दिल्लीः इस समय पाकिस्तान में अमेरिका का एक विधेयक चर्चा का विषय बना हुआ है। पाकिस्तान के हर टीवी चैनल पर अमेरिका के यह विधेयक बहस का मुद्दा बना है। अमेरिका के इस विधेयक का असर पाकिस्तान पर इस कदर पड़ेगा कि वहां इकोनॉमी तबाह हो जाएगी। दरअसल अमेरिकी सीनेट के 22 रिपब्लिकन सदस्यों ने तालिबान और आतंकवाद पर नकेल कसने के लिए अफगानिस्तान में आतंकवाद विरोधी अभियान, निगरानी और जवाबदेही बिल पेश किया है। इसमें तालिबान पर जितना फोकस है, उससे कहीं ज्यादा पाकिस्तान को टारगेट किया गया है।

यदि यह विधेयक 180 दिनों में पास हो जाता है और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन इसे हरी झंडी दे देते हैं, तो पाकिस्तान की इकोनॉमी तबाह हो जाएगी। यहीं वजह है कि पाकिस्तान इमरान सरकार, फौज और ISI सब दहशत में हैं। इस विधेयक के पास होने में दिक्कत आने की आशंका भी कम ही है। इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान की हरकतों पर डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन करीब-करीब एक ही नजरिया रखते हैं। आपको बता दें कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने तो इमरान खान से मुलाकात तक कर ली थी, लेकिन मौजूदा राष्ट्रपति बिडेन ने तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से फोन पर भी बात करने को तैयार नहीं हैं। आइए आपको बताते हैं इस विधेयक का पाकिस्तान  पर पड़ने वाले असर के बारे मेः-

क्या है बिल:-
अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में पेश हुए इस विधेयक का नाम अफगानिस्तान में आतंकवाद विरोधी अभियान, निगरानी और जवाबदेही है। इसे रिपब्लिकन सीनेटर जिम रीश के नेतृत्ववाली समिति ने तैयार किया है। इसमें बिडेन प्रशासन से कुछ बेहद सख्त सवाल किए गए हैं। इसके अलावा 20 साल चली अफगान जंग में पाकिस्तान की जवाबदेही और तालिबान के मददगारों की जानकारी मांगी गई है।

विधेयक में सवाल किया गया है कि क्या पंजशीर घाटी में हुई जंग में पाकिस्तान ने तालिबान को खुली मदद दी? क्या पाकिस्तान ने नॉन स्टेट एक्टर्स और ड्रग तस्करों के जरिए तालिबान को मदद और अमेरिका को नुकसान पहुंचाया?

क्यों गंभीर है मामलाः-
हाल ही में अमेरिकी सेना के सबसे बड़े अफसर जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ जनरल मार्क मिले सीनेट के सामने पेश हुए थे। इस दौरान कुछ सीनेटर्स ने उनसे पाकिस्तान को लेकर सवाल पूछे तो जनरल मार्क ने कहा, “कुछ बातें टॉप सीक्रेट हैं। मैं बंद कमरे में ही इनका जवाब दूंगा। मार्क ने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि सीनेट की सुनवाई कैमरों के सामने होती है और दुनिया में इसे कहीं भी देखा जा सकता है। लिहाजा अति संवेदनशील जानकारी जनरल मार्क ने नहीं दी।“

अब क्या होगाः-

अफगानिस्तान में आतंकवाद विरोधी अभियान, निगरानी और जवाबदेही नामक इस बिल को तैयार करने में कई संसदीय समितियों ने सहयोग दिया है। अमेरिकी रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और खुफिया एजेंसियां 180 दिन में तमाम जानकारी इन कमेटियों को मुहैया कराएंगी। इन पर उच्च स्तर पर विचार और बहस होगी। इसके बाद कानून को अंतिम रूप दिया जाएगा। अंत में राष्ट्रपति बिडेन की मंजूरी मिलने के बाद कानून लागू हो जाएगा।

इस विधेयक के अमेरिकी सीनेट में पेश होते ही पाकिस्तान में दहशत फैल गई। इमरान सरकार में मंत्री शिरीन मजारी ने सोशल मीडिया पर कहा, “हमने 20 साल अमेरिका और नाटो का साथ दिया। हमें फिर बलि का बकरा बनाया जा रहा है। हमारे 80 हजार लोग और फौजी मारे गए। 450 ड्रोन हमले झेले। अब फिर भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।“ वहीं गृहमंत्री शेख राशिद बोले- अमेरिकी सीनेट में बिल आ चुका है। हमारे बड़े और कड़े इम्तिहान होंगे, लेकिन हम सरेंडर नहीं करेंगे। इसके अलावा विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा, “अमेरिका में पाकिस्तान विरोधी सक्रिय हैं। हमने हमेशा अमेरिका की मदद की है। आज हमें ही गलत ठहराया जा रहा है।“

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