दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद आखिरकार सरकार ने कोरोना वायरस से होने वाली मृत्यु की परिभाषा तय कर दी है। कोर्ट के आदेश पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने आईसीएमआर (ICMR) यानी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की मदद से कोविड-19 के कारण जान गंवाने वालों के परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र (Death certificate) जारी करने को लेकर गाइडलाइन तैयार कर दी है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में कोरोना से मौत के दो मामलों में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने गाइडलाइन का खुलासा किया है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक यदि कोरोना पॉजिटिव मरीज की जहर से, सुसाइड करने से या किसी हादसे में मौत हो जाती है तो उसे कोरोना से मृत्यु नहीं माना जाएगा। केंद्र सरकार द्वार तैयार की गई गाइडलाइन में ऐसे ही कई और प्रावधान हैं।
चो चलिए आपको बताते हैं कि केंद्र सरकार के मुताबिक कोरोना से मृत्यु की परिभाषा क्या है? किसे किसी कोविड-19 से मृत्यु माना जाएगा और प्रमाणपत्र में कोई गड़बड़ी हुई, तो पीड़ित परिवार इसकी शिकायत कहा करा पाएंगे?
कोविड-19 मामलों की परिभाषाः-
- केंद्र सरकार के मुताबिक उन मामलों को कोरोना केस माना जाएगा जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने के दौरान या डॉक्टर RT-PCR टेस्ट, मॉलिकुलर टेस्ट, रैपिड एंटीजन टेस्ट या क्लिनिकल जांचों के जरिए कोरोना पॉजिटिव घोषित करे।
किसे कोरोना से हुई मौत माना जाएगाः-
- “कोरोना से मृत्यु” उन मामलों को माना जाएगा, जिनमें कोरोना ठीक नहीं हुआ हो और जिसकी वजह से घर या अस्पताल में मरीज की मौत हो जाए।
- इसके साथ ही जन्म और मृत्यु को रजिस्टर करने वाली अथॉरिटी (जैसे नगर निगम आदि) के लिए जन्म-मृत्यु पंजीकरण (RBD) एक्ट, 1969 के तहत मेडिकल सर्टिफिकेट ऑफ कॉज ऑफ डेथ (MCCD) जारी किया गया हो।
- इस बारे में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चीफ रजिस्ट्रार्स के लिए जरूरी गाइडलाइन जारी करेंगे।
- ऐसे मामलों को भी कोरोना से मृत्यु माना जाएगा, जिनमें कोरोना पॉजिटिव आने के 30 दिनों के भीतर अस्पताल के बाहर मृत्यु हुई हो।
- 30 दिनों का यह समय आईसीएमआर की उस स्टडी के आधार पर तय किया गया है, जिसके मुताबिक कोरोना से 95 प्रतिशत मृत्यु कोरोना पॉजिटिव आने के 25 दिनों के अंदर हो जाती है।
- कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद जहर देने, आत्महत्या, हत्या या हादसा आदि से होने वाली मौत को “कोरोना से मृत्यु” नहीं माना जाएगा।
- सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह साफ कर दिया है कि कोरोना से होने वाली मौतों के मामले में जारी डेथ सर्टिफिकेट में स्पष्ट रूप से मृत्यु का कारण कोरोना दर्ज होना चाहिए।
- यही नहीं अगर मरीज की मौत कोरोना से होने वाली किसी दूसरी जटिलता या बीमारी से भी हुई है तो भी डेथ सर्टिफिकेट में विशेष रूप से मृत्यु का कारण कोरोना यानी कोविड-19 होना चाहिए।
सर्टिफिकेट में गड़बड़ी होने पर कहां करें शिकायतः-
- केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक यदिी मृतक का परिवार डेथ सर्टिफिकेट पर लिखे मौत के कारण से संतुष्ट नहीं होता है तो ऐसे मामलों के लिए जिला स्तर पर एक कमेटी बनाई जाएगी।
- इस कमेटी में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर, सीएमओ, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल या मेडिसिन विभाग के हेड और सब्जेक्ट एक्सपर्ट होंगे जो ‘कोविड-19 डेथ का आधिकारिक दस्तावेज’ जारी करेंगे।
- सभी तरह की शिकायतों का निपटारा 30 दिनों के भीतर करना होगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में सर्टिफिकेट जारी करने, उनमें सुधार करने और कोविड 19 को मृत्यु का स्पष्ट कारण बताने की प्रक्रिया को बेहद आसान बनाने के भी निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहाः कोरोना में सुसाइड को भी “कोरोना से मृत्यु” मानने पर विचार करे सरकारः-
- कोरोना से मौत के मामले में केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइंस पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के दौरान आत्महत्या करने वालों के मामलों को कोरोना से मृत्यु न मानने की गाइडलाइन पर दोबारा विचार करने को कहा है।
- सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों में इस नीति को लागू करने के तरीके और ग्रीवांस कमेटी या शिकायत समितियों को बनाने की समय सीमा पर भी केंद्र से सवाल किए हैं। इन सभी मामलों पर केंद्र सरकार 23 सितंबर को होने वाली सुनवाई में जवाब दे सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगीः-
- सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से होने वाली मौतों के डेथ सर्टिफिकेट जारी करने की गाइडलाइन में देरी पर नाराजगी जाहिर की थी। जस्टिस एमआर शाह ने कहा था कि जब तक आप गाइडलाइन जारी करेंगे तब तक तीसरी लहर भी निपट जाएगी।
- आपको बता दें कि जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने गौरव कुमार बंसल बनाम भारत संघ और रीपक कंसल बनाम भारत संघ के मामलों में कोरोना से मृत्यु के सर्टिफिकेट जारी करने के लिए गाइडलाइन जारी करने का आदेश दिया है।