काबुलः अफगानिस्तान में अब तालिबानी राज है और तालिबान शरिया कानून को लागू करने को लेकर किस कदर आमादा है, इसका नजारा शनिवार को काबुल यूनिवर्सिटी में देखने को मिला। तालिबान के नेताओं ने काबुल यूनिवर्सिटी शनिवार को शरिया कानून को लेकर एक लेक्चर का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली करीब 300 युवतियां शामिल हुईं।

इस कार्यक्रम की विशेष बात यह रही कि सभी युवतियों का चेहरा बुर्के से ढका हुआ था। साथ ही उन्हें शरिया कानून मानने के लिए शपथ भी दिलाई गई। इसके अलावा कार्यक्रम के दौरान हर पंक्ति में तालिबान का झंडा भी लगाया गया था। आपको बता दें कि तालिबान ने महिलाओं के लिए ड्रेस कोड जारी किया गया है और कॉलेज तथा यूनिवर्सिटी में क्लास के दौरान भी लड़कों और लड़कियों को अलग-अलग बैठने का फरमान जारी किया है।

15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद सबसे ज्याद परेशानी महिलाओं और बच्चों को है। पूरी दुनिया भी अफगानिस्तान में महिलाओं की हक को लेकर चिंतित है।

उधर, पाकिस्तान और चीन को अपने यहां मौजूद विद्रेाही संगठनों से खतरा महसूस होने लगा है। दोनों देशों ने तालिबान से इन संगठनों को पनाह न देने की अपील की है। इस संगठनों में पाकिस्तान स्थित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और चीन में उइगर और पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) शामिल हैं।

पाकिस्तान सरकार की पहल पर पाकिस्तान, चीन, ईरान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने 8 सितंबर को वर्चुअली तरीके से बैठक की। जहां टीटीपी और बीएलए को पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों के रूप में प्रतिबंधित किया गया है, वहीं ईटीआईएम चीन के लिए खतरा है।

इन देशों में संयुक्त बयान जारी कर कहा कि आईएसआईएस, अल कायदा, ईटीआईएम, टीटीपी, बीएलए, जोंडोल्लाह और ऐसे अन्य आतंकवादी संगठनों को अफगानिस्तान के क्षेत्र में पैर जमाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

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