– श्री अग्रसेन इंटरनेशनल अस्पताल बना अनियमिताओं का अड्डा

-अग्रवाल समाज के करोड़ो रुपये के दुरुपयोग का आरोप

-कारोना काल में रेमडेसिवर/दवाईयों की खरीद फरोख्त में घोटाला

-फर्जी बिलों का भुगतान

-6000 ट्रस्टियों वाले अस्पताल पर चंद लोगों का कब्जा

-ट्रस्टियों का एक बड़े वर्ग  ने खोला मोर्चा

-समाज के 500 करोड़ रुपये से बना अस्पताल बना निजी संपत्ति

-ट्रस्टियों ने कहा स्वतंत्र बोर्ड चलाए अस्पताल

दिल्लीः दिल्ली के श्री अग्रसेन इंटरनेशनल अस्पताल में इन दिनों भारी अनियमिताओं की खबर है। दिल्ली के रोहिणी के सेक्टर 22 में स्थित इस अस्पताल को अग्रवाल समाज ने 500 करोड़ रुपये की लागत तैयार किया था और इसका मकसद जनता की सेवा करना था, लेकिन दो साल की छोटी सी अवधि में ही कुछ लोगों ने इस अस्पताल को नीजि जागीर बना लिया।

ट्रस्ट से जुड़े रोशन लाल बंसल (ट्रस्टी नंबर 680) बताते हैं कि अस्पताल के तीन शीर्ष पदों पर कब्जा जमाए बैठे पदाधिकारियों ने दूसरे कोरोना काल की आपदा को अवसर में तब्दील किया। इस दौरान स्टाफ भर्ती घोटाला, मरीज भर्ती घोटाला, दवाई घोटाला और रेमडेसिवर घोटाला किया गया।

सूत्र से मिली जानकारी के मुताबिक अस्पताल में आपात स्थिति का हवाला देकर एक एजेंसी के जरिए ठेके पर डॉक्टरों की सेवाएं लेने की बात कही गई, लेकिन हकीकत में बहुत कम डॉक्टर डयूटी पर आए । कई मामलों में डॉक्टरों की जगह तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के लोगों ने मरीजों को देखा।  ठेके पर बुलाए गए लोगों (डॉक्टरों) का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया, जिसके कारण प्रबंधन के उपरोक्त तीन चार लोगों ने न केवल लाखों रुपये के वारे न्यारे किए बल्कि मरीजों की जान से भी खिलवाड़ किया नतीजतीन मृत्युदर अपेक्षाकृत ज्यादा रही।

यहीं नहीं अस्पताल के ट्रस्टी और उनके परिवार वाले जिदगी और मौत से झूझ रहे थे तब इन कर्ताधर्ताओं ने अपने-अपने लोगो को भर्ती किया। अन्य ट्रस्टियों के फोन तक नहीं उठाए। आरोप है कि अस्पताल में नकली दाखिले दिखा दिए गए और उसके बाद में ऐसे लोगों को दाखिला दिया गया जिनके साथ उनका निजी स्वार्थ जुड़ा था। इस कारण से कई ट्रस्टियों ने अपने परिजनों को खो दिया जो पहले यह सोच कर संतुष्ट थे कि वह दिल्ली क एक बड़े अपताल के ट्रस्टी है और आपातकाल में अस्पताल की सेवाएं ले लेंगे। अस्पताल प्रबंधन ने इन सभी खबरों को दबाने का काम किया। अस्पताल के ट्रस्टी रोशन लाल बंसल ने बताया कि उन्होंने दिन-रात परिश्रम करके दिल्ली की जनता की सेवा के लिए अस्पताल के लिए पैसा एकत्र करवाने का काम किया, लेकिन अस्पताल ने मानवता को उस वक्त शर्मसार करने का काम किया जब उनकी पत्नी कोरोना संक्रमण से पीड़ित हुई और अस्पताल ने उन्हें भर्ती करने से ही मना कर दिया।

अस्पताल का रेमडेशिवर घोटाला जगजाहिर है। जो रेमडेसिवर अस्पताल में भर्ती मरीजों को लगने थे, उनकी भारी ब्लैक मार्केटिंग की गई। इस संबंध में अस्पताल के कुछ स्टाफ की मिली भगत साबित हो चुकी है। इस संबंध में पुलिस ने मामला भी दर्ज किया था।

