दिल्ली: किसानों पर हरियाणा में हुए लाठीचार्ज को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने इस घटना की निंदा करते कहा है कि इस घटना ने ‘जनरल डायर’ की याद दिला दी। कांग्रेस ने कहा कि किसानों पर पड़ी लाठी बीजेपी सरकार के ताबूत में कील साबित होगी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘फिर ख़ून बहाया है किसान का, शर्म से सर झुकाया हिंदुस्तान का!” वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘किसान मेहनत करके खेतों में लहलहाती हुई फसल देते हैं। भाजपा सरकार अपना हक मांगने पर उन्हें लाठी से लहूलुहान करती है। किसानों पर पड़ी एक-एक लाठी भाजपा सरकार के ताबूत में कील का काम करेगी।”
#WATCH | Haryana: Police baton charged farmers who were protesting at Bastara toll plaza area in Karnal pic.twitter.com/NlYiUnDJMr
— ANI (@ANI) August 28, 2021
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, ‘‘आज भाजपा-जजपा की ‘कायर सरकार’ ने करनाल में अन्नदाता किसान पर बेरहमी और बर्बरतापूर्ण लाठी चार्ज कर एक बार फिर ‘‘जनरल डायर” की याद दिला दी। शांतिप्रिय तरीके से विरोध कर रहे किसानों को जानवरों की तरह दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। दर्जनों लहुलुहान हो गए और सैकड़ों को चोटें आईं।”
उन्होंने दावा किया, ‘‘एक बार फिर साबित हो गया कि अन्नदाता किसान के असली ‘दुश-मन’ हैं – दुष्यंत चौटाला और मनोहर लाल खट्टर। भाजपा-जजपा सरकार ने मिलकर पिछले नौ महीनों से किसानों के हिस्से में लाठीचार्ज, पानी की बौछारें, आंसू गैस के गोले तथा कीलें तथा नश्तरों की प्रताड़ना लिख दी है।”
सुरजेवाला ने हरियाणा के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘मनोहर लाल खट्टर – दुष्यंत चौटाला ने आज किसान नहीं, हमारे ‘भगवान’ को पीटा है…… सज़ा मिलेगी। सड़कों पर बहते और किसानों के शरीर से रिसते खून को आने वाली तमाम नस्लें याद रखेंगी। अब भी समय है – या तो किसानों के साथ खड़े हो जाइये या गद्दी छोड़ दीजिए।”
आपको बता दें कि बीजेपी की एक बैठक के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए करनाल की तरफ बढ़ रहे किसानों के एक समूह पर पुलिस ने शनिवार को कथित तौर पर लाठीचार्ज किया, जिसमें करीब दस लोग घायल हो गए। इस बैठक में बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे।किसानों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य पुलिस की आलोचना की गई और विरोध में कई स्थानों पर सड़कों को जाम किया गया।