लखनऊः उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में घटित हिंसा के बीच बीजेपी ने गुरुवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की नई सूची जारी की। बीजेपी की इस लिस्ट में वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। उनकी जगह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया को जगह मिली है। बीजेपी की नई कार्यसमिति में अधिकांश नए एवं युवा चेहरों को जगह दी है, जिनमें केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, गिरिराज सिंह, छत्तीसगढ़ से अजय चंद्राकर, लता उसेंडी, मध्यप्रदेश में नरोत्तम मिश्रा शामिल हैं।
इस बार जगह पाने से वंचित रह गए लोगों में डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी, मेनका गांधी, वरुण गांधी, विनय कटियार प्रमुख हैं। बीजेपी के इस ऐक्शन से साफ है कि वरुण को उनके बागी तेवरों की सजा मिली है। आपको बता दें कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 80 सदस्य होते हैं और पार्टी के अंदर और बाहर कोई भी फैसले लेने में इसकी अहम भूमिका होती है।
आपको बता दें कि वरुण बीते कई दिनों से किसान मुद्दे को लेकर अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। उन्होंने लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद बगावत और तेजी दिखाई है। जहां एक ओर बीजेपी नेता दबी जुबान से भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है, वहीं वरुण इस मामले में खुलकर सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं।
वरुण गांधी ने गुरुवार सुबह ही एक वायरल वीडियो ट्वीट किया जिसमें एक जीप प्रदर्शनकारी किसानों को रौंदते हुए जा रही है। इसके साथ ही उन्होंने लिखा, “वीडियो बिल्कुल साफ है। प्रदर्शनकारियों को हत्या कर चुप नहीं कराया जा सकता। किसानों के खून की जबावदेही होनी चाहिए और अहंकार व क्रूरता का भय बैठने से पहले किसानों को न्याय मिलना चाहिए।“
उन्होंने पांच अक्टूबर को भी इसी घटना से जुड़ा एक और वीडियो क्लिप शोसल मीडिया पर शेयर किया था और मांग की थी कि पुलिस इस वीडियो का संज्ञान लेकर इन गाड़ियों के मालिकों, इनमें बैठे लोगों, और इस प्रकरण में संलिप्त अन्य व्यक्तियों को चिह्नित कर तत्काल गिरफ्तार करे। इससे पहले चार अक्टूबर को यानी इस घटना के अगले दिन उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खत लिखकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की थी।
लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के पहले भी वरुण गांधी ने बागी तेवर दिखाई दिए थे और उन्होंने गन्ने का रेट 400 रुपये घोषित करने की मांग की। इसके लिए उन्होंने योगी आदित्यनाथ को खत भी लिखा था। वरुण ने 12 सितंबर को सीएम योगी आदित्यनाथ को खत लिख कर किसानों का मुद्दा उठाया था और भूमिपुत्रों की बात सुनते की अपील थी। उन्होंने पत्र में गन्ना के दाम, बकाया भुगतान, धान की खरीदारी समेत 7 मुद्दों को उठाया था। साथ ही 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में हुई महापंचायत में वरुण गांधी ने किसानों का समर्थन कर सरकार को असहज महसूस कराया था।
आपको बता दें कि बीजेपी कार्यकारिणी में यूपी से कई बड़े चेहरों को शामिल किया गया। इसमें महेंद्रनाथ पांडेय, स्मृति इरानी, ब्रजेश पाठक, अनिल जैन, संजीव बालियान, राजनाथ सिंह, संतोष गंगवार और स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम भी जुड़ गया है, लेकिन वरुण और उनकी मां मेनका का नाम नदारद रहा।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक खुद की और मां मेनका गांधी की लगातार उपेक्षा से वरुण गांधी खासे नाराज हैं और यही वजह से पार्टी लाइन से अलग जाकर बयानबाजी कर रहे हैं। इस बार मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार में वरुण गांधी की भी चर्चा हो रही थी लेकिन उन्हें शामिल नहीं किया गया। इसके अलावा अगले साल होने वाले यूपी चुनाव में भी वरुण गांधी को कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी गई है।
वरूण गांधी को कार्यकारिणी से बाहर निकालने की कई अवजह है। दरअसल वरुण और बीजेपी आलाकमान के बीच खटास आज से नहीं, 2013 से ही है। उस समय वरुण गांधी पश्चिम बंगाल प्रभारी थे और लोकसभा चुनाव से पहले कोलकाता के परेड ग्राउंड प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने रैली की थी। वरुण गांधी ने ही रैली का पूरा प्रबंध संभाला था। बीजेपी इसे अच्छी रैली मान रही थी, लेकिन वरुण ने अगले दिन अखबार में बयान दे दिया कि रैली विफल रही। राजनीति जानकारी के मुताबिक यहीं से बीजेपी और वरुण गांधी के रिश्ते में दरार पैदा हो गई।
अब वरुण की बगावती तेवर के मद्देनजर उनके बीजेपी छोड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं। आपको बता दें कि बीते दिनों उनके ट्विटर प्रोफाइल का स्क्रीनशॉट भी वायरल हुआ जिसमें कहा गया कि उन्होंने अपने ट्विटर बायो से बीजेपी हटा लिया गया है। हालांकि वरुण गांधी के करीबियों ने इसका खंडन करते हुए स्पष्ट किया कि वरुण ने कभी भी पार्टी का नाम बायो में नहीं लिखा था।
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