काबुलः तालिबान अफगानिस्तान में सरकार गठन की कवायद में जुटा हुआ है।
पंजशीर घाटी पर ‘कब्जे’ के बाद तालिबान ने सरकार के गठन के लिए आयोजित होने वाले समारोह में शामिल होने के लिए अपने 6 जिगरी दोस्तों को आमंत्रित किया। तालिबान तुर्की, चीन, रूस, ईरान, पाकिस्तान और कतर को न्योता भेजकर सरकार गठन का गवाह बनने का आग्रह किया है।
तालिबान का दावा है कि करीब 40 साल बाद ऐसी सरकार बनने जा रही है जो पूरे अफगानिस्तान पर राज करेगी। इस मौके को ऐतिहासिक मौके पर वह अपने जिगरी दोस्तों को बुलाना चाह रहा है लेकिन ये दोस्त ही अब उसे झटके पर झटका दे रहे हैं।
चीन के विदेश मंत्रालय ने तालिबान के न्योते पर चुप्पी साध रखी है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिंग ने कहा कि उन्हें अभी इस न्योते के बारे में कोई जानकारी नहीं है। आपको बता दें कि 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान का कब्जा होने तथा 31 अगस्त को अमेरिकी सेना की वापसी के बाद चीन और रूस ने काबुल में अपने दूतावास को खुला रखा हुआ है। मीडिया में आई खबरों में कहा गया है कि चीन अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के गठन का इंतजार कर रहा है। चीनी प्रवक्ता ने कहा कि हम हमेशा से ही अफगानिस्तान के संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते रहे हैं
उन्होंने कहा कि चीन अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की नीति का पालन करता है। उन्होंने कहा कि चीन अफगानिस्तान के साथ अच्छे पड़ोसी, दोस्ती तथा सहयोग का रिश्ता बनाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि चीन की सरकार अफगानिस्तान में शांति की दिशा में एक रचानात्मक भूमिका निभाना चाहती है।
आपको बता दें कि चीन विदेश मंत्रालय ने पिछले दिनों कहा था कि हमारी मुख्य चिंता एक समन्वित और उदारवादी सरकार की है ताकि आतंकवाद शिंजियांग और अन्य इलाकों तक न फैले।
उधर, रूस ने न्योते को लेकर कड़ी शर्त रख दी है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लवरोव ने सोमवार को कहा कि रूस तभी तालिबान सरकार के गठन के कार्यक्रम में हिस्सा लेगा जब यह सभी पक्षों को मिलाकर बनाई जाएगी। उन्होंने कि हम सरकार गठन की ऐसी प्रक्रिया का समर्थन करते हैं जिसमें पूरा अफगान समाज दिखाई दे। इसमें तालिबान के साथ अन्य जातीय गुट जैसे हजारा, उज्बेक और ताजिक मूल के लोग भी शामिल हों। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो हमें अन्य देशों के साथ मिलकर कार्यक्रम में हिस्सा लेने में खुशी होगी।
आपको बता दें तालिबान ने कई दिनों के विचार-विमर्श के बाद मुल्ला बरादर को दरकिनार करते हुए मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को नए राष्ट्राध्यक्ष के रूप में नामित किया था। द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में बुधवार को नई सरकार की स्थापना होने की संभावना है, ‘या कुछ और दिनों के लिए देरी हो सकती है।’ वहीं एक वरिष्ठ तालिबान नेता ने द न्यूज को बताया कि अमीरुल मोमिनीन शेख हैबतुल्ला अखुंजादा ने खुद मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को रईस-ए-जम्हूर, या रईस-उल-वजारा या अफगानिस्तान के नए प्रमुख राज्य के रूप में प्रस्तावित किया था। मुल्ला बरादर अखुंद और मुल्ला अब्दुस सलाम उनके प्रतिनिधि के रूप में काम करेंगे।
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