इस्लामाबादः ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी अब हमारे बीच नहीं रहे। 92 साल की उम्र में बुधवार देर रात निधन हो गया। वहीं जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को फैलाने में सक्रिय अलगाववादी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी ने निधन के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत के खिलाफ जहर उगला है। इमरान ने भारत पर गिरानी को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है और गिलानी को ‘पाकिस्तानी’ बताते हुए देश के झंडे को आधा झुकाने का ऐलान किया है। यही नहीं इमरान ने एक दिन के राष्ट्रीय शोक की भी घोषणा की है।
इमरान ने ट्वीट कर कहा, “कश्मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन की खबर सुनकर बहुत दुखी हूं। गिलानी जीवनभर अपने लोगों और उनके आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए लड़ते रहे।“ इमरान ने कहा कि भारत ने उन्हें कैद करके रखा और प्रताड़ित किया। इमरान ने कहा, “हम पाकिस्तान में उनके संघर्ष को सलाम करते हैं और उनके शब्दों को याद करते हैं- हम पाकिस्तानी हैं और पाकिस्तान हमारा है। पाकिस्तान का झंडा आधा झुका रहेगा और हम एक दिन का आधिकारिक शोक मनाएंगे।“
Deeply saddened to learn of the passing of Kashmiri freedom fighter Syed Ali Geelani who struggled all his life for his people & their right to self determination. He suffered incarceration & torture by the Occupying Indian state but remained resolute.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) September 1, 2021
वहीं पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने कहा कि गिलानी के निधन पर उन्हें दुख है। वह कश्मीर के स्वतंत्रता आंदोलन के अगुआ थे। बाजवा ने भारत पर भी आरोप लगाए। इसके अलावा पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी जहरीले बयान दिए हैं। कुरैशी ने गिलानी को कश्मीरी आंदोलन का पथ प्रदर्शक बताया और कहा कि वह नजरबंदी के बाद भी अंतिम सांस तक संघर्ष करते रहे।
भारत विरोधी बयानों के लिए मशहूर रहे गिलानी को पड़ोसी देश पाकिस्तान ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी नवाजा था। इससे पहले गिलानी का 92 साल की उम्र में श्रीनगर में बुधवार रात को निधन हो गया था। कश्मीर में गिलानी के प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी एक आवाज पर कश्मीर बंद हो जाता था। हालांकि ऐसे भी मौके आए हैं जब कश्मीरी आवाम ने एक तरह से गिलानी का ही बॉयकॉट कर दिया था। सैयद अली शाह गिलानी काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
गिलानी ने साल 2014 के चुनावों का बॉयकॉट किया था। उन्होंने अपने संदेश में कश्मीर की जनता को कहा था कि चुनावों में भाग ना ले जिसके बाद आतंकियों ने ऐसे कई नागरिकों की हत्या की जो चुनावों में भाग ले रहे थे। हालांकि कश्मीर की जनता ने चुनाव की जगह गिलानी का बॉयकॉट किया। राज्य में 65 फीसदी मतदान हुआ था।
29 सितंबर 1929 को सोपोर में जन्मे गिलानी को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का उदारवादी चेहरा माना जाता था। गिलानी ने कॉलेज की पढ़ाई लाहौर से की थी। आपको बता दें कि उस समय लाहौर भारत का हिस्सा था। गिलानी कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी नेता थे और कश्मीर की सोपोर विधानसभा सीट से 3 बार विधायक भी रहे थे।
आपको बता दें कि गिलानी कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानते थे और उसे अलग करने की मांग करते थे। उन्होंने 1990 के दशक में आतंकी हिंसा और अलगाववाद की सियासत करने वाले धड़ों को मिलाकर ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन किया था। इसमें 1987 के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस की खिलाफत करने वाले तमाम गुट शामिल हो गए थे।
सैयद अली शाह गिलानी पर पाकिस्तान की फंडिंग के सहारे कश्मीर में अलगाववाद भड़काने के आरोप लगे। उन पर कई केस भी दर्ज हुए, जिसके बाद उनका पासपोर्ट भी रद्द कर दिया गया। NIA और ED ने टेरर फंडिंग के मामले में जांच की थी, जिसमें उनके दामाद समेत कई रिश्तेदारों से पूछताछ हुई थी।