इस अस्पताल में कोरोना काल के दौरान मरीजों की मजबूरी का भी जमकर फायदा उठाया गया। दवाईयों के नाम पर लाखों रुपये का चूना लगा कर अपनी जेबे भरी गईं। लाखों रुपये की ऐसी अनाप शनाम दवाईयां खरीदी गईं, जो आज भी बेकार पड़ी हैं। खुद अस्पताल के सीईओ डॉक्टर एमएस गुप्ता ने इस बात को स्वीकार किया है। यही नही मरीजों से पीपीई कीट के नाम पर दस-दस हजार रुपये वसूले गए।

अस्पताल की देखरेख के नाम पर प्रति माह लाखों रुपयों के फर्जी बिलों का भुगतान किया जा रहा है। रोशन लाल बंसल कहते हैं कि विगत दिनों नीरू भाटिया नामक महिला को 19 लाख रुपये का भुगतान किया गया, जबकि अस्पताल की बलेंस सीट में इस बात का जिक्र भी नहीं है। इतना ही नहीं अस्पताल के ट्रस्टियों ने जब इस भुगतना पर सवाल खड़े किए तो उनकी बातें अनसुनी कर दी गई। अस्पताल के हालात इन दिनों इतन बदतर हैं कि ट्रस्ट के सारे लेखे जोखे का काम केवल एक ही व्यक्ति व्दारा संचालित किया जा रहा है। ट्रस्ट की बैठक में किसी भी भुगतान काम अथवा सप्लाई की मंजूरी नहीं ली जाती। आरोप यह भी है कि प्रबंधन से जुड़े लोग काले धन को सफेद करने का काम भी कर रहे हैं।

अस्पताल में अनियमिताओं का आलम यह हैं कि बोर्ड की मासिक बैठक विगत दो साल से नहीं हुई है। वर्तमान प्रबंधन द्वारा ट्रस्टियों के फर्जी हस्ताक्षर से बैठक की कार्यवाही को रजिस्टार के पास भेज कर नियमित बैठकें होने का फर्जी दावा कर रहे है। प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ कई ट्रस्टियों ने दिल्ली के सोसायटी रजिस्टार और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग को भी अवगत कराया है। ट्रस्टी कहते हैं कि वह किसी भी हाल में समाज के लोगों के खून पसीने की कमाई से बने अस्पताल को चंद लोगों के हाथों में नहीं जाने देंगे। इसके लिए उन्हें अगर न्यायालय का सहारा लेना पड़ा तो तो वह न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाएंगे। रोशन लाल बंसल कहते हैं कि समूचे अस्पताल पर घनश्याम गुप्ता ने अपना और अपने परिवार के लोगों का कब्जा अस्पताल पर कर रखा है। अस्पताल के सभी स्टाफ यहां तक की नर्स गॉर्ड भी घनश्याम गुप्ता क प्रभाव में ही रहते हैं। अस्पताल से 6000 हजार से ज्यादा ट्रस्टी जुड़े हैं, मगर किसी भी ट्रस्टी की कोई बात अस्पताल के प्रबंधकों व्दारा नहीं सुनी जाती। रोशन लाल बंसल कहते हैं कि में किसी भी हाल में अस्पताल से घनश्याम गुप्ता के परिवार को बेदखल करके अस्पताल को जनता की सेवा के लिए खुलवाने का काम करूंगा।इस संबंध में जब इस संवाददाता ने अस्पताल के प्रबंधक घनश्याम गुप्ता से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। अस्पताल पर लगे आरोपों का जवाब देने के लिए न तो घनश्याम गुप्ता सामने आए और न ही अस्पताल का कोई प्रतिनिधि अपना पक्ष रखने के लिए तैयार हुआ। अस्पताल से जुड़े अन्य ट्रस्टियों धर्मपाल गोयल, केएल गर्ग, ललित तायल, अजय गर्ग, आनंद प्रकाश, रामविलास गोयल, कुरेराम जी, महावीर प्रसाद बंसल, धर्मपाल गर्ग, धर्मवीर गोयल और जयभगवान गर्ग ने बताया कि अस्पताल के प्रबंधन किसी का भी फोन नहीं उठाते यहां तक की उन्हें भी अस्पताल परिसर में दाखिल नहीं होने देते। ऐसे में रोशन लाल बंसल स्वयं आगे आए और उन्होंने श्री अग्रसेन हॉस्पिटल को एक परिवार की निजी जागिर बनने से रोकने के लिए बीडा उठाया है ट्रस्ट के हजारों ट्रस्टियों के उनके साथ खड़े होनी की बात कही जा रही है।

