दिल्‍लीः केंद्र सरकार अफगानिस्‍तान से जुड़े सभी विषयों पर सभी दलों को जानकारी देगी। प्राप्त जानकारी के मुताबिक 26 अगस्‍त को सुबह 11 बजे सर्वदलीय बैठक बैठक शुरू होगी, जिसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर सभी दलों को ताजा हालात से रूबरू कराएंगे। साथ ही वह अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से भारतीयों को वापस लाने की कोशिशों की भी जानकारी देंगे।

डॉ. जयशंकर ने सोमवार को ट्वीट कर कहा कि अफगानिस्‍तान के घटनाक्रम को लेकर भारत सरकार सभी दलों को अपडेट करेगी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्रालय (MEA)  से राजनीतिक दलों के फ्लोर नेताओं को ब्रीफ करने को कहा है।


इस बीच सैकड़ों की संख्‍या में अफगान शरणार्थियों राष्ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में स्थित संयुक्‍त राष्‍ट्र उच्‍चायुक्‍त के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सभी अफगानों के लिए रिफ्यूजी स्‍टेटस/कार्ड, किसी तीसरे देश में बसाया जाना, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) और भारत सरकार से सुरक्षा की मांग की। भारत में अफगान समुदाय के सदस्‍य, अहमद जिया घनी ने कहा कि भारत में 21,000 से ज्‍यादा अफगान रिफ्यूजी हैं, जिनके फिलहाल अफगानिस्‍तान लौटने की कोई वजह नहीं है।

आपको बता दें कि भारत ने अभी तक अफगानिस्‍तान में हुकूमत बदलने पर स्पष्ट तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है। भारत पहले पहले वहां फंसे अपने नागरिकों को निकालना चाहता है। हालांकि तालिबान ने कहा है कि वह अमेरिका सहित सभी देशों के साथ आर्थिक और व्यापारिक संबंध बनाना चाहता है।

उधर, तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा है कि नई सरकार के गठन के मुद्दे पर राजनीतिक नेताओं के साथ बातचीत चल रही है और जल्‍द ही एक नई सरकार की घोषणा की जाएगी। आपबको बता दें कि तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के सदस्यों ने शनिवार को काबुल में पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और राष्ट्रीय सुलह के लिए उच्च परिषद (HCNR) के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला सहित कई राजनेताओं के साथ मुलाकात की थी। तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के सदस्यों में शहाबुद्दीन डेलावर, अब्दुल सलाम हनफी, मुल्ला खैरुल्ला खैरखाव और अब्दुल रहमंद फिदा शनिवार को काबुल पहुंचे थे।


इस बीच अफगानिस्तान में हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। जर्मनी के सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक काबुल एयरपोर्ट के एक गेट पर सोमवार तड़के फायरिंग हुई, जिसमें जिसमें कम से कम एक अफगानी सुरक्षा अधिकारी की मौत हो गई। तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान सरकार के सुरक्षा बल भाग निकले हैं लेकिन कुछ हथियारबंद अफगान काबुल हवाई अड्डे पर मौजूद हैं और वहां से लोगों को निकालने के लिए जद्दोजहद कर रहे पश्चिमी देशों एवं अन्य की मदद कर रहे हैं। हालांकि अमेरिकी सेना और नाटो ने इस घटना के बारे में अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here