प्रयागराजः अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरि को आज भू-समाधि दी जाएगी। उनके पार्थिव शव को बाघंबरी मठ से स्वरूप रानी नेहरू हॉस्पिटल के पोस्टमार्टम हाउस ले जाया गया, जहां वहां 5 डॉक्टरों की टीम पोस्टमार्टम कर रही है। इसके बाद उनके शव को संगम में स्नान कराया जाएगा और फिर बाघंबरी मठ में ही महंत को भू-समाधि दी जाएगी। महंत नरेंद्र गिरि के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ को देखते हुए प्रयागराज में शहरी क्षेत्र के 12वीं तक के सभी स्कूल-कॉलेज में छुट्‌टी कर दी गई है।

आपको बता दें कि महंत नरेंद्र गिरि की अंतिम इच्छा थी कि उनकी समाधि बाघंबरी मठ में नीबू के पेड़ के पास दी जाए। यह बात उन्होंने अपने सुसाइड नोट में भी लिखी है। महंत नरेंद्र गिरि का शव 20 सितंबर को मठ के कमरे में फंदे से शव लटका मिला था। शव के पास ही कई पेज का वसीयतनुमा सुसाइड नोट मिला था।

महंत नरेंद्र गिरि की समाधि के कार्यक्रम के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था के लिए 2 एडिशनल SP, 4 CO, 8 थानेदार, 2 कंपनी PAC और 400 दरोगा-सिपाही की ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा मॉनिटरिंग के लिए DIG/SSP, IG रेंज और ADG जोन खुद मौजूद रहेंगे।

महंत नरेन्द्र गिरि की मौत की मौत को लेकर लेटे हनुमान मंदिर के व्यवस्थापक अमर गिरि पवन महाराज की ओर से स्वामी आनंद गिरि के खिलाफ आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मुकदमा दर्ज कराया गया है। वहीं पुलिस ने इस सिलसिले में स्वामी आनंद गिरि समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया है और जांच SIT को सौंपी गयी है। 18 सदस्यीय SIT का नेतृत्व CO अजीत सिंह चौहान कर रहे हैं।

पुलिस की टीम आनंद गिरी से प्रयागराज पुलिस लाइंस में पूछताछ कर रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की गहनता से जांच की जा रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से महंत की मौत का कारण स्पष्ट हो सकेगा।

हाई प्रोफाइल प्रकरण होने के कारण पुलिस का कोई अफसर खुल कर कुछ कहने को तैयार नहीं हुआ, लेकिन दबी जुबान में पुलिस अफसरों का कहना है कि अब तक की जांच में यही सामने आया है कि महंत नरेंद्र गिरि का शिष्य आनंद गिरि उन पर 2012 से ही हावी हो गया था। इसके पीछे चाल-चरित्र और संपत्तियों से जुड़ा विवाद अहम वजह थी। महंत और आनंद एक-दूसरे के राजदार थे।

सूत्रों का कहना है कि महंत ने हाल के वर्षों में ख्याति कुछ ज्यादा ही अर्जित कर ली थी तो उन्हें आनंद की नाराजगी से खुद की प्रतिष्ठा को लेकर डर लगने लगा था। आनंद उन्हें डराता था कि यदि वह उनका उत्तराधिकारी नहीं बन सका तो उनके चाल-चरित्र संबंधी वीडियो उजागर कर देगा। आनंद की धमकियों से डरे श्रीमहंत को कोई और विकल्प नहीं सूझा तो वे आत्मघाती कदम उठाने के लिए मजबूर हो गए।

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