दिल्लीः पूर्वोत्तर में शांति एवं विकास की दिशा में सरकार ने एक कदम और बढ़ाया है। केन्द्र, असम सरकार और कार्बी आंगलोंग क्षेत्र के संगठनों के बीच शनिवार को यहां एक त्रिपक्षीय समझौते कार्बी आंगलोंग शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये गए। इससे असम के कार्बी आंगलोंग क्षेत्र में वर्षों से चल रही हिंसा समाप्त होगी।
शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले उग्रवादी समूहों में केएएसी, कार्बी लोंगरी नॉर्थ कछार हिल्स लिबरेशन फ्रंट, पीपुल्स डेमोक्रेटिक काउंसिल ऑफ कार्बी लोंगरी, यूनाइटेड पीपुल्स लिबरेशन आर्मी, कार्बी पीपुल्स लिबरेशन टाइगर्स शामिल हैं।
इस समझौते के फलस्वरूप इन समूहों से जुड़े करीब 1,000 उग्रवादियों ने अपने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया है। वे समाज की मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कार्बी समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘उग्रवाद मुक्त समृद्ध पूर्वोत्तर’ के दृष्टिकोण में एक और मील का पत्थर साबित होगा।
इस अवसर पर मौजूद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि समझौते से कार्बी आंगलोंग में स्थायी शांति और सर्वांगीण विकास होगा। उन्होंने कहा कि कार्बी क्षेत्र में विशेष विकास परियोजनाओं को शुरू करने के लिए केंद्र सरकार और असम सरकार की ओर से पांच वर्षों में 1,000 करोड़ रुपये का एक विशेष विकास पैकेज दिया जाएगा। उन्होंने कार्बी आंगलोंग के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध दोहराई और कहा, “मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम इस समझौते को समयबद्ध तरीके से लागू करेंगे।“
शाह ने पूर्वोत्तर के अन्य उग्रवादी समूहों एनडीएफबी, एनएलएफटी और ब्रू समूहों के साथ पूर्व में हस्ताक्षरित शांति समझौते का उदाहरण देते हुए कहा, “हम समझौतों की सभी शर्तों को अपने ही कार्यकाल में पूरा करते हैं। इन्हें पूरा करने का सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है।“
उन्होंने कहा कि जब से मोदी प्रधानमंत्री बने हैं तब से पूर्वोत्तर प्रधानमंत्री का न सिर्फ फोकस का क्षेत्र रहा है, बल्कि पूर्वोत्तर का सर्वांगीण विकास और वहां शांति और समृद्धि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, “मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की नीति है कि जो हथियार छोड़कर मुख्यधारा में आते हैं, उनके साथ हम और अधिक विनम्रता से बात करके और जो वो मांगते हैं, उससे अधिक देते हैं।“ उन्होंने कहा कि इसी नीति के परिणामस्वरूप जो पुरानी समस्याएं मोदी सरकार को विरासत में मिली थीं, उन्हें हम एक-एक करके समाप्त करते जा रहे हैं।
इस अवसर पर उपस्थित केंद्रीय मंत्री और असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने असम और पूर्वोत्तर में शांति लाने के लिए प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के प्रयासों की सराहना की। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि इन पांचों समूहों के उग्रवादी अब मुख्य धारा में शामिल होंगे और कार्बी आंगलोंग के विकास के लिए काम करेंगे।
क्यों महत्वपूर्ण है समझौता?
यह समझौता इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कार्बी आंगलोंग में वर्षों से उग्रवादी समूह अलग क्षेत्र की मांग को लेकर हिंसा, हत्याएं और अगवा करने जैसी घटनाओं को अंजाम देते रहे हैं। यह समझौता असम की क्षेत्रीय और प्रशासनिक अखंडता को प्रभावित किए बिना कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (KAAC) को और अधिक स्वायत्तता का हस्तांतरण, कार्बी लोगों की पहचान, भाषा, संस्कृति की सुरक्षा और परिषद क्षेत्र में सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करेगा। कार्बी सशस्त्र समूह हिंसा को त्यागने और देश के कानून के स्थापित शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने के लिए सहमत हुए हैं। समझौते में सशस्त्र समूहों के कैडरों के पुनर्वास का भी प्रावधान है।
असम सरकार कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद क्षेत्र से बाहर रहने वाले कार्बी लोगों के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक कार्बी कल्याण परिषद की स्थापना करेगी। कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद के संसाधनों की पूर्ति के लिए राज्य की संचित निधि को बढ़ाया जाएगा। वर्तमान समझौते में कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद को समग्र रूप से और अधिक विधायी, कार्यकारी, प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियां देने का प्रस्ताव है।
क्या रही है इनकी मांग?
इन उग्रवादी संगठनों की मुख्य मांग अलग राज्य का गठन रही है। KAAC एक स्वायत्त जिला परिषद है। यह भारतीय संविधान के छठे शेड्यूल से संरक्षित है। 1990 के आखिर में कार्बी नेशनल वॉलेंटियर्स (KNV) और कार्बी पीपुल्स फोर्स (KPF) ने साथ मिलकर यूनाइटेड पीपुल्स डेमोक्रेटिक सोलिडैरिटी (UPDS) का गठन किया था। नवंबर 2011 में यूपीडीएस ने हथियार डाल दिए थे। उसने केंद्र और असम सरकार के साथ त्रिपक्षीय मोमेरेंडम पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें केएएसी को ज्यादा स्वायत्तता और स्पेशल पैकेज देने की बात की गई थी।