काबुलः एक पुरानी कहावत है घर का भेदी लंका ढाहे। इस कहावत को चरितार्थ किया है कि अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई हशमत गनी अहमदजई ने। अहमदजई ने अशरफ गनी को झटका देते हुए तालिबान से हाथ मिला लिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने आतंकवादी संगठन का हर संभवव मदद करने का भरोसा जताया है। आपको बता दें कि काबुल पर तालिबान के कब्जे से ठीक पहले अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए थे।
अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई हशमत गनी अहमदजई ने कथित तौर पर तालिबान को समर्थन देने की घोषणा की है। कुचिस की ग्रैंड काउंसिल के प्रमुख हशमत गनी अहमदजई ने तालिबान नेता खलील-उर-रहमान और धार्मिक विद्वान मुफ्ती महमूद जाकिर की उपस्थिति में तालिबान के लिए अपने समर्थन की घोषणा की। आपको बता दें कि तालिबान 15 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया था और अब सरकार बनाने की कवायदें कर रहा है।
फरार अशरफ गनी संयुक्त अरब अमीरात में डेरा जमाए हुए हैं। वह वतन वापसी को लेकर बातचीत कर रहे हैं। ऐसे में उनके भाई का दुश्मन तालिबान के साथ मिला है, जो किसी झटके से कम नहीं है। पिछले दिनों अशरफ गनी ने देश के नाम संबोधन में कहा था कि उन्हें उनकी इच्छा के खिलाफ देश से बेदखल किया गया। भगोड़ा कहने वालों को उनके बारे में जानकारी नहीं है। अशरफ गनी ने कहा कि सुरक्षा वजहों से मैं अफगानिस्तान से दूर हूं। अगर मैं वहां रहता तो काबुल में कत्लेआम मच जाता।
कुछ मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि अशरफ गनी चार कारों और एक हेलीकॉप्टर में धन भरकर देश से भागे हैं। हालांकि, यूएई से अफगानिस्तान के नाम संदेश में गनी ने इन अफवाहों को बकवास बताते हुए कहा कि वह जूते तक नहीं बदल पाए और सैंडल में ही रविवार रात को काबुल स्थित राष्ट्रपति भवन से निकले।
इस दौरान गनी ने तालिबान पर समझौता तोड़ने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि तालिबान ने काबुल में न घुसने का समझौता किया था। उन्होंने कहा कि वह सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण चाहते थे लेकिन उन्हें निकाल दिया गया। उधर, इस्लामिक देश संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने पुष्टि की है कि अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी उनके देश में हैं। यूएई ने कहा कि उसने अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके परिवार को मानवीय आधार पर स्वीकार कर लिया है। तालिबान के काबुल के नजदीक पहुंचने से पहले ही गनी देश छोड़ कर चले गए थे।