दिल्लीः बात-बात पर रूठना- मनाना, लड़ना झगड़ना बालपन में भाई-बहन के बीच मधुर रिश्ते का एक अहम हिस्सा है। कभी चॉकलेट के लिए, तो कभी पसंदीदा कपड़े पहनने के लिए, भाई-बहन के बीच अक्सर लड़ाई होती रहती है। बालपन की मीठी नोंक-झोंक की यादें हमेशा हमारे साथ रहती हैं।
यदि आप भाई या बहन के साथ होने वाले झगड़े से परेशान हो जाते हैं। इसके बात होने वाली नोंक-झोंक को देखकर आपको गुस्सा आता है और आप चिड़चिड़े हो जाते हैं, तो जनाब गुस्से को दूर भगाई क्योंकि अब आपके लिए खुश होने वाली खबर है। विज्ञान के मुताबिक बालपन में भाई-बहन के बीच होने वाला झगड़ा सेहत के लिए लाभदायक होता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि बचपन में सिबलिंग यानि भाई-बहन के बीच होने वाले झगड़े से आप इमोशनली और मेंटली मजबूत बनते हैं। सिबलिंग से लड़ने वाले लोगों का सेंस ऑफ रीजन बाकियों से अच्छा होता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज ने टॉडलर्स अप नाम से अनुसंधान किया है, जिसमें 140 बच्चों को शामिल किया गया था। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान पाया कि सिबलिंग का एक-दूसरे पर बहुत प्रभाव होता है। यहां तक कि बचपन में सिबलिंग से लड़ने पर सोशल स्किल्स डेवलप करने में मदद मिलती है।
बचपन में सिबलिंग बहस करने के तरीका उनके मेंटल हेल्थ को सुधारने और बेहतर डेवलपमेंट में अहम भूमिका निभाता है। इस दौरान ज्यादातर भाई और बहन अपनी परेशानी का हल निकाल लेते हैं जिससे उनकी अपनी मानसिक क्षमताओं पर पकड़ बनती है।
सिबलिंग से लड़ाई होने पर ज्यादा दुखी होने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस बहस और झगड़े से आपको एक बेहतर इंसान बनने में मदद मिलेगी। इससे आपको एक संतुलित व्यक्ति बनाने में मददगार मिलेगी। हां लेकिन इस बात का जरूर ध्यान रखें कि आप
इन बातों को पीछे छेड़ देंगे और अपने दिल से लगाकर नहीं बैठेंगे। इससे आपको एक बेहतर और समझदार इंसान बनने में मदद मिलेगी।
अगर आपका सिबलिंग बचपन की इस लड़ाई को जवानी तक लाता है, तो आपको चिंतित होने की जरूरत है क्योंकि इससे आपको कोई इमोशनल फायदा नहीं होगा। हम इस बात से सहमत हैं कि सिबलिंग के बीच होने वाली कुछ लड़ाईयां वक्त के साथ बढ़ जाती है लेकिन हमें इन्हें समय पर ही सुलझाने की कोशिश तो करनी ही चाहिए, नहीं तो नुकसानदायक होगी। बचपन में बच्चों के बीच होने वाली लड़ाईयां बुरी नहीं होती हैं लेकिन इन्हें ज्यादा खींचना नहीं चाहिए।
बच्चों के बीच होने वाली लड़ाइयों को खत्म करने में परिजनों की अहम भूमिका होती है। इस मुद्दे पर परिजनों को समझदारी दिखानी चाहिए। पेरेंट्स बच्चों को झगड़ा खत्म करने के लिए प्रेरित करें और प्यार बढ़ाने की कोशिश करें।
यह परिजनों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों के बीच होने झगड़ों को उनके के प्यार पर हावी न होने दें। बहस अपनी जगह है और प्यार अपनी जगह। इसका नेगेटिव असर रिश्तों पर नहीं पड़ना चाहिए।
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