न्यूयॉर्कः जिसकी उम्मीद थी, वही हुआ। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर कश्मीर का राग अलापा और भारत पर कश्मीर पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगाया। इमरान खान ने शनिवार तड़के यूएजीसी (UNGC) यानी संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने अपने भाषण को कश्मीर और अफगानिस्तान पर ही फोकस रखा।
पाकगिस्तान के प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि कश्मीर में एकतरफा कदम उठाकर भारत ने जबरिया कब्जा किया है, जिसका भारत ने करारा जवाब दिया है। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय डिप्लोमेट स्नेहा दुबे ने कहा है कि पूरा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हमेशा से भारत के अभिन्न अंग हैं और रहेंगे। इनमें पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से भी शामिल हैं। पाकिस्तान को इन्हें तुरंत छोड़ देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश जानते हैं कि पाकिस्तान का इतिहास आतंकियों को पालने और उनकी मदद करने का रहा है, यह पाकिस्तान की नीति में शामिल है। ये पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के मंच का इस्तेमाल भारत के खिलाफ झूठ फैलाने और दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए किया है।
इमरान खान ने यूएनजीसी को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका में 9/11 हमलों के बाद दुनियाभर के दक्षिण पंथियों (राइट विंग) ने मुसलमानों पर हमले शुरू कर दिए। भारत में इसका सबसे ज्यादा असर है। वहां आरएसएस (RSS) और बीजेपी मुस्लिमों को निशाना बना रहे हैं। मुस्लिमों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। कश्मीर में एकतरफा कदम उठाकर भारत ने जबरिया कब्जा किया है।
उन्होंने कहा कि मीडिया और इंटरनेट पर पाबंदी है। डेमोग्राफिक स्ट्रक्चर चेंज किया जा रहा है। मेजॉरिटी को माइनोरिटी में बदला जा रहा है। ये दुर्भाग्य है कि दुनिया सिलेक्टिव रिएक्शन देती है। यह दोहरे मापदंड हैं। सैयद अली शाह गिलानी के परिजनों के साथ अन्याय हुआ। मैं इस असेंबली से मांग करता हूं कि गिलानी के परिवार को उनका अंतिम संस्कार इस्लामी तरीके से करने की मंजूरी दी जाए।
उन्होंने कहा, “हम भारत से अमन चाहते हैं, लेकिन भाजपा वहां दमन कर रही है। अब गेंद भारत के पाले में है। भारत को कश्मीर में उठाए गए कदमों को वापस लेना होगा। कश्मीर में बर्बरता बंद और डेमोग्राफिक चेंज बंद करना होगा। भारत सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। इससे इस क्षेत्र का सैन्य संतुलन बिगड़ रहा है। दोनों देशों के पास न्यूक्लियर हथियार हैं।“
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ने अपने संबोधन के दौरान अफगानिस्तान का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां के बिगड़े हालात के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी कीमत हमने चुकाई है। 80 हजार लोग मारे गए, 120 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। हमने अमेरिका के लिए जंग लड़ी। 1983 में प्रेसिडेंट रोनाल्ड रीगन ने मुजाहिदीन को हीरो बताया था। जब सोवियत सेनाएं वहां से चली गईं तो अमेरिका ने अफगानिस्तान को अकेला छोड़ दिया।
इमरान ने कहा, “हम पर प्रतिबंध लगाए गए। बाद में यही मुजाहिदीन, जिन्हें हमने ट्रेंड किया था, वे हमारे खिलाफ ही खड़े हो गए। हम पर हमले करने लगे। हमसे कहा जाता है कि आप तालिबान की मदद करते हैं। आज भी 30 लाख पश्तून पाकिस्तान में रहते हैं। उनकी तालिबान से सहानूभूति है। अमेरिका ने पाकिस्तान में 480 ड्रोन हमले किए। इससे बहुत नुकसान हुआ। वे अमेरिका के बजाय पाकिस्तान से बदला लेते हैं। हमें अपनी राजधानी को किले में तब्दील करना पड़ा।“
उन्होंने अफगानिस्तान का राग अलापते हुए कहा कि हमारे पास मजबूत सेना और दुनिया की बेहतरीन इंटेलिजेंस एजेंसी है। पाकिस्तान के बारे में दुनिया ने दो लफ्ज तारीफ के नहीं कहे, बल्कि हमें हर चीज का कसूरवार ठहरा दिया गया। अफगानिस्तान का सैन्य समाधान नहीं है। ये मैं जो बिडेन के सीनेटर रहते वक्त उन्हें बता चुका हूं। आज ये सोचने की जरूरत है कि तीन लाख अफगान आर्मी क्यों हारी? तालिबान क्यों आए। अब क्या किया जाए। दो रास्ते हैं। अगर हमने अफगानिस्तान को अकेला छोड़ा तो अगले साल तक आधे से ज्यादा अफगान गरीबी रेखा के नीचे होंगे। अगर ऐसा हुआ तो अफगानिस्तान फिर आतंकवाद की पनाहगाह बन जाएगा।
इमरान ने कहा कि तालिबान हुकूमत को दुनिया स्वीकार करे और उसे मान्यता दे। तालिबान के वादों पर भरोसा करें। उन्होंने रिफॉर्म का वादा किया है। अगर ऐसा हुआ तो सबकी जीत होगी। 20 साल में जो हुआ उससे क्या हासिल हुआ? अफगानिस्तान को मदद की जरूरत है। अब इसमें देर की गई तो यह भारी पड़ सकती है।