टोक्योः टोक्यो पैरालिंपिक के आखिरी भारत ने बैडमिंटन में दो पदक जीते। कृष्णा नागर ने जहां आज भारत को 5वां गोल्ड दिलाया। वहीं नोएडा के डीएम सुहास यथिराज ने सिल्वर मेडल जीता। कृष्णा नागर ने फाइनल में हांगकांग के चू मान केई को हराया। कृष्णा ने पहला गेम 21-17 से जीता, जबकि दूसरे गेम में केई ने वापसी की और 16-21 जीत दर्ज की। वहीं तीसरे एवं निर्णायक गेम को कृष्णा ने 21-17 से जीत कर गोल्ड पर कब्जा जमा लिया। उन्होंने यह मेडल SH-6 कैटेगरी में जीता। SH-6 कैटेगरी में वैसे खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं, जिनकी लंबाई नहीं बढ़ती।
राजस्थान निवासी कृष्णा प्रशिक्षण के लिए रोजाना 13 किमी की दूरी तय कर स्टेडियम जाते थे। जब कृष्णा की उम्र 2 साल थी,तो उनके परिजनों को उनकी बीमारी के बारे में पता चला।
वहीं नोएडा के डीएम सुहास यथिराज को फाइनल मुकाबले में फ्रांस के खिलाड़ी लुकास मजूर ने हराया। फाइनल मुकाबले में सुहास ने पहला गेम 21-15 से जीता और इसके बाद दोनों गेम वह कड़े मुकाबले में हार गए। लुकास मजूर ने आखिरी दोनों गेम 21-15, 17-21 से जीता।
इस तरह से सुहास ने एसएल-4 कैटगरी में सिल्वर मेडल जीता। आपको बता दें कि एसएल-4 में वे पैरा एथलीट शामिल होते हैं, जिन्हें चलने-दौड़ने में थोड़ी परेशानी होती है।
सुहास ने शुरू में नौकरी की शुरुआत बेंगलुरू से की थी, लेकिन उनके दिल में बार-बार उनके दिल में यह मलाल रहता था कि उन्होंने अपने जीवन में समाज के लिए कुछ नहीं किया तो क्या फायदा। इसी को ध्यान में रखकर सुहास 2007 में यूपी कैडर से आईएएस (IAS) अधिकारी बने।
यूपीएससी (UPSC) संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करने के बाद उनकी पोस्टिंग आगरा में हुई। यहां पर सुहास अपनी ड्यूटी खत्म होने के बाद टाइम निकालकर बैडमिंडन खेलने जाया करते थे। धीरे-धीरे उन्होंने प्रोफेशनल तरीके से बैडमिंटन खेलना शुरू किया।
टोक्यो पैरालिंपिक में भारत ने अब तक 19 मेडल जीते हैं। टोक्यो में अब तक 5 गोल्ड, 8 सिल्वर और 6 ब्रॉन्ज मेडल मिले हैं। 1960 से पैरालिंपिक हो रहा है। भारत 1968 से पैरालिंपिक में भाग ले रहा है। वहीं 1976 और 1980 में भारत ने भाग नहीं लिया था।
बैडमिंटन को पहली बार पैरालिंपिक में शामिल किया गया है और भारत की ओर से 7 खिलाड़ियों ने विभिन्न कैटेगरी में भाग लिया। इनमें से चार खिलाड़ी मेडल जीते। प्रमोद भगत और कृष्णा नागर ने जहां गोल्ड जीता। वहीं सुहास यथिराज ने सिल्वर और मनोज सरकार ने ब्रॉन्ज मेडल जीता।