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महिलाओं के हक की चिंताः अमेरिका और इंग्लैंड सहित 21 देशों ने जारी किया संयुक्त बयान, कहा हिफाजत की गारंटी दे नई सरकार - Prakhar Prahari
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महिलाओं के हक की चिंताः अमेरिका और इंग्लैंड सहित 21 देशों ने जारी किया संयुक्त बयान, कहा हिफाजत की गारंटी दे नई सरकार

दिल्लीः अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां की महिलाओं के हक पर खतरा मंडराने लगा है। इस बीच अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपियन संघ सहित दुनिया के 21 देश सामने आए हैं और वहां की महिलाओं और लड़कियों के हक को लेकर चिंता जताते हुए महिला सुरक्षा पर गारंटी मांगी है।

इन देशों ने बुधवार को एक संयुक्त बयान जारी किया और कहा कि पिछस् 20 साल तक अफगानिस्तान में महिलाओं और बेटियों के अधिकारों की रक्षा की गई। उन्हें पढ़ाई और रोजगार की पूरी आजादी थी। अब नई सरकार को भी इस बात की गारंटी देनी चाहिए कि चाहिए वह महिलाओं के हक की रक्षा करेगी।

इन देशों की ओर से जारी बयान में गया, “हम अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों को लेकर सबसे ज्यादा फिक्रमंद हैं। वे लोग जो इस वक्त सत्ता में हैं, उन्हें इन महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा और रोजगार की आजादी देनी होगी। हम इस मामले में वहां की नई सरकार से गारंटी चाहते हैं।“

इन देशों ने कहा कि महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की रक्षा के मामले में हम मानवीय आधार पर मदद के लिए तैयार हैं। नई सरकार को यह ध्यान रखना होगा कि हम इस मसले पर करीबी नजर रख रहे हैं। 20 साल में जो अधिकार महिलाओं को दिए गए वे उनके जीवन का सबसे अहम हिस्सा हैं।

आपको बता दें कि दुनिया के ज्यादातर देश इस बात को लेकर चिंतित हैं कि तालिबान कहीं पिछली सरकार की तरह महिलाओं पर अत्याचार करके उन्हें घरों में कैद रहने पर मजबूर न करे। इस बयान पर जिन देशों ने दस्तखत किए हैं, उनमें अमेरिका और ब्रिटेन के अलावा अल्बानिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चिली, कोलंबिया और ऑस्ट्रेलिया समेत कई छोटे बड़े देश शामिल हैं।

तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा किया था। यहां हालांकि तालिबान की हुकूमत ठीक तरह से आकार नहीं ले पाई है, इसके पहले ही पश्चिमी देशों ने दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

इन देशों ने महिलाओं और बच्चियों के अलावा अन्य सभी अफगान नागरिकों के अधिकारों और आजादी का भी जिक्र है और कहा है कि सभी अफगान नागरिकों को सम्मान और सुरक्षा मिलनी चाहिए। किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। दुनिया के देश इस मामले में मानवीय आधार पर सहायता देने के लिए तैयार हैं।

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