी और सूचना की स्वतंत्रता लोगों को जागरूक बनाती है। ये अधिकार लोकतंत्र के लिए पूर्व शर्त है और युद्ध तथा संघर्ष में रक्षा करते हैं। समिति ने कहा कि मारिया और दमित्री को यह पुरस्कार दिया जाना इन मूलभूत अधिकारों की रक्षा करने के महत्व को दर्शाता है।
आपको बता दें कि मारिया रेस्सा फिलीपीन्स के राष्ट्रपति की आलोचक हैं और पहले भी कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं। उन्होंने हाल ही में एक फैसले में छह साल कैद की सजा सुनाई गई थी। इस फैसले को फिलीपीन्स में प्रेस की स्वतंत्रता को बड़ा झटका माना गया था। मनीला की अदालत ने ऑनलाइन समाचार साइट रैपलर इंक की मारिया रेसा और पूर्व रिपोर्टर रेनाल्डो सैंटोस जूनियर को एक अमीर कारोबारी की मानहानि का दोषी पाया था।
रेसा ने इस फैसले के बाद कहा, “उन्होंने कहा कि हमने अपने ऑनलाइन प्रकाशन में इसे बस समाचार की तरह लापरवाही से प्रकाशित किया था, यह जांचे बिना कि वह सही है या नहीं। यह फैसला मेरे लिए सदमा पहुंचाने वाला है क्योंकि यह कहता है कि रैपलर और हम गलत हैं।’ उन्होंने भावुक होते हुए कहा, “हम लड़ते रहेंगे’ और पत्रकारों तथा फिलीपीन्स के लोगों से अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहने और ‘सत्ता को जवाबदेह बनाते रहने’ की अपील की थी।“
वहीं रूसी अखबार अखबार नोवाया गजेटा के संपादक दमित्री मुरातोव रूस में अभिव्यक्ति की आजादी की आवाज को बुलंद किए हुए हैं। माना जाता है कि पुतिन के शासन काल में केवल उनका ही अखबार ऐसा है जो सरकार के खिलाफ आवाज उठाता रहा है। इस अखबार ने पुतिन सरकार में भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन के कई मामलों का खुलासा किया है।
आपको बता दें कि नोबेल शांति पुरस्कार किसी उस संगठन या व्यक्ति को दिया जाता है, जिसने राष्ट्रों के बीच भाइचारे और बंधुत्व को बढ़ाने के लिए सर्वश्रेष्ठ काम किया हो। पिछले साल यह पुरस्कार विश्व खाद्य कार्यक्रम को दिया गया था, जिसकी स्थापना 1961 में विश्वभर में भूख से निपटने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट आइजनहावर के निर्देश पर किया गया था। रोम से काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी को वैश्विक स्तर पर भूख से लड़ने और खाद्य सुरक्षा के प्रयासों के लिए यह पुरस्कार दिया गया। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के तहत एक स्वर्ण पदक और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर (11.4 लाख डॉलर से अधिक राशि) दिये जाते हैं।
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