दिल्लीः अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां की स्थिति बेहद खराब है। वहां फंसे भारतीयों को निकालने का सिलसिला जारी है। एयर इंडिया का AI-1956 विमान आज 78 लोगों को लेकर तजाकिस्तान की राजधानी दुशाम्बे से दिल्ली पहुंच चुका है। इनमें 25 भारतीय नागरिक और 46 अफगानी सिख भी शामिल हैं। इस विमान में काबुल के गुरुद्वारों से निकाले गए तीन गुरु ग्रंथ साहिब भी लाए गए हैं।
इन गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूप को संभालने के लिए दिल्ली एयरपोर्ट पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, वी मुरलीधरन और बीजेपी नेता आरपी सिंह पहुंचे थे। ये नेता गुरु ग्रंथ साहिब को सिर पर रखकर हवाई अड्डा से बाहर आए। गुरु ग्रंथ साहिब की इन प्रतियों को नगर-कीर्तन के साथ दिल्ली के एक गुरुद्वारे में ले जाया जाएगा। इसके लिए विशेष पालके साहिब भी तैयार किया गया है।
ਵਾਹੁ ਵਾਹੁ ਬਾਣੀ ਨਿਰੰਕਾਰ ਹੈ
ਤਿਸੁ ਜੇਵਡੁ ਅਵਰੁ ਨ ਕੋਇ ।।ਕੁਝ ਸਮਾਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਾਬੁਲ ਤੋਂ ਦਿੱਲੀ ਆਏ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਤਿੰਨ ਪਵਿੱਤਰ ਸਰੂਪ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮੱਥਾ ਟੇਕਣ ਦੀ ਬਖਸ਼ਿਸ਼ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਈ |
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— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) August 24, 2021
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ਤਿਸੁ ਜੇਵਡੁ ਅਵਰੁ ਨ ਕੋਇ ।।Blessed to receive & pay obeisance to three holy Swaroop of Sri Guru Granth Sahib Ji from Kabul to Delhi a short while ago.@narendramodi @AmitShah @MEAIndia pic.twitter.com/91iX91hfR7
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इस बीच अफगानिस्तान छोड़ चुके पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई हशमत गनी ने अंग्रेजी न्यूज चैनल WION से बातचीत में दावा किया है कि अशरफ गनी की हत्या की साजिश रची गई थी। उनका कहना है कि काबुल में खूनखराबा और माहौल खराब करने के मंसूबे थे, ताकि सेना के कुछ रिटायर्ड लोग अपने इरादे पूरे कर सकें। उन्होंने मेरी हत्या की भी साजिश रची थी।
हालांकि, उन्होंने ये नहीं बताया कि अशरफ गनी की हत्या कौन करना चाहता था? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि समय आने पर ये खुलासा खुद अशरफ गनी ही करेंगे।
इस बीच तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने एक बयान जारी किया और धमकी भरे लहजे में कहा कि नाटो फोर्स 31 अगस्त तक काबुल एयरपोर्ट से कब्जा छोड़ दे और अपने देश लौट जाए। उन्होंने कहा कि 31 अगस्त रेड लाइन थी। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा था कि उनकी फौज इस तारीख तक अफगानिस्तान से चली जाएगी। इस तारीख को आगे बढ़ाने का मतलब है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना फिर अपना कब्जा बढ़ा रही है। अगर ऐसा होता है तो अमेरिका को इसका परिणाम भुगतना होगा।
वहीं फ्रांस ने तालिबान की इस धमकी का जवाब दिया है और दो टूक शब्द में कहा दिया है कि 31 अगस्त की डेडलाइन के बाद भी हम अपने नागरिकों को काबुल से निकालने का काम जारी रखेंगें। फ्रांस का यह बयान सीधे तौर पर तालिबान को चुनौती है कि अगर उसने रेस्क्यू ऑपरेशन में अड़चनें पैदा कीं तो ठीक नहीं होगा।
वहीं ऐसी रिपोर्ट्स आ रही है कि काबुल हवाई अड्डा पर भीड़ को नियंत्रित करने में लगे अमेरिकी-नाटो सैनिकों को आतंकी संगठन आईएसआईएस (ISIS) यानी इस्लामिक स्टेट के आतंकी आत्मघाती हमलों से निशाना बना सकते हैं। हमले का अलर्ट मिलने के बाद एयरपोर्ट इलाके में सुरक्षा और बढ़ा दी गई है। अधिकारी भी भीड़ पर कड़ी नजर रख रहे हैं। हथियारों को डिटेक्ट करने के लिए जगह-जगह खुफिया सेंसर लगा दिए गए हैं। साथ ही अमेरिकी सेना एयरपोर्ट के लिए वैकल्पिक मार्ग बना रही है।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका सहित अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने जहां अफगानिस्तान की आर्थिक मदद रोक दी है। वहीं चीन ने इशारों-इशारों में अमेरिका पर निशाना साधा है और उसे मदद का आश्वासन दिया है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने अफगानिस्तान की बदतर स्थिति के लिए अमेरिका को जिम्मेदार बताया है।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को इस हालत में छोड़कर अमेरिका वापस नहीं जा सकता। चीन युद्धग्रस्त अफगानिस्तान को मजबूत करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा। तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका के बैंकों में मौजूद अफगान सरकार के खातों को सील कर दिया गया है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी अफगानिस्तान को मिलने वाली करीब 460 मिलियन डॉलर की राशि की निकासी को रोक दिया है।