 साक्षात्कारः रोशन लाल बंसल ट्रस्टी श्री अग्रसेन इंटरनेशनल हॉस्पिटल दिल्ली

-आपने अस्पताल के शीर्ष प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा क्यों खोल रखा है।

देखिए इस अस्पताल को हम लोगों ने समाज की सेवा और गरीब जनता की सेवा के लिए बनाने का काम किया था। मैंने रातदिन परिश्रम करके सैकड़ो से ज्यादा ट्रस्टियों को जोड़ने का काम किया। मगर आज अस्पताल में पारदर्शिता का पूरा अभाव है ट्रस्टियों को अस्पताल में घुसने नहीं दिया जाता और गरीब मरीजों को धक्के मार कर अस्पताल से निकाल दिया जाता है।

-अस्पताल के कितने ट्रस्टीगण आपके साथ है।

मेरे साथ अस्पताल के सैकड़ो ट्रस्टी है जिनको वर्तमान प्रबंधक ने परेशान कर रखा है। बिना किसी मीटिंग के अस्पताल का सारा कामकाज चल रहा है। समाज के पैसों की बंदरबांट हो रही है बिना किसी आधार के फर्जी बिलों का भगुतान किया जा रहा है।

-आपके आरोप बहुत गंभीर है क्या आपके पास इन बातों के सबूत है।

मैं जो भी आरोप लगा रहा हूं उन सबके साक्ष्य मेरे पास है। अस्पताल के सीईओ ने स्वयं स्वीकार किया है भारी घोटाला हो रहा है। मैं अन्य ट्रस्टियों के साथ अदालत में जाने के लिए अपने अधिवक्ता से राय ले रहा हूं।

-आपने अचानक अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ झंडा क्यों बुलंद कर लिया।

देखिए कोरोना काल में जब सारी मानवता त्राहि-त्राहि कर रही थी उस वक्त हमने सोचा कि महाराजा अग्रसेन के नाम पर बने अस्पताल से जनता की सेवा करके लोगों को राहत देने का काम करें। मगर कोरोना काल में अस्पताल ने रेमडीसीवर की काला बाजारी शुरू कर दी। फर्जी डॉक्टरों के बिल बना कर ट्रस्ट को चूना लगाया। सैकडों मरीज अस्पताल के गेट पर मर गए मगर बेड खाली होने पर भी उन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया। मेरी पत्नी तक को अस्पताल में बेड नहीं मिला जिनकी कोरोना से मृत्यु हो गई। सैकड़ों ट्रस्टियों ने अस्पताल के प्रबंधक को फोन किए मगर उन्होंने किसी का फोन नहीं उठाया।  उन्होंने ट्रस्ट के पदाधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर से बोर्ड की बैठक भी कर ली।

-अब आपका अगला कदम क्या है क्या आप न्यायालय जा रहे है।

अस्पताल की कार्य प्रणाली के खिलाफ मैंने सरकार से लेकर सोसायटी रजिस्टार तक को लिखा है। मगर किसी स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हो रही। मैंने संकल्प किया हैं कि मैं समाज की इस संपत्ति को एत निजी जागिर नहीं बनने दूंगा मेरे साथ सैकड़ो ट्रस्टी है जो कंधे से कंधा मिला कर मेरे साथ खड़े है। अस्पताल के प्रबंधन की हालत यह हैं कि वह न तो किसी को फोन उठाते और न ही किसी से मिलते यहां तक की अपने ही ट्रस्ट के लोगों के अस्पताल में घुसने तक पर पांबदी है। मैं सारी साक्ष्य लेकर माननीय न्यायालय में जा रहा हूं मैं जब तक चैन से नहीं बैठने वाला जब तक गरीब लोगों के लिए खोले गए अस्पताल को उनके लिए उपलब्ध नहीं करा देगा।

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