मथुराः सोमवार को देशभर में जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई गई। कश्मीर से कन्याकुमारी तक भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की धूम देखने को मिली। कान्हा की नगरी मथुरा में अलग ही नजारा देखने को मिला, जहां नंदलला के दर्शन के लिए देशभर के तमाम मंदिरों में लोगों की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली।

इस मौके पर मथुरा में भगवान के जन्म अभिषेक का कार्यक्रम श्री गणेश, नवग्रह पूजन के साथ शुरू हुआ। इसके बाद 1008 कमल पुष्पों से ठाकुर जी का सहस्त्रचरन कर आवाहन किया गया। घड़ी की सुइयों ने जैसे ही मध्य रात्रि के 12 बजे पर पहुंचींपूरा मंदिर परिसर ढोल, नगाड़े, झांझ, मजीरे, मृदङ्ग और शंख की ध्वनि से गुंजायमान हो उठा। इस दौरान मंदिर से भगवान की छवि अभिषेक स्थल पर लाई गई।

इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य रजत कमल पुष्प में विराजमान भगवान का स्वर्ण रजत निर्मित कामधेनु गाय के दूध से प्रथम अभिषेक किया गया। इसके पश्चात शंख के माध्यम से भगवान का दूध, दही, घी, बुरा और शहद से अभिषेक हुआ। भगवान के अभिषेक के बाद आरती की गई। भगवान के 5248 वें जन्मोत्सव पर उनके प्राकट्य होते ही पूरे बृज मंडल में बधाइयों का दौर शुरू हो गया। भक्त कहने लगे…नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की।

बांके बिहारी मंदिर में भगवान कृष्ण के प्राकट्य से पहले दर्शन को श्रद्धालु आतुर दिखाई दिखे। वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भगवान का पवित्र नदियों के लाए गए जल से और फिर उसके बाद गाय के दूध, दही, घी, बूरा और शहद से अभिषेक किया गया। इस दौरान शंख, ढोल की ध्वनि से मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा।

श्री कृष्ण के जन्मस्थान के गर्भगृह को इस बार जेल का रूप दिया गया है। मंदिर के सचिव के मुताबिक, भगवान के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु मथुरा-वृंदावन आ चुके हैं। लोग सुबह से ही गृर्भ गृह में दर्शन कर रहे हैं।

भगवान राधा- कृष्ण की नगरी वृंदावन के मंदिरों में दिन में ही भगवान का अभिषेक किया जा रहा है। यहां के प्रमुख सप्त देवालयों राधारमण, राधा दामोदर, शाह बिहारी जी में शंख और घंटे घड़ियाल की ध्वनि के बीच भगवान का पंचामृत अभिषेक किया गया। ठाकुर राधारमण मंदिर में सेवायतों की ओर से औषधियों से निर्मित 751 किलो पंचामृत से अभिषेक किया गया। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर ठाकुर राधारमण लाल के जयकारों से गूंज उठा। प्राचीन शाहजी मंदिर मे सेवायत गोस्वामियों ने ठाकुर जी का दूध, दही, शहद, बूरा, इत्र से महाभिषेक किया। द्वारिकाधीश मंदिर में भी पूरे विधि विधान से भगवान का अभिषेक किया गया। यहां सेवायतों ने मंदिर के पट खुलते ही सुबह भगवान द्वारकाधीश का पंचामृत अभिषेक किया।

वैदिक ग्रंथे के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण ने असुरों का विनाश करने के लिए द्वापर युग में देवकी के गर्भ से वासुदेव के घर जन्म लिया था। भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में, अष्टमी तिथि को तथा रात्रिकाल अवतार लिया था और इसकी मुख्य वजह उनका चंद्रवंशी होना है। श्रीकृष्ण चंद्रवंशी है और चंद्रदेव उनके पूर्वज। बुध चंद्रमा का पुत्र है। इसी कारण चंद्रवंश में पुत्रवत जन्म लेने के लिए बुधवार को चुना। रोहिणी चंद्रमा की प्रिय पत्नी तथा नक्षत्र है, इसी के कारण रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया था। अष्टमी तिथि शक्ति का प्रतीक है, कृष्णा शक्ति संपन्न, स्वमंभू तथा परब्रह्म है, इसलिए अष्टमी को अवतरित हुए। रात्रिकाल में जन्म लेने का कारण है कि चंद्रमा आकाश में रात्रि में निकलता है। अपने पूर्वज की उपस्थिति में जन्म लेने कारण रात्रि में प्रादुर्भाव हुआ। पूर्वज चंद्रदेव की भी अभिलाषा थी कि श्री हरि विष्णु मेरे कुल में कृष्ण रूप में जन्म ले रहे हैं तो मैं इसका प्रत्यक्ष दर्शन कर सकूं। पौराणिक धर्म ग्रंथों में उल्लेख है कि कृष्ण अवतार के समय पृथ्वी से अंतरिक्ष तक समूचा वातावरण सकारात्मक हो गया था। प्रकृति, पशु पक्षी, देव, ऋषि, किन्नर आदि सभी हर्षित व प्रफुल्लित थे। यानि चहुंओर सुरम्य वातावरण बन गया था। धर्मग्रंथों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि श्रीकृष्ण ने योजनाबद्ध रूप से पृथ्वी पर मथुरापुर में अवतार लिया।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा में करीब 750 होटल, धर्मशाला और गेस्ट हाउस समेत करीब 10 हजार से ज्यादा फ्लैटों में सभी रूम भरे हुए थे। श्रीकृष्ण जन्म भूमि ट्रस्ट के सचिव कपिल शर्मा का कहना है कि इस साल लाखों से ज्यादा लोग मथुरा पहुंचे हुए थे, क्योंकि कोरोना की वजह से पिछले साल जन्माष्टमी पर सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं हुआ था। इसलिए अब राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आ रहे हैं।

योगि आदित्यनाथ मुख्यमंत्री के तौर पर पहली बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के आयोजन में शामिल हुए। योगी ने यहां राम लीला मैदान में आयोजित कृष्णोत्सव में सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दी। सीएम ने भारत माता की जय के साथ कहा कि वे इस अवसर का तीन सालों से इंतजार कर रहे थे। साल 2019 में आगरा तक आ गया, लेकिन तभी सूचना मिली कि सुषमा स्वराज जी का निधन हो गया। साल 2020 में कोरोना था, स्थितियां गंभीर थी। अब कोरोना नियंत्रण में है, लेकिन सावधानी जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि मैं वृंदावन बिहारी लाल से प्रार्थना करने आया हूं कि जैसे आपने अनेक राक्षसों का अंत किया था, वैसे ही कोरोना रूपी राक्षस का भी अंत करने की कृपा करें।

योगी ने  कहा कि पहले आपके पर्व और त्योहार में बधाई देने के लिए मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायक नहीं आते थे। बीजेपी के प्रतिनिधियों को छोड़कर अन्य दलों के लोग दूर भागते थे। हिंदू पर्व और त्योहारों में कोई सहभागी नहीं बनता था। अलग से बंदिशें लगती थीं। उन्होंने कहा कि धरा पर धर्म की स्थापना के लिए कृष्ण का प्राकट्य हुआ था। देश, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में परिवर्तन कर रहा हैं। आजादी के बाद पहली बार जब कोई राष्ट्रपति अयोध्या पहुंचे। नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने रामलला के दर्शन किए…यही परिवर्तन हैं।

 

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