दिल्लीः पूरी दुनिया जिसे आशंका से डरी-सहमी हुई है, उसके नजारे अभी से दिखने लगे हैं। अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से हर दिन तालिबान का क्रूर चेहरा सामने आ रहा है। दिल दहला देने वाला ताजा मामला यहां के बदगीस प्रांत का है। यहां तालिबानियों ने बदगिस के पुलिस प्रमुख हाजी मुल्ला को सरेआम गोलियों ने भून डाला। यहीं नहीं तालिबानी कमांडर के मर जाने के बाद भी उनकी लाश पर गोलियां बरसाते रहे। आपको बता दें कि हाजी मुल्ला ने कुछ दिन पहले ही तालिबान के समक्ष आत्मसमर्पण किया था।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस घटना के वीडियो में दिख रहा है कि हाजी मुल्ला के दोनों हाथ बांधकर तालिबानियों ने घुटनों के बल किसी सूनसान जगह पर बैठा रखा है। उनके हाथ भी बंधे हुए हैं। तालिबानी स्थानीय भाषा में कुछ बोल रहे हैं। कुछ देर बाद हाजी मुल्ला पर दनादन गोलियां दाग दी जाती हैं।

आपको बता दें कि बुधवार को भी तालिबानियों की क्रूरता की एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमे तालिबान ने अफगानी सेना के चार कमांडरों को कंधार के एक स्टेडियम में भीड़ के सामने मौत के घाट उतार दिया था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इन कमांडरों ने 13 अगस्त को तालिबान के सामने आत्मसमर्पण किया था।

तालिबान समर्थकों ने कंधार में शाह वली कोट के पुलिस प्रमुख पाचा खान  की भी गोली मार कर हत्या कर दी थी। तालिबान समर्थकों ने पाचा खान एक ऐसा खूंखार कमांडर बताया था जो तालिबान लड़ाकों के नाखून निकाल लेता था।

उधर, तालिबान ने अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में कर्फ्यू लगा दिया है। तालिबानी लड़ाकें यहां सर्च ऑपरेश चलाएंगे। वे यहां अपने विरोधियों की पहचान करेंगे। बुधवार रात ही खोस्त में कर्फ्यू का ऐलान किया गया था। खोस्त तालिबान के खिलाफ रहा है। हालांकि अब यह लड़ाकों के नियंत्रण में है

अफगानिस्तान की आजादी से पांच दिन पूर्व यानी 15 अगस्त को तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर अपना झंडा गाड़ दिया था। आज अफगानिस्तान अपनी आजादी मना रहा है। इस मौके पर लोगों ने कई इलाकों में तालिबानी हुकूमत के खिलाफ प्रदर्शन किया और इस दौरान अफगानिस्तान का झंडा लहराया।

पाकिस्तान से सटे अफगान के प्रांत कुनार की राजधानी असादाबाद में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर निकाली जा रही रैली में अफगानी झंडा लहरा रहे लोगों पर तालिबान ने फायरिंग कर दी, जिससे भगदड़ मच गई। हिंसा में दो लोग मारे गए हैं।

अफगानिस्तान आज ही के दिन यानी 19 अगस्त 1919 में आजाद हुआ था।

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