दिल्लीः सहकारी समितियों के शीर्ष निकाय एनसीयूआई (NCUI) यानी भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ ने एक अनूठी पहल शुरू की है। संघ ग्रामीण क्षेत्रों के कारीगरों के हुनर को निखार कर उन्हें मुक्त बाजार उपलब्ध कराएगा।
आज यहां प्रदर्शनी-सह-बिक्री केंद्र एनसीयूआई हाट एक का उद्घाटन करते हुए के अध्यक्ष दिलीप संधानी ने बताया कि संघ ग्रामीण क्षेत्र में काम करने वाली सहकारी समितियों को शहरों से जोड़ने और उनकी आय बढ़ाने की दिशा में काम रहा है। एनसीयूआई हाट इस दिशा में पहला कदम है और इससे ग्रामीण क्षेत्रों की सहकारी समितियों को एक मंच मिलेगा और उनकी आमदनी में बढ़ोतरी करने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि एनसीयूआई ग्रामीण क्षेत्र की सहकारी समितियों के उत्पादों के प्रचार-प्रसार तथा बिक्री के लिए मुफ्त बाजार उपलब्ध कराने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार से सहकारी समितियों को राज्य सूची से समवर्ती सूची में लाने की मांग की और कहा है कि इससे इस क्षेत्र का औ इससे जुड़े लोगों का कल्याण होगा।
उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में देश में करीब 8 लाख सहकारी समितियां हैं, जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से एनसीयूआई से जुड़ी हैं। इस तरह से सहकारी समितियां देश की बेरोजगारी की समस्या दूर करने का काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि एनसीयूआई हाट वर्तमान में उन स्थानीय सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों का प्रदर्शन कर रहा है, जो विपणन समस्याओं के कारण तैयार बाजार नहीं ढूंढ पाए हैं। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण जिनकी आमदनी का जरिया बंद हो गया था।
वहीं एनसीयूआई के सीईओ (CEO) यानी मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. सुधीर महाजन ने एनसीयूआई हॉक के जरूरतमंद सहकारी समितियों की सहायता की दिशा में एक बड़ा कदम बताते हुए कि इस मौजूदा प्रदर्शनी सह बिक्री स्थल को आगामी दो महीने से तीन गुना तक बढ़ाने की योजना है, ताकि कई सहकारी समितियों के उत्पादों को भी इसमें समाहित किया जा सके। उन्होंने बताया कि भारतीय कारीगरों के हुनर को देश और दुनिया दिलाने तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एनसीयूआई की यह एक अनूठी पहल है।
उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के कारीगरों के हुनर को निखारने तथा सहकारी समितियों के उत्पादों की ब्रांडिंग और डिजाइनिंग में भी एनसीयूआई मदद कर रहा है। इसके लिए हमने सहकारी समितियों को फैशन डिजाइन संस्थानों के साथ जुड़ने का फैसला किया है। साथ ही स्वयं सहायता समूहों को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़ने के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म यानी मोबाइ ऐप विकसित करने का फैसला लिया है। उनका कहना था कि हमारा उदेश्य है कि ग्रामीण क्षेत्र में काम करने वाली सहकारी समितियों की पहुंच अधिक से अधिक लोगों तक हो।
वहीं नेफेड के अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह ने सहकारी समितियों और इन समितियों से जुड़े ग्रामीण क्षेत्र के कारीगरों की कलाकृतियों के प्रचार-प्रसार पर बल दिया और कहा कि इससे बेरोजगारी को दूर करने में मदद मिलेगी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यवाद देते हुए कहा कि मोदी सहाकारी समितियों के महत्व को समझा और इसके लिए उन्होंने एक अलग मंत्रालय का गठन किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी सहकारी समितियों को लेकर कितना गंभीर है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि उन्होंने इस मंत्रालय का जिम्मा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को सौंपा है।
आपको बता दें कि एनसीयूआई दिल्ली हाट के तर्ज पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अगस्त क्रांति मार्ग पर सहकारिता हाट को आम लोगों के लिए खोल दिया है। यहां पर असम, मणिपुर, मिजोरम, ओडिशा आदि कई राज्यों की सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के उत्पाद अपने उत्पादों का प्रदर्शन कर रहे हैं। एनसीयूआई जल्द ही इसका विस्तार भी करेगा।
इस मौके पर कृभको के अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह यादव सहित अन्य लोग मौजूद रहे। ।