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पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री बने चरणजीत सिंह चन्नी, राज्यपाल बनवारी लाल पुराहित ने दिलाई पद एवं गोपनीयता की शपथ

चंडीगढ़ः मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने सोमवार को पंजाब के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। उनके साथ दो उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओपी सोनी ने भी शपथ ली। आपको बता दें कि पंजाब के इतिहास में पहली बार दलित मुख्यमंत्री चन्नी के साथ ही दो उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं।

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह शपथ ग्रहण समारोह में नहीं आए। हालांकि उन्होंने इसके बाद चन्नी को लंच पर बुलाया था, लेकिन चन्नी नहीं जा पाए।  सूत्रों मिली जानकारी के मुताबिक चन्नी ने बैठकों का हवाला देकर आज आने में असमर्थता जताई, जिसके बाद बाद तय हुआ कि दोनों नेताओं की मुलाकात मंगलवार को होगी।

आपको बता दें कि शपथ ग्रहण समारोह आज सुबह 11 बजे होना था, लेकिन कांग्रेस राहुल गांधी के इंतजार में 22 मिनट की देरी हुई। इसके बाद शपथ ग्रहण शुरू करवा दिया गया। उसके बाद राहुल गांधी राजभवन पहुंचे। उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चन्नी को मुख्यमंत्री बनने पर बधाई दी। मोदी ने ट्वीट कर कहा, “पंजाब सरकार के साथ पंजाब के लोगों की भलाई के लिए काम करते रहेंगे।“

पंजाब के इतिहास में चरणजीत सिंह चन्नी पहले दलित मुख्यमंत्री बन गए हैं। उन्होंने पद एवं गोपनीयता की शपथ लेने के बाद अपना कार्यालय का चार्ज संभाल लिया है। वहीं, जट्‌ट सिख समुदाय से सुखजिंदर सिंह रंधावा और हिंदू नेता के तौर पर ओपी सोनी को उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं। आपको बता दें कि पहले सोनी की जगह ब्रह्म मोहिंदरा का नाम घोषित किया गया था, लेकिन मोहिंदरा कैप्टन ग्रुप से हैं, इसलिए अंतिम समय में उनका पत्ता कट गया।

अब सबकी नजर चरणजीत सिंह चन्नी के मंत्रिमंडल पर टिकी हुई है। अब तक चन्नी राज्य के तकनीकी शिक्षा मंत्री थे। अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद अब उनके पास कौन-सा मंत्रालय रहेगा। वहीं दोनों उपमुख्यमंत्रियों को कौन-सी जिम्मेदारी दी जाएगी। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अब पहले का कौन मंत्री बनेगा और कैप्टन सरकार के मंत्रियों में से किसका पत्ता कटेगा। आपको बता दें कि पंजाब में अगले साल चुनाव  होने वाले हैं और कांग्रेस ने चन्नी सीएम बनाकर दलित कार्ड खेल दिया है। ऐसे में स्टूडेंट्स की पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में घोटाले घिरे साधु सिंह धर्मसोत की वापसी मुश्किल हो गई है।

पंजाब में विरोधी दलों ने राज्य की जनता से जो-जो वादें किये कांग्रेस ने उन्हें पहले ही पूरा कर दिया। बीजेपी ने दलित मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया, तो कांग्रेस ने चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर उसे पहले ही पूरा कर दिया। वहीं अकाली दल ने एक हिंदू तथा एक दलित को उपमुख्यमंत्री बनाने का वादा किया, तो कांग्रेस ने इसे भी पहले ही पूरा कर दिया। इसलिए अब पंजाब में सरकार बनाने के लिए विरोधियों के आगे नई चुनौती पैदा हो गई हैं। अब जातीय ध्रुवीकरण के मुद्दे पर कांग्रेस के पास उनके लिए सटीक जवाब है।

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