प्रयागराजः अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि अब हमारे बीच नहीं रहे। उनकी सोमवार को यहां पर संदिग्ध परिस्थियों में मौत हो गई। इस सिलसिले में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें उनका शिष्य आनंद गिरि भी शामिल है। मौके से मिले सुसाइट नोट में आनंद गिरि का भी नाम है।

आईजी केपी सिंह ने बताया कि घटना स्थल से सात पृष्ठ का एक सुसाइड नोट मिला है। इसमें महंत नरेंद्र गिरि ने वसीयतनामा की तरह लिखा है, इसमें शिष्य आनंद गिरि का भी जिक्र है। नरेंद्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में यह जिक्र भी किया है कि किस शिष्य को क्या देना है? कितना देना है? सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि वह अपने कुछ शिष्यों के व्यवहार से बहुत ही आहत और दुखी हैं और इसीलिए वह सुसाइड कर रहे हैं। पहली नजर में यह सुसाइड का ही मामला समझ में आ रहा है

आपको बता दें कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि और उनके शिष्य आनंद गिरि के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था, लेकिन बाद में इनके बीच समझौता हो गया था। तब हरिद्वार से प्रयागराज पहुंचे आनंद गिरि अपने गुरु स्वामी नरेंद्र गिरि के पैरों पर गिरकर माफी मांग थी।

इस दौरान उन्होंने कहा था कि मैं पंच परमेश्वर से भी अपने कृत्यों के लिए माफी मांग रहा हूं। मेरे द्वारा सोशल मीडिया, समाचार पत्रों, टीवी चैनलों पर जो भी बयान जारी किए गए उसे मैं वापस लेता हूं। इसके बाद महंत नरेंद्र गिरि ने भी आनंद गिरि पर लगाए गए आरोपों को वापस लेते उन्हें माफ कर दिया था।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के हस्तक्षेप के बाद इस विवाद पर राम लग गया था। इसके बाद गुरु पूर्णिमा के दिन आनंद गिरि अखाड़े में अपने गुरु की पूजा कर सके थे। अखाड़े और मठ में आनंद गिरि के प्रवेश पर लगाई गई रोक हटा दी थी। हालांकि, आनंद गिरि का अखाड़े से निष्कासन वापस हुआ या नहीं यह अभी स्पष्ट नहीं है।

आपको बता दें कि पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने 14 मई 2021 को आनंद गिरि को अखाड़े और बाघंबरी गद्दी से बाहर कर दिया था। आनंद गिरि पर अपने परिवार से संबंध रखने का आरोप लगा था। नरेंद्र गिरि ने कहा था कि बड़े हनुमान मंदिर पर आने वाले दान-चढ़ावे में से आनंद गिरि धन अपने परिवार पर खर्च कर रहे हैं। इसके बाद अखाड़े के पंच परमेश्वरों की सहमति के बाद आनंद गिरि पर यह कार्रवाई की गई थी।

हालांकि अखाड़े से बाहर होने के बाद आनंद गिरि ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज कर दिया था और अपने गुरु नरेंद्र गिरि पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। इनमें सबसे गंभीर आरोप मठ की करोड़ों रुपए की जमीनों को बेचने और उन रुपयों का दुरुपयोग करने का था।

आनंद ने कहा था कि उनके गुरु नरेंद्र के कई बड़े और महंगे शौक हैं। इन शौक को पूरा करने के लिए नरेंद्र गिरि मठ के धन का दुरुपयोग कर रहे हैं। मठ के कई सेवादारों के परिवारों पर भी करोड़ों रुपया खर्च करने का भी आरोप लगाया था। इसके बाद गुरु और चेले के बीच विवाद गहरा गया था।

आनंद गिरि ने अपने गुरु के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पास पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई थी और अपनी जान का खतरा बताया था।

प्रयागराज स्थिति लेटे हनुमान मंदिर और श्री निरंजनी अखाड़े से निकाले जाने के बाद स्वामी आनंद गिरि ने अपने गुरु स्वामी नरेंद्र गिरि पर मठ की अरबों रुपए की जमीनों को बेचने का गंभीर आरोप लगाया था। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे गए पत्र में अखाड़े में हो रहे घोटाले की जांच कराए जाने की मांग की थी।

 

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