दिल्लीः आज गुरुवार यानी 07 अक्टूबर है। आज से शक्ति की आराधना का पर्व शरद नवरात्रि शुरू हो गया है, जो 15 अक्टूबर को दशहरे पर खत्म होगा। तिथियों की घट-बढ़ होने की वजह से इस बार नवरात्रि आठ दिनों की ही होगी। इस बार नवरात्रि शुरू होने पर देवी झूले पर बैठकर गुरुवार से आएंगी और दशहरा के मौके पर शुक्रवार को हाथी पर सवार होकर भक्तों को आर्शीवार्द देते हुए प्रस्थान कर जाएंगी। तो चलिए आपको बताते हैं आज घटस्थापाना के शुभ मुहूर्त के बारे में

देवी की घटस्थापना के लिए सिर्फ आज 2 ही शुभ मुहूर्त रहेंगे। इस साल चित्रा नक्षत्र और वैधृति नाम का अशुभ योग पूरे दिन रहने के कारण ऐसा हो रहा है। इस पर उज्जैन, पुरी, तिरुपति, हरिद्वार और बनारस के धर्माचार्यों के मुताबिक इस बार अभिजीत मुहूर्त में घटस्थापना करना शुभ रहेगा।

कलश स्थापना: इस बार नवरात्रि की शुरुआत 7 शुभ योगों में हो रही है। इस दिन सूर्योदय के वक्त कुंडली में महालक्ष्मी, पर्वत, बुधादित्य, शंख, पारिजात, भद्र और केमद्रुम योग रहेंगे। इन शुभ योगों में शक्ति पर्व की शुरुआत होने के कारण देवी पूजा से सुख-समृद्धि और तरक्की मिलेगी।

नवरात्रि के योग: इस बार  नवरात्रि में 9, 10, 11, 14 और 15 अक्टूबर को रवियोग रहेंगे। वहीं दशहरा अपने आप में अबूझ मुहूर्त होता है। इस तरह 15 अक्टूबर तक हर तरह की खरीदारी, रियल एस्टेट में निवेश और नए कामों की शुरुआत के लिए 6 दिन बहुत ही शुभ रहेंगे।

अब आपको कलश स्थापना के महत्व के बारे में जानकारी देते हैं। कलश स्थापना का अर्थ नवरात्रि के वक्त ब्रह्मांड में मौजूद शक्ति तत्व का घट यानी कलश में आह्वान करना है। शक्ति तत्व के कारण घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। नवरात्रि के पहले दिन पूजा की शुरुआत दुर्गा पूजा के लिए संकल्प लेकर ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) में कलश स्थापना करके की जाती है।

पूजा विधि

  1. कलश पर माता की मूर्ति रखें। मूर्ति न हो तो कलश पर स्वास्तिक बनाकर देवी के चित्र की पूजा करें और नौ दिन तक व्रत-पूजा करने का संकल्प लें।
  2. पहले भगवान गणेश फिर वरुण देवता के साथ ही नवग्रह, मातृका, लोकपाल और फिर देवी पूजा शुरू करें।
  3. देवी पूजा महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप में करनी चाहिए। फिर हर दिन श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ करना चाहिए।

ध्यान रखें ये बातें

  1. नवरात्रि में नौ दिन तक अखंड ज्योत जलाई जाती है। घी का दीपक देवी के दाहिनी ओर, तेल वाला देवी के बाईं ओर रखना चाहिए।
  2. अखंड ज्योत नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए। जब ज्योत में घी डालना हो या बत्ती ठीक करनी हो तो अखंड दीपक की लौ से एक छोटा दीपक जलाकर अलग रख लें।
  3. दीपक ठीक करते हुए अखंड ज्योत बुझ भी जाए तो छोटे दीपक की लौ से फिर जलाई जा सकती है। छोटे दीपक की लौ को घी में डुबोकर ही बुझाएं।

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